Balaghat News: किसानों के लिए एक और बड़ी खुशखबरी, अब खेतों में पहुंचेगा इस बांध का पानी, जल्द शुरू होगा निर्माण कार्य
सातनारी जलाशय के पानी से ही क्षेत्र के किसान अपनी फसलों की सिंचाई कर सकते हैं कलेक्टर मृणाल मीणा ने इस जलाशय के निर्माण के लिए राजस्व, जल संसाधन और वन विभाग की एक संयुक्त टीम गठित की है एक महीने के भीतर सातनारी जलाशय का निर्माण शुरू हो सकता है।
Balaghat News / Image Source : IBC24
- कलेक्टर मृणाल मीणा ने सातनारी जलाशय के निर्माण के लिए संयुक्त टीम बनाई
- जलाशय का निर्माण एक महीने के भीतर शुरू हो सकता है।
- विधायक मधु भगत ने इसे किसानों के लिए 'जीवन रेखा' बताया है।
Balaghat News बालाघाट: बालाघाट के किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी है। यहां के किसानों को अब सिंचाई के लिए वर्षा आधारित स्रोतों या अन्य सुविधाओं के लिए नहीं जूझना पड़ेगा। अब सातनारी जलाशय के पानी से ही क्षेत्र के किसान अपनी फसलों की सिंचाई कर सकते हैं। कलेक्टर मृणाल मीणा ने इस जलाशय के निर्माण के लिए राजस्व, जल संसाधन और वन विभाग की एक संयुक्त टीम गठित की है और उनसे विस्तृत सर्वेक्षण रिपोर्ट मांगी है। यदि सबकुछ सही रहा तो एक महीने के भीतर सातनारी जलाशय का निर्माण शुरू हो सकता है।
Balaghat News बता दें कि बुढ़ियागांव क्षेत्र में लगभग 45 साल पहले शुरू हुआ सतनारी जलाशय अभी भी अधूरा है। 1980 से स्वीकृत इस परियोजना का 70 प्रतिशत कार्य भी हो चुका था, लेकिन वन विभाग की आपत्ति के चलते इसे रोक दिया गया था। इस बांध को मूर्त रूप देने के लिए अलग-अलग सरकारों के समय प्रयास किए गए, लेकिन निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाया। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि ज़मीन आवंटन और लगभग ₹7 करोड़ की राशि का प्रस्ताव वन विभाग को सौंपा गया है। इसके बावजूद फ़ाइल तीन साल से अटकी हुई है। किसानों चाहते हैं कि सरकार और प्रशासन मिलकर कोई समाधान निकालें, क्योंकि जलाशय के निर्माण से उनका दशकों पुराना सपना पूरा होगा और खेती-किसानी में खुशहाली आएगी।
जीवन रेखा साबित होगा जलाशय: विधायक मधु भगत
Balaghat News क्षेत्रीय विधायक मधु भगत ने इसे लेकर कि सातनारी जलाशय किसानों के लिए जीवन रेखा साबित होगा और इसीलिए वे इसके लिए लगातार काम कर रहे हैं। विधायक ने बताया कि तत्कालीन जल संसाधन मंत्री रामकिशोर कांवरे ने जलाशय के निर्माण के लिए ₹10.29 करोड़ (₹102.9 मिलियन) स्वीकृत किए थे और काम शुरू भी हो गया था। हालाँकि, वन विभाग की अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) न मिलने के कारण निर्माण कार्य रोकना पड़ा था।
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