उपचुनाव के बागी! बीजेपी-कांग्रेस बागी आखिर किसका बिगाड़ेंगे समीकरण?

बीजेपी-कांग्रेस बागी आखिर किसका बिगाड़ेंगे समीकरण?! By-election rebels! Whose equation will the BJP-Congress rebels spoil?

Modified Date: November 29, 2022 / 07:57 pm IST
Published Date: October 8, 2021 11:26 pm IST

भोपाल: आगामी 30 अक्टूबर को होने वाले उपचुनाव के एमपी में नामांकन का दौर चल रहा है। उम्मीदवारों के साथ-साथ राजनीतिक पार्टियां भी चुनावी जंग के लिये तैयारी तेज कर दी है, लेकिन अपनों की नाराजगी ने इनकी परेशानी बढ़ा दी है। दरअसल जिन नेताओं को टिकट नहीं मिला। अब वो बगावती तेवर दिखाने लगे है। रैगांव में बागरी परिवार बीजेपी के लिये चुनौती साबित हो रहा है, तो जोबट में सुलोचना रावत को टिकट देने के बाद स्थानीय कार्यकर्ता नाराज हैं। दूसरी ओर जोबट में दीपक कांग्रेस को चुनौती दे रहे हैं। ऐसे में बड़ा सवाल ये कि बीजेपी या कांग्रेस बागी आखिर किसका बिगाड़ेंगे समीकरण?

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मध्य प्रदेश में खंडवा लोकसभा और रैगांव, जोबट और पृथ्वीपुर विधानसभा के उपचुनाव को लेकर सियासी पारा उफान पर है। बीजेपी और कांग्रेस ने चारों सीट पर अपने-अपने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है, लेकिन दावेदारी करने वाले जिन नेताओं को टिकट नहीं मिला। अब वो बागी तेवर दिखा रहे हैं। दोनों ही पार्टियों को इस परेशानी से जूझना पड़ रहा है। रैगांव में बीजेपी प्रत्याशी के खिलाफ दिवंगत विधायक जुगलकिशोर बागड़ी के परिवार के पांच सदस्यों ने नामांकन दाखिल किया है तो जोबट में कलावती भूरिया के भतीजे ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन पत्र भरा है। इन लोगों ने अपनी-अपनी पार्टियों को सकते में डाल दिया है। हालांकि रैगांव से जुगल किशोर बागरी के बेटे पुष्पराज बागरी ने चुनाव न लड़ने का एलान करते हुए बीजेपी को थोड़ी राहत जरूर दी है, लेकिन परिवार के बाकी सदस्य अभी भी नाराज है। हालांकि बीजेपी बाकी जगह भी बागियों को मनाने को लेकर आश्वस्त नजर आ रही है!

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बात करें खंडवा लोकसभा सीट की तो यहां बीजेपी और कांग्रेस ने अपने-अपने दावेदारों को नजरअंदाज किया है। बीजेपी के प्रदेशअध्यक्ष रहे नंदकुमार सिंह चौहान के बेटे हर्ष सिंह काफी समय से चुनाव की तैयारी कर रहे थे। मगर उनके बजाय यहां से ज्ञानेश्वर पाटिल को टिकट देकर पार्टी ने उन्हें नाखुश कर दिया है। यही वजह रही कि ज्ञानेश्वर पाटिल के नामांकन पत्र दाखिल करने के दौरान भी वे कहीं दिखाई नहीं दिए। दूसरी ओर कांग्रेस ने भी सीट के खाली होने के बाद से क्षेत्र में लगातार दौड़ धूप करने वाले अरुण यादव को ऐन मौके पर धत्ता बता दिया है। हालांकि अरुण यादव बाहर से पार्टी के फैसले को स्वीकार करते दिखाई दे रहे हैं, लेकिन उनकी बॉडीलैंग्वेज नहीं बता रही है।

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कुल मिलाकर 4 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में नेताओं की नाराजगी चुनावी गणित बिगाड़ सकती है.. हालांकि अभी नामांकन वापसी की तारीख 13 अक्टूबर तक है। तब तक कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही डेमेज कंट्रोल के लिए पूरी ताकत झोंक रहे है, लेकिन अगर वक्त रहते इन नाराज नेताओं को मनाय नहीं जा सका तो उपचुनाव में जीत-हार करने में अहम भूमिका निभाएंगे। ये तो तय है।

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