Chhindwara Cough Syrup Death: दवा के नाम पर ज़हर! कफ सिरप से 9 मासूमों की दर्दनाक मौत, अब प्रशासन ने जारी की ये एडवाइजरी
Chhindwara Cough Syrup Death: दवा के नाम पर ज़हर! कफ सिरप से 9 मासूमों की दर्दनाक मौत, अब प्रशासन ने जारी की ये एडवाइजरी
Chhindwara Cough Syrup Death | Photo Credit: IBC24
- छिंदवाड़ा में 9 बच्चों की मौत
- जांच में एथिलीन ग्लाइकोल की आशंका
- सरकार ने जारी की एडवाइजरी
छिंदवाड़ा: Chhindwara Cough Syrup Death मध्यप्रदेश का हैल्थ सिस्टम कुछ दिन पहले तक चूहे कुतर रहे थे और अब जहरीले कफ सिरप से बच्चों की मौतों की आशंका ने पूरे सिस्टम को हिलाकर रख दिया है। छिंदवाड़ा के जिन 9 मासूम बच्चों को सर्दी खांसी की शिकायत पर कोल्डड्रिफ या नेक्स्ट्रॉस डीएस कफ सिरप दिया गया, उनकी किडनी फेल होने से दर्दनाक मौत हो गई। अपने बच्चों को खोने वाले मां-बाप की पथराई आंखें अब सिर्फ न्याय देखना चाहती हैं, लेकिन प्रशासन दोनों दवाओं को बैन करने के अलावा अब तक कोई कार्यवाई नहीं कर पाया है। इधर आशंका है कि दोनों कफ सिरप में एथिलीन ग्लाइकोल का जहरीला सब्सटेंस था।
Chhindwara Cough Syrup Death छिंदवाड़ा में जिन पैरेंट्स ने डॉक्टर्स के कहने पर अपने बच्चों को कोल्डड्रिफ दवा पिलाई थी। आज उन पर दुःखों का पहाड़ टूट पड़ा है। कफ सिरप पीने के बाद बच्चों का यूरिन जाना बंद हो गया, शरीर में स्वैलिंग आ गई और तबियत बिगड़ते बिगड़ते किडनी फेल होने से 9 बच्चों की मौत हो गई। ऐसा ही साढ़े तीन साल का एक बच्चा उसैद खान था जिसके पिता ने उसे बचाने के लिए अपनी आजीविका का साधन, अपना ऑटो रिक्शा बेच दिया। कर्ज़ लेकर नागपुर में इलाज करवाया लेकिन बच्चे की जान नहीं बचा सके। उसैद के पिता यासीन खान अब उस पर्चे को देखकर आंसू बहा रहे हैं, जिसमे लिखी कोल्डड्रिफ दवा उन्होंने अपने बेटे को पिलाई थी। मासूम उसैद का 2 साल का छोटा भाई भी उसे घर में ढूंढता है, मोबाईल पर फोटो निकालकर जब अपने माँ बाप को दिखाता है तो सबके दिलों से हूक निकल पड़ती है।
छिंदवाड़ा जिले के परासिया में रहने वाले इस गरीब परिवार तक आईबीसी24 की टीम पहुंची। जहां परिजनों ने बातचीत में दवा के नाम पर ज़हर बेचने वालों पर कड़ी कार्यवाई की मांग की। सिर्फ इसीलिए ताकि फिर किसी घर का चिराग़ जहरीली दवा पीकर बुझने ना पाए।
किडनी फेल होने से जिन 9 मासूम बच्चों की मौत हुई, वो सभी परासिया ब्लॉक के रहने वाले हैं। यहां के डॉक्टर्स सर्दी खांसी से पीड़ित बच्चों को कोल्डड्रिफ और नेक्स्ट्रॉस डीएस कफ़ सिरप प्रिस्क्राइब कर रहे थे। IBC24 से बातचीत में परासिया के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर प्रवीण सोनी ने कुबूल किया कि उन्होंने बच्चों को कोल्ड ड्रिफ दवा प्रिस्क्राइब की थी, लेकिन उन्होंने कहा कि उन्हें दवा के घातक प्रभावों का कोई अंदाज़ा नहीं था। उन्होंने कहा कि दवा की जांच का जिम्मा ड्रग कंट्रोल विभाग के ही पास है, तो क्या डॉक्टर्स सिर्फ कमीशन के लिए ये दावा प्रिस्क्राइब कर रहे थे? ऐसे तमाम सवाल हमने भी किए।
