The Big Picture With RKM: चुनाव में कितना असर डालेगी केजरीवाल की रिहाई, राहुल गांधी का कॉन्फिडेंस लेवल क्यों हुआ हाई? जानें वज​ह |

The Big Picture With RKM: चुनाव में कितना असर डालेगी केजरीवाल की रिहाई, राहुल गांधी का कॉन्फिडेंस लेवल क्यों हुआ हाई? जानें वज​ह

Arvind Kejriwal has got bail: दरअसल, पूरे देश की और मीडिया की नजर इस पर थी कि आखिर केजरीवाल के साथ क्या होगा ? जब पिछली बार ऐसा लगा कि कोर्ट ने कुछ मन बना लिया है, कुछ निर्णय ले लेंगे, लेकिन उन्होंने 3 दिन के लिए अपना फैसला टाल दिया। जब आज सुनवाई की शुरुआत हुई तो उन्हें कोर्ट ने 1 जून तक के लिए अंतरिम बेल दे दी।

Modified Date: May 11, 2024 / 12:08 am IST
Published Date: May 10, 2024 11:53 pm IST

The Big Picture With RKM:  : रायपुर: चुनावी मैदान में आज भी बहुत कुछ हुआ, लेकिन चुनाव प्रचार से हटकर एक तस्वीर जो शाम ढलते ढलते सामने आई है, वह यह है कि अरविंद केजरीवाल को बेल मिल गई है। इसके बाद से इंडी गठबंधन के चेहरे पर चमक दिखने लगी है। अगले चार चरणों पर केजरीवाल का रिहा होना कितना असर डाल सकता है? यह देखने वाली बात होगी।

दरअसल, पूरे देश की और मीडिया की नजर इस पर थी कि आखिर केजरीवाल के साथ क्या होगा ? जब पिछली बार ऐसा लगा कि कोर्ट ने कुछ मन बना लिया है, कुछ निर्णय ले लेंगे, लेकिन उन्होंने 3 दिन के लिए अपना फैसला टाल दिया। जब आज सुनवाई की शुरुआत हुई तो उन्हें कोर्ट ने 1 जून तक के लिए अंतरिम बेल दे दी। अब इसमें दो बातें हैं पहली बात यह है कि जेल से छूटने के बाद केजरीवाल का दोबारा से चुनावी मैदान में आना यह आम आदमी पार्टी और इंडिया एलायंस के लिए एक बहुत ही जोश भरा कदम होगा। क्योंकि केजरीवाल एक बहुत अच्छे कम्युनिकेटर हैं, खासकर जिन राज्यों में ‘आप’ का प्रभाव है, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, जहां उनकी सरकारी भी हैं। वहां अभी चुनाव बचे हुए हैं, यह एक बड़ा उनके लिए पॉजिटिव फैक्टर है, इंडिया के लिए और आप के लिए भी। अब उनके पास केजरीवाल जैसा हथियार होगा जो कि इन क्षेत्रों में जाकर उनके लिए प्रचार करेगा। अरविंद केजरीवाल अच्छे कम्युनिकेटर के साथ अच्छा भाषण भी दे लेते हैं, तो यह भी उनके फायदे की बात है। देखने वाली बात यह होगी कि वह अपने को किस तरीके से पेश करते हैं। एक योद्धा की तरह जैसे देखो मैं लड़के आ गया, देखो मैं बाहर आ गया, मेरा कोई कुछ नहीं कर सका, हम सच्चे हैं और हम पक्के हैं, हम सबसे कट्टर है ईमानदार हैं, जो भी उनके शब्द होते हैं। या फिर वह एक विक्टिम कार्ड भी खेल सकते हैं कि देखो मैं जनता के लिए काम करता हूं, इसलिए मेरे साथ यह हो रहा है, इसलिए मेरे को जेल में रखा, इसलिए मुझे जनता से दूर रखा गया, इसलिए मुझे आपके बीच में नहीं आने दिया आदि। साथ ही यह बड़े इंटरेस्टिंग और देखने वाली बात होगी कि वह अपने किन शब्द बाणों से मोदी की तरफ और अपने विपक्षी दलों की तरफ हमला करते हैं और चूंकि कांग्रेस उनके साथ दिल्ली में अलायंस में है, तो यही कारण था कि उन लोगों ने भी अरविंद केजरीवाल का काफी स्वागत किया।

