जम्मू आतंकी हमले में शहीद हुए सीआईएसएफ अधिकारी का शव मप्र में पैतृक गांव पहुंचा

जम्मू आतंकी हमले में शहीद हुए सीआईएसएफ अधिकारी का शव मप्र में पैतृक गांव पहुंचा

जम्मू आतंकी हमले में शहीद हुए सीआईएसएफ अधिकारी का शव मप्र में पैतृक गांव पहुंचा
Modified Date: November 29, 2022 / 08:21 pm IST
Published Date: April 23, 2022 11:01 pm IST

सतना, 26 अप्रैल (भाषा) जम्मू में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ के दौरान शहीद हुए सीआईएसएफ के सहायक उप निरीक्षक (एएसआई) शंकर प्रसाद पटेल का पार्थिव शरीर शनिवार शाम को मध्यप्रदेश के सतना जिले में स्थित उनके पैतृक गांव नौगवां लाया गया। रविवार सुबह को यहां उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्धारित दौरे के दो दिन पहले जम्मू के बाहरी इलाके में शुक्रवार सुबह को सेना के एक शिविर के पास प्रतिबंधित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद से संबंधित दो पाकिस्तानी आत्मघाती हमलावर और सीआईएसएफ के जवान पटेल शुक्रवार तड़के गोलीबारी में मारे गए।

रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के एएसआई श्याम सिंह ने बताया कि पटेल पहले भिलाई में तैनात थे और अपनी यूनिट के साथ 18 अप्रैल को ही जम्मू गए थे।

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उन्होंने कहा कि पटेल के परिवार में उनकी पत्नी लक्ष्मीबाई और दो बेटे संजय और सुरेंद्र हैं।

पटेल का पार्थिव शरीर शाम को उनके पैतृक गांव नौगवां पहुंचा और इस दौरान स्थानीय लोगों ने ‘‘शंकर पटेल अमर रहे’’ के नारे लगाए।

नागपुर की एक कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में कार्यरत पटेल के छोटे पुत्र सुरेंद्र ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘मेरे पिता अक्सर कहते थे कि उन्होंने 33 साल तक सीआईएसएफ के साथ अथक काम किया है और अब समय आ गया है कि वह आराम करें।’’

मैहर क्षेत्र के प्रभारी अनुमंडलीय पुलिस अधिकारी (एसडीओपी) मोहित यादव ने बताया कि पटेल का पार्थिव शरीर शाम छह बजे के बाद उनके गांव पहुंचा। उनका अंतिम संस्कार रविवार सुबह नौ बजे नौगवां में होगा।

एसडीओपी ने कहा कि श्रद्धांजलि देने के लिए कम से कम तीन हजार लोग शहीद अधिकारी के घर पहुंचे।

पटेल के परिचितों के अनुसार, उन्होंने दिसंबर में अपने परिवार से कहा था कि अगली बार जब वह घर लौटेंगे तो काफी समय तक के लिए रुकेंगे और परिवार के लोग पटेल की सुविधा के लिए अपने घर का नवीनीकरण भी करा रहे थे।

मृतक अधिकारी के मित्र श्याम सिंह ने कहा कि पटेल अपने छोटे बेटे की शादी का इंतजार कर रहे थे और इसके बाद वह सेवा से विश्राम लेने वाले थे।

भाषा सं दिमो शफीक

शफीक


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