BJP अखिलेश को उसके ही गढ़ में चित्त करेगी? |

BJP अखिलेश को उसके ही गढ़ में चित्त करेगी?

UP Elections 2022 BJP uses Nationalism & Casteism Cocktail: आज हम बता रहे हैं कि उत्‍तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का समीकरण एक बार फिर बदला है...

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 02:55 AM IST, Published Date : January 31, 2022/10:03 pm IST

आज हम बता रहे हैं कि उत्‍तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का समीकरण एक बार फिर बदला है… और पक्ष विपक्ष दोनों एक दूसरे को मात देने के लिए नई चाल लेकर आ गए हैं….अखिलेश यादव चुनाव में हार से बचने के लिए आखिरकार जातिवाद का ही गणित बिठा रहे हैं… तो बीजेपी भी उनकी काट में राष्ट्रवाद के साथ जातिवाद का काकटेल समीकरण लेकर आ गई है….माना जा रहा है कि यह समीकरण अखिलेश यादव को चित्त कर सकता है…

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समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने आखिरकार पहली बार चुनाव लड़ने की तैयारी कर ही ली है…ऐसा करके उन्होंने चुनाव लड़ने की चुनौती दे रहे विपक्ष बीजेपी का मुंह बंद तो कर दिया पर कुछ रिस्क भी ले लिया है….आपको याद होगा बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपनी सेफ सीट पर ही हार गई थीं…इसीलिए यूपी में मायावती ने चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया था पर अखिलेश को सामने आना ही पड़ा है. क्योंकि विपक्ष की चुनौती से डरने का मतलब है पार्टी को कमजोर करना….वैसे अखिलेश ने अपने लिए करहल का सीट चुना है और यहां से नामांकन भर दिया है…जाति के गणित के हिसाब से यह सीट समाजवादी पार्टी के लिए सबसे सेफ मानी जाती है अखिलेश को लगता है कि यहां से लड़ने पर शायद जान बच जाए…क्योंकि यहां करीब डेढ़ लाख यादव वोटर हैं।
वैसे बीजेपी ने उनको किसी और सीट से भी लड़ने की चुनौती दी थी पर अखिलेश जानते हैं कि उनकी चाल जरा भी बिगड़ी तो बीजेपी उनको चित्त कर देगी…अखिलेश के संसदीय क्षेत्र आजमगढ़ में विधानसभा टिकट की घोषणा होने के बाद उनकी पार्टी में बगावत के सुर सुनाई दे रहे हैं और यह बगावती सुर कई और इलाकों में सुना जा रहा है… लिहाजा अखिलेश उस सीट पर गए जहां पिछले तीन चुनावों से यादवों ने लगातार मुलायम अखिलेश यादव परिवार की पार्टी का ही साथ दिया और जीत दिलाई…बताया जाता है कि कुछ दिनों पहले समाजवादी पार्टी ने सर्वे कराया था जिसमें करहल की सीट को अखिलेश यादव के लिए काफी सुरक्षित माना गया था….।
करहल सीट से नामांकन के बाद अखिलेश यादव ने वोटर्स से अपील की और कहा कि “ये क्षेत्र बिल्कुल उनके घर के पास का क्षेत्र है, उन्हें उम्मीद है कि इस चुनाव में जो नकारात्मक राजनीति करते हैं, उत्तर प्रदेश से उनको जनता हटाएगी। अखिलेश ने कहा कि उनकी पार्टी विकास, खुशहाली और तरक्की के रास्ते पर प्रदेश को ले जाएगी।
तो यह तो आप समझ गए कि अखिलेश यहां चुनाव लड़ने क्यों आए…अब आपको बता दें कि बीजेपी ने यहां किस तरह का समीकरण बिठाया है …पहले चर्चा थी कि पार्टी अखिलेश के खिलाफ उनकी बहू अपर्णा यादव को उतारेगी….अपर्णा हाल में बीजेपी में शामिल हुई हैं…अपर्णा ने बीजेपी में आते ही राष्ट्रवाद का नारा दिया था पर करहल सीट पर अकेले यह नारा काम करेगा ऐसा बीजेपी को नहीं लगा…इसलिए बीजेपी भी पिछड़ा वर्ग का कार्ड खेलने के लिए केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल को ले आई है…अखिलेश के बाद उन्होंने करहल सीट से ही बीजेपी उम्मीद्वार के रूप में अपना नामांकन भर दिया है….उन्होंने दावा किया है कि यादव उनका साथ देंगे… वैसे बघेल यूपी पुलिस की नौकरी करते हुए समाजवादी नेता पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह के सुरक्षा अधिकारी रहे …यादव ने ही उनको टिकट देकर 1998 में विधायक का चुनाव लड़वाया और वे जीते फिर मंत्री बने बाद में समाजवादी से बहुजन समाज पार्टी BSP और फिर बीजेपी में आ गए…इन तीनों दलों से सांसद बनने का मौका भी उनको मिला है…कहा जाता है कि बघेल का राज्य के पिछड़ा वर्ग में प्रभाव है और खासकर बघेल समाज की हर सीट पर उनकी पकड़ है…

