Contract Employees Regularization / Image Source: IBC24 Customized
भोपाल। Contract Employees Regularization News; प्रदेशभर के आउटसोर्स और अस्थायी कर्मचारियों का प्रदर्शन लगातार दूसरे दिन भी जारी रहेगा। अपनी विभिन्न मांगों को लेकर ये कर्मचारी आज विकास भवन का घेराव करेंगे और सरकार के खिलाफ नारेबाजी करेंगे। प्रदर्शन में ग्राम पंचायत चौकीदार, पंप ऑपरेटर, प्यून और सफाईकर्मी भी शामिल होंगे। आउटसोर्स और अस्थायी कर्मचारियों ने अपनी प्रमुख मांगों को सरकार के समक्ष रखा है जिसमे न्यूनतम वेतन लागू करने की मांग, चतुर्थ श्रेणी के पदों पर स्थायी नियुक्ति की माँग, आउटसोर्सिंग प्रथा को समाप्त कर कर्मचारियों को नियमित किए जाने की अपील की है साथ ही कार्यस्थलों पर सुरक्षा और उचित सुविधाएँ उपलब्ध कराने की माँग की है।
Contract Employees Regularization News : इस आंदोलन में राज्य के विभिन्न जिलों से आए हजारों कर्मचारी शामिल हो रहे हैं। उन्होंने सरकार पर वादा खिलाफी का आरोप लगाते हुए कहा कि वे तब तक संघर्ष जारी रखेंगे जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं है। सरकार ने कर्मचारियों की मांगों पर चर्चा के संकेत दिए हैं लेकिन अभी तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है। प्रशासन ने कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए भारी पुलिस बल तैनात किया है और प्रदर्शनकारियों से शांति बनाए रखने की अपील की है।
हड़ताल पर बैठे आउटसोर्स कर्मचारी प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार आउटसोर्स कर्मचारी के साथ कर अन्याय रही है। विधानसभा में पहले भी सवाल उठाए गए पर सरकार ने नजरअंदाज किया। इस बार फिर से हम अपनी मांगों को विधानसभा तक पहुंचाएंगे। कल महिला दिवस पर चतुर्थ श्रेणी को महिलाओं ने जब महापौर से न्यूनतम वेतन की मांग की तो उन्हें अनसुना किया गया। हर घर जल पहुंचाने की बात सरकार करती वो जल घर घर तक हम ले जाते और हमारे साथ ही अन्याय हो रहा। अन्य प्रदेशों में आउटसोर्स कर्मचारियों के साथ न्याय हो रहा पर मध्यप्रदेश सरकार ने अपनी आंखे बंद कर ली है।
उन्होंने कहा कि शासकीय विभागों में लाखों की संख्या में आउटसोर्स, अस्थाई कर्मचारी काम करते हैं। स्वास्थ्य विभाग, बिजली विभाग शिक्षा विभाग, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, नगरीय निकाय सहकारिता विभाग सहित सभी विभागों में तुतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के पदों पर आउटसोर्स कर्मचारी काम करते हैं। जो समाज के गरीब मध्यमवर्गीय परिवारों से आते हैं।
आउटसोर्स प्रथा में इनके साथ हर स्तर परअन्याय हो रहा है। इसीलिए इन कर्मचारियों के भविष्य को सरक्षित करने के लिए जरूरी है कि लघु कैडर बनाकर इनका विभागों में संविलियन किया जाए, जिससे इनके परिवारों में भी आर्थिक खुशहाली आए। उप्र की सरकार ऐसा कर चकी है। वहां न्यूनतम वेतन बढ़ाकर 18,000 रुपए तक किया जा चुका है, इसीलिए मप्र में भी इसे लागू किया जाना चाहिए।