Bhagwan Krishna ka Sudarshan Chakra : भगवान श्रीकृष्ण को किसने दिया सुदर्शन चक्र? क्या सबसे ताकतवर था ये अस्त्र? जानें इसकी खासियत
Bhagwan Krishna ka Sudarshan Chakra : इस जन्माष्टमी के मौके पर आज हम आपके लिए भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी रोचक कथा लेकर आए है।
Bhagwan Krishna ka Sudarshan Chakra
Bhagwan Krishna ka Sudarshan Chakra : जगत के पालनहार भगवान विष्णु के आठवें अवतार भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का हिंदू धर्म में विशेष महत्व बताया जाता है, जिसे कृष्ण जन्माष्टमी के तौर पर देशभर में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, कान्हा का जन्मोत्सव यानी कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस साल जन्माष्टमी का यह पर्व 26 अगस्त 2024 को मनाया जाएगा। इस जन्माष्टमी के मौके पर आज हम आपके लिए भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी रोचक कथा लेकर आए है। हमारे देवी देवताओं को कोई ने कोई एक मुख्य अस्त्र होता है। श्रीकृष्ण का मुख्य अस्त्र चक्र था जिसका नाम ‘सुदर्शन’ था।
श्रीकृष्ण को किसने दिया सुदर्शन चक्र
Bhagwan Krishna ka Sudarshan Chakra : श्रीकृष्ण ने सुदर्शन चक्र भगवान परशुराम से प्राप्त किया था। जिसके बाद उनकी शक्तियां और भी बढ़ गई थी। शिक्षा ग्रहण करने के बाद श्रीकृष्ण की भेंट विष्णुजी के अवतार परशुराम से हुई थी। परशुराम ने श्रीकृष्ण को सुदर्शन चक्र भेंट किया था। इसके बाद ये चक्र हमेशा श्रीकृष्ण के साथ रहा। श्रीकृष्ण से अपने सुदर्शन चक्र से सबसे पहला वध राजा श्रृगाल का किया था। श्रृगाल हिंसक वृत्ति का हो गया था। वह किसी की भी स्त्री, संपत्ति और भूमि को हड़प लेता था। सुदर्शन चक्र शिवजी ने त्रिपुरासुर का वध करने के लिए निर्मित किया था। बाद में शिवजी ने सुदर्शन चक्र भगवान विष्णु को दे दिया था।
सुदर्शन चक्र की कई विशेषताएं
भगवान श्रीकृष्ण सुदर्शन चक्र धारण करते थे। जिसके चलते सभी शुत्र उनसे भयभीत रहते थे। भले ही यह चक्र को छोटा होता है लेकिन इसे सबसे अचूक अस्त्र माना जाता था। यह अस्त्र बहुत ही शक्तिशाली था, क्योंकि छोड़े जाने के बाद शत्रु का नाश करके ही लौटता था। इस अस्त्र को किसी भी प्रकार से रोक पाना असंभव था। जब-जब श्री कृष्ण ने अपना सुदर्शन चक्र उठाया तब-तब वह बिना वार किए वापिस नहीं आया। फिर चाहे सुदर्शन से किसी का वध करने के स्थान पर उन्होंने किसी की शक्ति या अभिमान पर ही वार किया हो।
सुदर्शन चक्र का वजन
सुदर्शन चक्र की खासियत यह है कि इसे दुश्मन पर फेंका नहीं जाता। यह मन की गति से चलता है और दुश्मन का विनाश करके ही वापस लौटता है। पूरी धरती पर इससे बचने की कोई जगह नहीं। पुराणों और ग्रंथों के मुताबिक, यह एक सेकंड में लाखों बार घूमता है। पलक झपकते ही यह लाखों योजन (1 योजन-8 किलोमीटर) का सफर कर सकता है। इसका वजन 2200 किलो माना जाता है। यह एक गोलाकार अस्त्र है, जो आकार में लगभग 12-30 सेंटीमीटर व्यास का है। सुदर्शन चक्र में दो पंक्तियों में लाखों कीलें विपरीत दिशाओं में चलती हैं जो इसे एक दांतेदार किनारा देती हैं। माना जाता है कि यह ब्रह्मास्त्र से भी कई गुना ज्यादा ताकतवर अस्त्र है।

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