E-attendance in schools: स्कूलों में ई-अटैंडेंस के विरोध में शिक्षिका का ‘वायरल जवाब’, निजी डेटा लीक होने का जताया खतरा, HC पहुंचा मामला

E-attendance in schools: शिक्षक जहां मोबाईल एप से निजी जानकारियां लीक होने की आशंका जताकर इसे निजता के मौलिक अधिकार का हनन बता रहे हैं।

E-attendance in schools: स्कूलों में ई-अटैंडेंस के विरोध में शिक्षिका का ‘वायरल जवाब’, निजी डेटा लीक होने का जताया खतरा, HC पहुंचा मामला
Modified Date: October 24, 2025 / 08:21 pm IST
Published Date: October 24, 2025 8:18 pm IST
HIGHLIGHTS
  • शिक्षकों ने ई अटैंडेंस को हाईकोर्ट में दी चुनौती
  • स्कूल की शिक्षिका ज्योति पाण्डेय का पत्र वायरल
  • ई अटैंडेंस पर हो रहे बवाल पर सियासत गर्म

जबलपुर: E-attendance in schools, एमपी में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए सरकार स्कूलों में टीचर्स की उपस्थिति सुनिश्चित करना चाहती है। इसीलिए प्रदेश के स्कूलों में ई अटेंडेंस को अनिवार्य किया गया है, लेकिन इसके लिए बनाया गया ‘हमारे शिक्षक मोबाईल एप’, विवादों का सबब बन गया है। शिक्षक जहां मोबाईल एप से निजी जानकारियां लीक होने की आशंका जताकर इसे निजता के मौलिक अधिकार का हनन बता रहे हैं। तो वहीं शिक्षा विभाग ई-अटैंडेंस से ही हाजिरी दर्ज करने के फरमान पर कायम है।

इधर मामला एक याचिका के ज़रिए हाईकोर्ट भी पहुंच गया है जिस पर जबलपुर हाईकोर्ट ने शिक्षकों और राज्य सरकार से भी हलफनामे पर जवाब मांगा है। देखिए एमपी में क्यों और कैसे मचा है शिक्षकों की ई-अटैंडेंस पर बवाल।

स्कूल की शिक्षिका ज्योति पाण्डेय का पत्र वायरल

E-attendance in schools, जबलपुर के शासकीय महाराजपुर स्कूल की एक शिक्षिका ज्योति पाण्डेय पत्र लिखा है। ये पत्र, ई अटैंडेंस ना लगाने पर शिक्षिका को थमाए गए शो कॉज़ नोटिस का जवाब है, जिसमें उन्होने ई अटैंडेंस ना लगाने के एक नहीं कई कारण गिना दिए हैं। अव्वल तो जवाब में ये कह दिया गया है कि शिक्षिका को सरकारी नहीं अपने निजी मोबाईल फोन से ई अटैंडेंस लगानी पड़ती है, जिससे उनके निजी फोटो वीडियो और डेटा लीक होने की आशंका है और ये उनके निजता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।

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शिक्षिका ने शो कॉज़ नोटिस के जवाब में अपने साथ सायबर क्राईम या फ्रॉड ना होने की सरकारी गारंटी मांगी है और तब तक ई अटैंडेंस ना लगाने की बात कही है। शिक्षा विभाग को दिया गया ये जवाब देखते ही देखते सोशल मीडिया में वायरल हो गया, जिसके समर्थन में राज्य शिक्षक संघ भी आ गया। विभाग ने ई अटैंडेंस से निजता के अधिकार के उल्लंघन का तर्क जायज़ बताया और मुख्य सचिव को पत्र लिखकर शिक्षा विभाग से हमारे शिक्षक एप पर स्पष्टीकरण जारी करवाने की मांग कर दी।

शिक्षकों ने ई अटैंडेंस को हाईकोर्ट में दी चुनौती

इधर प्रदेश के 27 शिक्षकों ने ई अटैंडेंस को हाईकोर्ट में भी चुनौती दे दी है। याचिकाओं में कहा गया है कि हमारे शिक्षक एप में एक नहीं कई तकनीकी खामियां हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में नेटवर्क कनेक्टिविटी ना होने, मोबाईल बैटरी डाऊन हो जाने और डेटा पैक खरीदने की बाध्यता बताकर याचिका में ई अटैंडेंस पर रोक लगाने की मांग की गई है। हाईकोर्ट ने इन याचिकाओं पर याचिकाकर्ता शिक्षकों और राज्य सरकार के स्कूल शिक्षा विभाग से भी हलफनामे पर जवाब मांगा है। हाई कोर्ट ने उन स्कूलों का डेटा तलब किया है जहां शिक्षक ई अटैंडेंस लगा रहे हैं। इसी के साथ हाईकोर्ट ने 30 अक्टूबर को मामले की अगली सुनवाई तय कर दी है।

ई अटैंडेंस पर हो रहे बवाल पर सियासत गर्म

दूसरी तरफ ई अटैंडेंस पर हो रहे बवाल पर सियासत भी गर्मा गई है। भाजपा जहां ई अटैंडेंस को स्कूलों में अनुशासन और शिक्षा की गु्णवत्ता के लिए ज़रुरी बता रही है तो वहीं कांग्रेस, ई अटैंडेंस का विरोध कर रहे शिक्षकों के साथ खड़ी हो गई है।

तीसरी तरफ प्रदेश का स्कूल शिक्षा विभाग ई अटैंडेंस को स्कूली शिक्षा व्यवस्था और गुणवत्ता को सुधारने के लिए मील का पत्थर बता रहा है। हालांकि सरकारी आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश के 73 फीसदी शिक्षक ई अटैंडेंस लगा रहे हैं लेकिन बाकी 27 फीसदी शिक्षकों के नेटवर्क कनेक्टिविटी या टैक्निकल ईश्यूज़ के तर्क हैं। इस पर भी गर्माती राजनीति के बीच अब इंतज़ार हाईकोर्ट के ही अंतिम फैसले का है, जिससे साबित हो जाएगा कि ई अटैंडेंस लगाने में शिक्षकों का विरोध सिर्फ बहाने हैं या ठोस कठिनाईयां।

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लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com