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      अब दूसरी बात यह है कि यही मापदंड अगर अपनाया जाए कि केजरीवाल को चुनाव प्रचार के लिए अगर बेल मिल सकती है, तो जो दूसरे नेता जेल में हैं, जैसे हेमंत सोरेन हैं, के. कविता हैं या पंजाब में भी कुछ ऐसे लोग हैं जिनका अपराधियों की लिस्ट में नाम आता है, वह भी चुनाव लड़ रहे हैं, तो ऐसे भी कुछ नेता हैं। तो क्या यह उनका भी अधिकार बनता है कि उनको भी अपने क्षेत्र में चुनाव लड़ने के लिए प्रचार प्रचार करने के लिए बेल मिले? यह एक बड़ा सवाल खड़ा हुआ है। क्योंकि केजरीवाल के मामले में जो कोर्ट ने कहा कि वह एक राष्ट्रीय पार्टी के नेता हैं, मुख्यमंत्री हैं और ये चुनाव 5 साल में एक बार आता है तो हम उनको केवल चुनाव प्रचार के लिए यह मौका दे रहे हैं और 1 जून तक के लिए अंतरिम बेल दे रहे हैं। 1 जून को आखिरी राउंड है लोकसभा के चुनाव का तो हेमंत सोरेन को भी यह मौका मिलना चाहिए। हेमंत सोरेन भी एक राज्य के मुख्यमंत्री थे और उन्होंने भी याचिका फाइल कर दी है, सोमवार को उनकी याचिका पर सुनवाई भी होगी। के. कविता जो बीआरएस की नेता हैं वह भी जेल में हैं, उनकी आज ही याचिका हाई कोर्ट से निरस्त हुई है, तो क्या वह सुप्रीम कोर्ट में जाएंगी। अब सवाल यह है कि क्या यह एक प्रिंसिपल रूल बन जाएगा, अगर आप नेता हैं और आप जेल में हैं, अगर चुनाव हो रहे हैं तो आपको चुनाव प्रचार करने के लिए मौका मिले। तो आने वाले दिनों के लिए देखने वाली बात होगी कि केजरीवाल जिस तरीके का रिकॉर्ड बना चुके हैं तो क्या वह नए तरीके का रूल देश में चालू कर पाते हैं।

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      राहुल गांधी के कॉन्फिडेंस लेवल हाई होने का वजह क्या?

      विपक्ष के एक और चर्चित नेता हैं राहुल गांधी, जिनका कॉन्फिडेंस आज अलग लेवल पर है। सवाल उठ रहा है कि इसको किस तरह से देखा जाए? आज कानपुर के रैली में उनका भाषण मैं देख रहा था, वह अपने एलाइंस पार्टनर एसपी की रैली में अखिलेश यादव के साथ में थे। जहां पर उन्होंने यह जनता से कहा कि आप यह लिखकर रख लो कि मोदी जी प्रधानमंत्री नहीं बनने वाले हैं। हालांकि उन्होंने जिस भाषा में बोला उसका उल्लेख करना उचित नहीं है, क्योंकि प्रधानमंत्री पद के लिए एक सम्मान होता है, उनको यह जो जिद का आभास हो रहा है या उनमें यह जो जोश आया है, वह इसलिए लगता है कि अगर मोदी ने अडानी अंबानी का जिक्र अपने भाषण में कर दिया तो उनकी आधी जीत हो गई, क्योंकि वह इतने समय से अडानी अडानी कहकर कोशिश कर रहे थे, उनको ऐसा लगता है कि मैं मोदी जी को अपने एजेंडे पर ले आया हूं कि उनको भी अडानी का नाम लेना पड़ा। इसीलिए वह ऐसा कह रहे हैं कि आप लिख कर ले लो मोदी जी प्रधानमंत्री नहीं बनने वाले। उधर पीएम मोदी भी लिख कर देने को तैयार हैं कि वह आगे भी प्रधानमंत्री रहेंगे और जब तक वे प्रधानमंत्री हैं तब तक आरक्षण पर आज नहीं आने देंगे। तो इस तरीके के बयान आने वाले दिनों में देखने को मिल सकते हैं। 13 मई के बाद तीन राउंड का चुनाव और बचेगा। केजरीवाल फिर से नया तड़का लेकर के चुनाव प्रचार में आने वाले हैं। अब थोड़ा सा चुनाव में मजा आने वाला है, लेकिन एक बात यह तय है कि नेताओं की किस्मत में केवल वोटर ही लिख सकता है कि वह सत्ता उसको देगा या नहीं देगा। बाकी नेता क्या लिख कर दे रहे हैं? उस पर भरोसा कितना किया जाए यह तो बाकी सब को मालूम ही है।

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