Reported By: Hiten Chauhan
,naxal free balaghat/ image source: IBC24
Balaghat Naxal Free: बालाघाट: मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले पर 35 वर्षों से लगा लाल आतंक का कलंक आखिरकार मिट गया है। 1990 में शुरू हुई शस्त्र माओवादी हिंसा का अंत दिसंबर 2025 में हो गया। इनामी नक्सली दीपक और रोहित के सरेंडर के साथ बालाघाट पूरी तरह नक्सल मुक्त घोषित हो गया।
इस संघर्ष में माओवादियों की तथाकथित क्रांति ने 38 जवानों और 57 निर्दोष ग्रामीणों की जान ली, जबकि सुरक्षा बलों ने 45 हार्डकोर नक्सलियों को मार गिराया और 28 को गिरफ्तार किया।
Balaghat Naxal Free: साल 2023 से नक्सलियों की रीढ़ टूटनी शुरू हो गई थी। बीते वर्ष केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मार्च 2026 तक माओवाद के खात्मे का दावा किया है, लेकिन मध्यप्रदेश में यह लक्ष्य तय समय से पहले ही हासिल कर लिया गया। बालाघाट के घने जंगल कभी माओवादियों का मजबूत गढ़ माने जाते थे। लेकिन लगातार सर्च ऑपरेशन, सुरक्षा बलों की सटीक रणनीति और तकनीक के इस्तेमाल ने नक्सलियों की कमर तोड़ दी।
Balaghat Naxal Free: संगठन का शीर्ष नेतृत्व कमजोर पड़ा, सप्लाई लाइन टूटी और डर का माहौल खत्म हुआ। वहीं सरकार की प्रभावी सरेंडर और पुनर्वास नीति ने नक्सलियों को मुख्यधारा में लौटने का भरोसा दिया। इन्हीं हालातों में एमएमसी जोन के सभी नक्सलियों ने हथियार डाल दिए।
दीपक और रोहित का सरेंडर माओवाद के अंत की सबसे बड़ी तस्वीर बन गया। 35 साल बाद बालाघाट में अब डर नहीं, विकास की उम्मीद है। यह जीत सुरक्षा बलों की दृढ़ इच्छाशक्ति और शहीदों के बलिदान की मिसाल है।