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समाजवादियों के गढ़ वाले क्षेत्रों में भी उनकी प्रभावी भूमिका रहती है ऐसा कहा जाता है…
अब ये समझें कि अखिलेश के सामने बीजेपी ने बघेल को क्यों उतारा है…क्या वे यादव वोटर्स के रहते अखिलेश का मुकाबला कर पाएंगे…इसका जवाब यही है कि राष्ट्रवाद का खेल खेल रही बीजेपी को अभी भी जातिवाद से पूरा छुटकारा नहीं मिल पाया है वह दोनों का काकटेल वोटर्स को परोस रही है ….जो भी काम कर जाए…पर अखिलेश के पास वोटर्स को परोसने के लिए अभी तो सिर्फ जातिवाद है…ये भी मजे की बात है कि पिछले चुनावों में ये देखा गया है कि राष्ट्रवाद की बात आने पर जातिवाद पिछड़ जाता है…इसके बाद भी बीजेपी जाति के जिन्न से घबराई हुई है…अब बघेल ने अखिलेश को चुनौती दी है तो उनके पास भी जाति का समीकरण है…उस सीट पर बघेल समाज के करीब 35 से 40 हजार वोट बताए जाते हैं। इनको उतारकर बीजेपी ने अखिलेश के खिलाफ एक चांस लिया है ….बघेल जीत गए और सरकार उनकी बनी तो राज्य में मंत्री पद निश्चित है… और अगर हार गए तो सांसद तो हैं ही…नुकसान नहीं है। पर अखिलेश को चित्त करने का चांस उनके पास है…चूंकि वे मुलायम परिवार के साथ काफी दिनो तक रहे हैं तो जाहिर है उनकी राजनीति के तौर तरीकों और कमजोरियों को ठीक से समझते होंगे…बीजेपी उनसे यही उम्मीद कर रही है कि इस बार वे अखिलेश की किसी कमजोरी को पकड़कर उनको मात देंगे…चर्चा यह भी है कि चुनाव में बीजेपी के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ को उनके ही गढ़ में घेरने की कोशिश समाजवादी पार्टी कर रही है और गोरखपुर से कोई दमदार प्रत्‍याशी उतारने की तैयारी में है…..जाहिर है बीजेपी ने पहले ही जवाबी कार्रवाई कर दी है…कहा जाता है कि एसपी सिंह बघेल का ब्रज क्षेत्र में अच्‍छा प्रभाव है। नामांकन भरने के बाद एसपी सिंह बघेल ने कहा कि “विकास और विनाश के बीच यह इलेक्शन होगा. 2012 से 2017 का समय लोग नहीं भूले हैं. करहल और जसवंतनगर के लोग जानते हैं कि बच्चा जब तक स्कूल से घर नहीं आता तो मां घर के गेट पर खड़े होकर उसका इंतजार करती कि कहीं उसका अपहरण तो नहीं हो गया.”

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अखिलेश राज में कानून व्यवस्था की गड़बड़ी और अराजकता का हवाला देकर बीजेपी यह भी उम्मीद कर रही है कि मतदाता उसका साथ देंगे…पर देखना होगा यूपी में जाति प्रमुख है या फिर… राष्ट्रवाद, राष्ट्रनिर्माण और विकास जैसी बातों पर लोग भरोसा करते हैं…