Lok Sabha Elections 2024 in Punjab : चंडीगढ़। 2024 राजनीतिक पार्टियों के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं। कुछ ही महीनों बाद देश में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं। जहां सभी राजनीतिक पाटियों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। लगातार एनडीए और विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की बैठकों का दौर भी जारी हैं। साथ ही विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ में इस समय सीट बंटवारे को लेकर मंथन किया जा रहा है। लोकसभा चुनाव को देखते हुए पंजाब में राजनीतिक पार्टियां भी अपना जोर लगा रही हैं।
Lok Sabha Elections 2024 in Punjab : बता दें कि पंजाब में आम आदर्मी पार्टी की सरकार है और भगवंत मान मुख्यमंत्री हैं। आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल और सीएम लगातार ये दावा कर रहे हैं कि आगामी लोकसभा चुनाव में वह राज्य की सभी लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करेंगे। परंतु इस दूसरी ओर अन्य पार्टिंया भी सक्रियता के मामले में पीछे नहीं हैं। क तरफ पंजाब कांग्रेस आम आदमी पार्टी के साथ लोक सभा चुनाव में आईएनडीआईए के तहत समझौता नहीं करना चाह रही है। वहीं, आप पार्टी भी कांग्रेस को आंखें दिखा रही है। दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी और शिरोमणि अकाली दल के गठबंधन को लेकर भी कमोवेश वहीं, स्थिति बनी हुई है।
माना जा रहा है कि कांग्रेस अगर आप के गठबंधन करती है तो भाजपा और शिरोमणि अकाली दल का भी गठबंधन हो सकता है। ऐसे में कांग्रेस को भी भारी मोल चुकाना पड़ सकता है। पं. बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने भी अपने बयानों में कांग्रेस को आईना दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। तो दूसरी ओर अब आम आदमी पार्टी भी कांग्रेस पर दबाव बनाती हुई नजर आ रही है। पंजाब कांग्रेस जहां आम आदमी पार्टी के साथ समझौता नहीं करने का दबाव पार्टी हाईकमान पर बना रही है। तो दूसरी तरफ मुख्यमंत्री भगवंत मान संविधान बचाने की बात कर रहे है।
उनका स्पष्ट कहना है कि संविधान नहीं बचा तो पंजाब और दिल्ली की मां अपने बच्चे को कहानी सुनाएंगी की एक थी कांग्रेस। मुख्यमंत्री के इस कथन से स्पष्ट संकेत मिलते हैं तो वह कांग्रेस के साथ मिलकर लोक सभा चुनाव लड़ना चाहते है। वहीं, भाजपा कांग्रेस और आप के बीच हो रही बयानबाजी पर पूरी नजर रखे हुए है। सूत्र बताते हैं कि भाजपा और अकाली दल का गठबंधन होगा या नहीं यह भी कांग्रेस और आप के गठबंधन पर निर्भर करता है।
पंजाब में बीजेपी ने लिए लोकसभा चुनाव काफी परेशानियों से घिरा होने वाला है। अगर कांग्रेस आप के साथ समझौता नहीं करती है तो भाजपा भी लोक सभा चुनाव अकेले लड़ेगी। जबकि इसके विपरीत अगर कांग्रेस और आप का समझौता होता है तो भाजपा भी शिअद के साथ समझौता कर सकती है। क्योंकि ऐसी स्थिति में भाजपा अकेले दम पर चुनाव मैदान में नहीं जाएगी। इसीलिए भाजपा न तो अकाली दल को अपने से दूर करना चाह रही है और न ही करीब ला रही है।
माना जा रहा है कि भाजपा के प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ द्वारा यह बयान देना कि पंजाब के लिए शिरोमणि अकाली दल का मजबूत रहना जरूरी। क्योंकि शिअद केवल राजनीतिक नहीं बल्कि पंथक पार्टी है। इसलिए सिखों के पास अपनी बात रखने का एक मंच होना चाहिए।