Face To Face MP: ‘NEET’ नहीं क्लीन.. Grace Marks में गड़बड़ी ! छात्रों के सामने खड़ा हुआ विश्वसनीयता का संकट…
MP Politics: Face To Face MP: 'NEET' नहीं क्लीन.. Grace Marks में गड़बड़ी! छात्रों के सामने खड़ा हुआ विश्वसनीयता का संकट
MP Politics: भोपाल। कहते हैं ये दुनिया भरोसे पर टिकी है.. किसी भी काम के लिए, किसी ना किसी को जिम्मेदारी देनी ही पड़ती है और उस पर भरोसा भी करना पड़ता है। NTA…यानि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी .. जिस पर देशभर के मेडिकल कॉलेजों में दाखिलों के लिए नीट परीक्षा करवाने का जिम्मा है। इस बार नीट परीक्षा में जो गड़बड़ियां हुईं उसके बाद NTA सवालों में है और सबसे खतरनाक बात ये कि छात्रों के सामने विश्वसनीयता का संकट खड़ा हो गया है। यानी कानूनी कार्यवाही जारी है… लेकिन सवाल ये है कि डॉक्टर बनने के लिए जीतोड़ मेहनत करने वाले देश भर के बच्चे पूछ रहे हैं कि क्या ये नीट, क्लीन है?
भारत में मेडिकल कॉलेजो में दाखिलों के लिए होने वाली नीट परीक्षा सवालों के घेरे में है। शुरुआत हुई कि कैसे 67 स्टूडेंट एक साथ टॉप किया.. जबकि 2023 में 2 थे और, 2024 में 4 टॉपर थे। पेपर लीक की आशंका, ग्रेस मार्क को लेकर विवाद का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा… और SC ने एनटीए को नोटिस जारी कर जवाब मांगा। अब खुद एनटीए ने सुप्रीम कोर्ट ने मान लिया कि उसने 1563 कैंडिडेट्स को ग्रेस मार्क्स देकर गलती की थी। परीक्षा में देर से आने के नाम पर चिन्हित कैंडिडेट्स को मनमाने ग्रेस मार्क्स दिए गए थे जिनमें से कई टॉपर बन बैठे।
एनटीए अब तक सफाई पर सफाई दे रहा था लेकिन आखिरकार उसने गलती मानी और कोर्ट में अंडरटेकिग देकर ग्रेस मार्क्स वाले 1563 कैंडिडेट्स के स्कोरकार्ड रद्द कर दिए। उन्हें छूट दी गई कि वो चाहें तो 23 जून को होने जा रही दोबारा परीक्षा में बैठें या बिना ग्रेस मार्क्स वाले स्कोरकार्ड के साथ नई मैरिट लिस्ट का इंतज़ार करेंं। लेकिन फिर भी सवाल हैं जो याचिकाकर्ता उठा रहे हैं। यही वजह है कि जब देश भर में छात्रों के विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं तो सियासत भी उबल रही है।
MP Politics: कांग्रेस ने नीट परीक्षा की सीबीआई जांच की मांग की है..तो केन्द्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान एनटीए के बचाव में हैं। अब देश की सबसे बड़ी अदालत इस पूरे मामले की सुनवाई कर रही है जिसके अंतिम फैसले का इंतज़ार देश भर के लाखों छात्र छात्राओं को है। लेकिन इससे पहले नीट परीक्षा और इसे लेने वाली एजेंसी एनटीए पर छाया विश्वसनीयता का संकट, निराश करने वाला है। ख़ैर उम्मीद है कि अदालत से दूध का दूध और पानी का पानी जरूर होगा।
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