ग्वालियर: who will be face of Congress in Chambal ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के बाद ग्वालियर-चंबल अंचल में कांग्रेस के पास उनका विकल्प नहीं है। अगले साल विधानसभा चुनाव हैं, ऐसे में अंचल में सिंधिया का मुकाबला कौन नेता कर सकता है, इसको लेकर बड़ा सवाल खड़ा होने लगा है। हालांकि कांग्रेस ने 2018 विधानसभा चुनाव के नतीजों को दोहराने के लिए जमीनी स्तर पर काम शुरू कर दिया है। लेकिन इस बार सिंधिया उसके साथ नहीं हैं।
who will be face of Congress in Chambal ग्वालियर-चंबल में कौन होगा कांग्रेस का चेहरा? कौन बनेगा सिंधिया का विकल्प? किसके सहारे कांग्रेस बनाएगी 2023 फतह का प्लान? ज्योतिरादित्य सिंधिया के BJP में जाने के बाद ये सवाल कांग्रेस को खाए जा रहा है। दरअसल, सिंधिया ग्वालियर-चंबल अंचल में कांग्रेस के क्षत्रप थे। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने उन्हें चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष भी बनाया था। सिंधिया के नेतृत्व में कांग्रेस ने ग्वालियर-चंबल अंचल की ज्यादातर सीटें जीती थी। लेकिन अब कांग्रेस के सामने मुश्किल ये है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के हाथ छोड़ने के बाद पार्टी के पास अंचल में कोई बड़ा चेहरा नहीं है। ऐसे में सियासी गलियारों में चर्चा शुरू हो गई है कि अगले चुनाव में कांग्रेस की तरफ से ग्वालियर-चंबल अंचल में सिंधिया की जगह कौन नेता लेगा। इसे लेकर बीजेपी भी चुटकी ले रही है।
दरअसल, 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को ग्वालियर चंबल संभाग की 34 में से 27 सीटों पर जीत मिली थी। लेकिन सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने पर अंचल के 15 विधायक कांग्रेस छोड़कर BJP में चले गए थे और इसके बाद हुए उपचुनाव में 8 सीटों पर BJP जबकि 7 सीटों पर कांग्रेस अपना किला बचाए रखने में कामयाब हुई थी, ऐसे में कांग्रेस की चिंता बड़ी है। वैसे ग्वालियर चंबल अंचल में ऐसे कई नेता हैं, जो सिंधिया को रिप्लेस कर सकते हैं। इनमें विधायक डॉक्टर गोविंद सिंह, पूर्व मंत्री लाखन सिंह, पूर्व मंत्री के पी सिंह और युवा चेहरे जयवर्धन सिंह ग्वालियर-चंबल संभाग से आते हैं। लेकिन अब तक इस तरह का तालमेल नहीं बन पाया है कि किसी एक के चेहरे पर कांग्रेस आगे बढ़े। हालांकि कांग्रेस इसे लेकर चुनौती नहीं मानती।
ग्वालियर-चंबल अंचल मध्य प्रदेश की राजनीति में बेहद अहम माना जाता है। इस अंचल में कुल 8 जिले हैं, जिनमें विधानसभा की 34 सीटें शामिल हैं। ऐसे में जो भी राजनीतिक दल यहां ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतता है उसकी सरकार बनने के चांस बढ़ जाते हैं। यही वजह है कि अगले साल होने वाले चुनाव में ग्वालियर चंबल अंचल के नतीजों पर सभी की निगाहें टिकी होंगी।
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