भोपाल। Face To Face Madhya Pradesh: मध्यप्रदेश में बीजेपी के अंदर घमासान सा क्यों मच गया है। विधायक और वरिष्ठ नेता खुलेआम बयानबाजी कर रहे हैं। लॉ एंड ऑर्डर पर सवाल खड़े कर रहे हैं अपनी ही सरकार की व्यवस्था की कमियां गिनाने लगे हैं। जाहिर है ये स्थिति सरकार की इमेज के लिए अच्छी नहीं है पर हम ये समझना चाहते हैं कि ये हो क्यों रहा है, क्या वाकई सरकार और उनके अपने जनप्रतिनिधियों के बीच का संवाद सहज नहीं है या फिर कानून-व्यवस्था की स्थिति से नाराज नेता अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं?
पहली बात आप ये जान लीजिए ये बीजेपी के विधायक हैं यानी सत्तारुढ दल से इनका सीधा नाता है, लेकिन एक नशाखोरी और पुलिस से परेशान है, दूसरा डॉक्टर से परेशान होकर विधानसभा अध्यक्ष को इस्तीफा तक भेज दिया। तीसरे को लगता है कि एमपी में शराब माफियाओं का बोलबाला है। चौथे को जान खतरा है आधार कार्ड का पता तक बदलवा दिया पांचवा नशाखोरी और पुलिस की अनदेखी से परेशान हैं और छठवें को लगता है कि इस बार रावण दहन नहीं करना चाहिए क्योंकि एमपी में रेप की घटनाएं बढ़ रही है। यही नहीं कद्दावर कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय कह रहे हैं गली-गली में नशे का सामान बिक रहा है। जाहिर है जब सत्तारुढ दल के विधायक ही खुलकर बोल रहे हैं तो कांग्रेस को बैठे बिठाए मुद्दा मिल गया।
Face To Face Madhya Pradesh: जाहिर है एक साथ जब 6 विधायक पार्टी के भीतर अपनी बात न कहकर पब्लिक फोरम पर खुलेआम अपनी समस्या रख रहे हैं। अपनी सरकार और लॉ एंड आर्डर पर सवाल उठा रहे हैं तो बीजेपी अध्यक्ष वीडी शर्मा को मीडिया के सामने आकर जवाब देना पड़। उन्होंने कहा कि एमपी गुड गवर्नेंस की दिशा में आगे बढ़ रहा है। वीडी शर्मा जी की बात मान भी ली जाए तो दहाई की संख्या में विधायकों की नाराजगी, परेशानी क्या कहती है? वो अपने घर की समस्या से तो परेशान नहीं है। जैसा वो बता रहे हैं जाहिर है वो जनता मुद्दों को उठा रहे हैं। अब सवाल ये उठता है कि देश की सबसे अनुशासित पार्टी का तमगा लेने वाली बीजेपी में क्या सबकुछ ठीक-ठाक है। सवाल ये भी है जब पुलिस विधायकों की नहीं सुन रही है तो आम जनता कहां जाए।
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