MP Mission 2023: भोपाल। मध्यप्रदेश में आने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सत्ताधारी बीजेपी नई रणनीति तैयार कर रही है। बीजेपी हर एक सीट की माइक्रो प्लानिंग तैयार कर रही है। 10 हजार से कम अंतर से हारी हुई सीटों पर बीजेपी का पूरा फोकस है। ऐसी सीटों पर अब संगठन के नेता जिम्मेदारी संभालेंगे। कम अंतर से हारी हुई 43 सीटों पर संगठन के प्रमुख नेता भेजे जाएंगे। गौरतलब है कि आने वाले दिनों माण्डू में होने वाले प्रशिक्षण शिविर में पदाधिकारी और नेता रणनीति तैयार करेंगे।
MP Mission 2023: मध्य प्रदेश में बीजेपी मिशन-2023 की तैयारियों में जुटी हुई है। बीजेपी को 2018 के विधानसभा चुनावों में कम सीटें मिली थी, जिससे बीजेपी बहुमत से दूर रह गई थी। ऐसे में पार्टी ने इस बार नए तरीके से प्लानिंग बनानी शुरू की है। बीजेपी इस बार प्रदेश की 100 विधानसभा सीटों पर विशेष फोकस कर रही है। क्योंकि इन 100 सीटों के जरिए बीजेपी मिशन-2023 को सफल बनाने की तैयारी में जुट गई है। बीजेपी ने इन 100 सीटों को जीतने के लिए माइक्रो प्लानिंग बनाई है। बीजेपी ने दिग्गज नेताओं को इन सीटों पर तैनात करने का प्लान बनाया है, ताकि हर एक सीट पर बूथ मैनेंजमेंट को मजबूत किया जा सके और 2023 में इन सीटों पर बीजेपी की वापसी हो।
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MP Mission 2023: दरअसल, 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को प्रदेश के कुछ अंचलों में नुकसान हुआ था। बीजेपी को ज्यादातर मालवा-निमाड़, ग्वालियर-चंबल और बुंदेलखंड अंचल की सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था। बता दें कि मालवा-निमाड़ मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा अंचल हैं, इस अंचल में प्रदेश की 65 विधानसभा सीटें आती है। लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में यहां बीजेपी की सीटें घटकर आधी रह गई थी। ऐसे में बीजेपी सबसे ज्यादा मालवा-निमाड़ पर फोकस कर रही है। जबकि ग्वालियर-चंबल और बुंदेलखंड अंचल की सीटों पर भी बीजेपी सक्रिए है।
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MP Mission 2023: वहीं बीजेपी की इस प्लानिंग पर कांग्रेस की निगाह है कांग्रेस भी बूथ मैनेजमेंट की जमावट में लगी है पर उसे पिछली बार भी एंटी इंकम्बेंसी से ज्यादा उम्मीद है। बीजेपी ने प्रत्येक सीट पर चुनाव होने तक सांसद-विधायकों और जिला अध्यक्ष की जिम्मेदारी तय कर दी गई है। बीजेपी ने सभी नेताओं को इन सीटों को जीतने के लिए माइक्रो प्लानिंग बनाने की बात कही है। जबकि संगठन की निगरानी में इन नेताओं के इन सीटों पर लगातार दौरे होते रहेंगे। जिसका पूरा मैनेजमेंट संगठन की निगरानी में होगा। राज्यसभा सांसदों, प्रदेश के केंद्रीय मंत्री और प्रदेश पदाधिकारियों को भी इन सीटों पर जाना पड़ेगा। इसके अलावा प्रदेश सरकार के मंत्री भी इन सीटों पर विशेष फोकस रखेंगे।
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