बच्चों की किडनी फेल होने से हुई मौतों पर ड्रग विभाग में हड़ंप मचा है। छिंदवाड़ा में कोल्डड्रिफ और नेक्स्ट्रॉस डीएस नाम के दोनों कफ सिरप बैन कर दिए गए हैं और इनके सैम्पल्स की जांच की जा रही है। आशंका है कि इनमें एथिलीन ग्लाइकोल या पॉली एथिलीन ग्लाइकोल का घातक सब्सटेंस था जिनसे बच्चों की किडनी फेल हो गई। ड्रग कंट्रोलर के निर्देश पर छिंदवाड़ा और परासिया की दवा दुकानों की जांच की जा रही है। इसके लिए बनाई गई विशेष टीम में 5 ड्रग इंस्पेक्टर शामिल हैं।
परासिया में जांच के दौरान इस टीम ने IBC24 से बातचीत में कहा कि सैम्पल्स की जांच रिपोर्ट आते ही मामले में कड़ी कार्यवाई की जाएगी। बच्चों की किडनी फेल होने की सूचना पाकर ICMR की टीम ने भी कई स्तर पर जांच की। बच्चों के ब्लड सैम्पल पुणे की वायरोलॉजी लैब भेजे गए, लेकिन उनमें कोई वायरल इंफेक्शन नहीं मिला। इधर जिन इलाकों में बच्चों की मौत हुई वहां के पानी की भी जांच कराई गई। पानी में भी कोई गड़बड़ी नहीं मिली।
इसके बाद जब मृत बच्चों की किडनी की बायोप्सी रिपोर्ट सामने आई तो पता चला कि बच्चों को दिए गए कफ सिरप के बाद किसी टॉक्सिक सब्सटेंस से बच्चों की किडनी को नुकसान पहुंचा है। प्रशासन ने कोल्डड्रिफ और नेक्स्ट्रॉस डीएस कफ सिरप को बैन करते हुए एडवाइजरी जारी कर दी। सर्दी, खांसी और बुखार के मरीज बिना देर किए सरकारी अस्पताल जाएं। यदि बच्चा 6 घंटे तक पेशाब नहीं कर रहा, तो पेरेंट्स डॉक्टर के पास जाएं। झोलाछाप डॉक्टरों से इलाज न कराएं। मेडिकल स्टोर से खुद दवा लेने से बचें। साथ ही मेडिकल स्टोर के लिए भी एडवाइजरी जारी की है। प्रशासन ने कहा कि बिना प्रिस्क्रिप्शन के कंबिनेशन ड्रग्स न दें। प्रतिबंधित कप सीरप या फॉर्मूला न दें। किसी भी तरह की एंटीबायोटिक भी मरीज को बिना पर्चे के न दें।
डॉक्टरों के लिए एडवाइजरी
सर्दी-खांसी बुखार से पीड़ित बच्चे यदि पहले से कोई दवा ले रहे हैं तो उनकी खास निगरानी रखें। 6 घंटे तक बच्चा यूरिन न करें तो ऑब्जर्वेशन में रखें और जरूरत पड़ने पर हायर सेंटर रेफर करें। सोचने वाली बात ये भी है कि हमारी सरकार और हैल्थ सिस्टम गरीबों को ही केंद्र में रखकर योजनाएं बनाता है, लेकिन जब भी इस तरह की लापरवाही होती है, तो उनकी भेंट गरीबों के बच्चे ही चढ़ते हैं, छिंदवाड़ा में जान गंवाने वाले सभी बच्चों के परिजनों के आर्थिक हालात इस सवाल को फिर सही ठहरा रहे हैं। बहरहाल 9 बच्चों की मौत के बाद इंतज़ार कार्यवाई का है।

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