immunity power booster medicine To stay young you are taking powerful medicines so be careful

जवान बने रहने के लिए ले रहे हैं शक्तिवर्धक दवाएं, तो हो जाइए सावधान, क्योंकि इन दवाओं में है…

immunity power booster medicine : शक्तिवर्धक दवाओं के नाम पर लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:01 PM IST, Published Date : May 15, 2022/1:13 pm IST

immunity power booster medicine लखनऊ। शक्तिवर्धक दवाओं के नाम पर लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। उन्हें जवान बनाने के नाम पर गलत दवाएं दी जा रही हैं। मर्दाना ताकत के लिए लोग इन दवाओं का जमकर सेवन कर रहे हैं। जवान बने रहने के चक्कर में कई तरह की नई बीमारियों को न्यौता दे रहे हैं। पेट की बीमारी का शिकार हो रहे हैं। क्योंकि आयुर्वेदिक दवाओं में भस्म की जगह राख और चूर्ण में पिसी हुई सामान्य पत्तियां मिली हैं। ये खुलासा आयुर्वेद विभाग की राजकीय औषधि परीक्षण प्रयोगशाला में विभिन्न जिलों से आए सैंपल में हुआ है।

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गुणवत्ताविहीन पाए जाने वाली दवाओं में ज्यादातर शक्तिवर्धक दवाएं हैं। इसमें भस्म में राख मिली है। उसमें कोई पौष्टिक तत्व नहीं थे। इसी तरह चूर्ण में भी संबंधित दवा पैकेट पर दर्ज तत्व नहीं थे। चूर्ण में पिसी हुई पत्तियां पाई गई हैं। इसी तरफ सीरप में सिर्फ सीरा पाया गया है। दर्द निवारक दवाओं में साधारण तेल व कपूर मिला हुआ था। यही हाल अन्य दवाओं का भी है।

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170 सैंपल में से 40 गुणवत्तायुक्त

immunity power booster medicine :अब आयुर्वेद निदेशक ने सभी क्षेत्रीय आयुर्वेदिक व यूनानी अधिकारियों को दवाओं की जांच के लिए अभियान चलाने का निर्देश दिया है। बता दें कि प्रदेशभर में अप्रैल 2018 से मार्च 2022 तक आयुर्वेद विभाग की राजकीय औषधि परीक्षण प्रयोगशाला में 192 सैंपल भेजे गए। इसमें 11 जांच योग्य नहीं न होने पर लौटा दिए गए जबकि जिला स्तर से अधिकृत पत्र नहीं होने की वजह से 11 को लंबित कर दिया गया। दो सैंपल रिजेक्ट हो गए। शेष 170 सैंपल में सिर्फ 40 गुणवत्तायुक्त पाए गए।

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 विभागीय अधिकारी कर रहे जांच

जो दवाएं अधोमानक पाई गई हैं, उनके निर्माता को नोटिस भेजा गया है। भविष्य में ऐसी समस्या न आए, इसके लिए सभी जिलों में विभागीय अधिकारी जांच कर रहे हैं। अब दवा निर्माण के लिए लाइसेंस प्रणाली में बदलाव किया गया है। निर्माण इकाई में एक डॉक्टर और तीन टेक्निकल स्टॉफ रखना अनिवार्य कर दिया गया है। पांच साल में संबंधित दवा की गुड मैनिफेस्टो प्रैक्टिसेज करानी होगी। ऐसे में अधोमानक दवाएं बाजार में नहीं आएंगी।