Big Picture with RKM: रायपुर। “कोलकाता के घटना के बाद से मैं बहुत निराश हूँ, डरी हुई हूँ और बहुत भयभीत हूँ। महिलाओं के साथ जो अत्याचार हो रहे हैं उनसे मैं बहुत चिंतित भी हूँ।” यह शब्द हैं देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के। यह अधोहस्ताक्षरित बयान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने एक न्यूज एजेंसी को दिया है। (Is President’s rule going to be imposed in West Bengal?) तो इसके क्या मायने निकाले जाये? क्या पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगने वाला है? क्या राष्ट्रपति की चिंता से मोदी सरकार भी चिंतित होकर पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन की अनुशंसा करने वाली है? क्या राष्ट्रपति मुर्मू की निराशा, चिंता और भय मोदी सरकार को संकेत हैं कि आप कोई बड़ा कदम उठाइये?
इस पूरे घटनाक्रम का एक हिस्सा पश्चिम बंगाल के राज्यपाल से भी जुड़ा हैं जिन्होंने पिछले दिनों राष्ट्रपति से दिल्ली जाकर भेंट की थी, उन्हें रिपोर्ट सौंपी थी। वे गृह मंत्रालय भी गए थे। हालांकि उन्होंने अपने रिपोर्ट का खुलासा तो नहीं किया था लेकिन इसका सार यही था कि वेस्ट बंगाल में प्रशासनिक तंत्र पूरी तरह फेल हो चुकी हैं, राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति काफी गंभीर है। ये तमाम बातें उन्होंने मीडिया से बातचीत के दौरान कही थी। सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पूरे प्रकरण पर स्वतः संज्ञान लिया था और गंभीर टिप्पणियां की थी। सुको ने क्राइम सीन को सुरक्षित रखने, मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल को घटना के बाद हटाने और नियुक्त करने जैसे मसले पर भी टिप्पणी की थी।
लेकिन बात अगर प्रेजिडेंट रूल्स की करें तो यह पहला मौका नहीं हैं जब राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की बात कही जा रही हैं। मौजूदा उप राष्ट्रपति और पश्चिम बंगाल के तत्कालीन राज्यपाल जगदीप धनखड़ भी कई दफे यह बात दोहरा चुके थे कि राज्य में हालात ठीक नहीं हैं। (Is President’s rule going to be imposed in West Bengal?) बात मौजूदा गवर्नर के ममता सरकार से रिश्ते की करें तो इसमें कोई सुधार नहीं हुआ है। हालांकि तब और अब की मांग में फर्क हैं। पहले की मांग राजनीतिक वजहों से थी लेकिन अब राजधानी कोलकाता के इस घटनाक्रम के बाद ममता सरकार के पूरे तंत्र पर सवाल खड़े हो रहे है।
इससे अलग भाजपा नेताओं के प्रदर्शन के बाद सीएम ममता बनर्जी ने भी यह कहा हैं कि भाजपा अगर पश्चिम बंगाल में आग लगाती हैं तो वह असम, बिहार, यूपी को भी नहीं छोड़ेंगे और उनकी कुर्सी हिलाकर रख देंगे। उन्होंने यह बातें सीधे प्रधानमंत्री मोदी से कही है। इसकी शिकायत भी भाजपा नेताओं ने गृहमंत्री से की है। तो क्या यह घटनाएं इस बात की संभावनाओं को मजबूत करता हैं कि पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है?
हम जानते हैं कि संविधान के आर्टिकल 356 में राष्ट्रपति शासन का जिक्र हैं। इसमें कहा गया है कि अगर किसी राज्य की चुनी हुई सरकार फेल होती है और राज्य में अराजकता की स्थिति उत्पन्न होती हैं तो वहां राज्यपाल की अनुशंसा पर राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता हैं। ऐसे में राष्ट्रपति की चिंता, राज्यपाल की रिपोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणियां क्या इन संभावनाओं को बल देती है?
बहरहाल क्या भाजपा की सरकार ऐसा कोई निर्णय अकेले ले सकती हैं? (Is President’s rule going to be imposed in West Bengal?) खासकर उस राज्य में जहां की सरकार किसी और दल का हो और यह भी कि विपक्ष पहले से और अधिक मजबूत हुआ हो। यह देखना अब दिलचस्प होगा कि केंद्र की भाजपा सरकार पश्चिम बंगाल को लेकर किस तरह का निर्णय लेती है।