भोपालः मध्यप्रदेश में उपचुनाव की तारीखें आते ही एक बार फिर से दोनों दलों में दावेदारों के बीच होड़ और आलाकमान तक दौड़ शुरू हो गई है। सबसे ज्यादा घमासान खंडवा लोकसभा सीट के लिए दिखता है। यहां से कांग्रेसी खेमे में पूर्व PCC अध्यक्ष अरूण यादव की दावेदारी प्रबल है। इस दावे को और बल मिला जैसे ही दिग्विजय सिंह ने ट्वीट कर अरूण यादव को शुभकामनाएं दी। दूसरी तरफ कांग्रेस के करीबी रहे निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा भी टिकट मिलने को लेकर कॉन्फिडेंट नजर आए। चुनौतियां भाजपा के लिए भी कम नहीं है।
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खंडवा लोकसभा उप चुनाव के लिए भले ही अब तक कांग्रेस बेजेपी ने नामों का ऐलान नहीं किया हो पर दावेदारों ने इस सीट के समीकरण को गड़बड़ा दिया है। कांग्रेस के लिए यहां सबसे बड़ी परेशानी निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा ने खड़ी की है, यहां से निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा ने कहा है कि खंडवा सीट से कांग्रेस का टिकट उनकी पत्नी जयश्री को ही मिलेगा। कांग्रेस के नेता अरुण यादव के सवाल पर शेरा ने कहा कि उनका नाम कहां से तय हो गया? क्या उन्हें बी फार्म मिल गया ?
इस बीच दिग्विजय सिंह एक ट्वीट पर राजनीति गरमाई गई है। दरअसल, दिग्विजय सिंह ने अरुण यादव के खंडवा दौरे के कार्यक्रम को रिट्वीट कर उन्हें शुभकामनाएं दी है। हालांकि दिग्विजय सिंह के ट्वीट पर जब मीडिया ने सवाल पूछा तो उन्होंने हंसी में टालते हुए कहा कि टिकट तो हाईकमान तय करेगा।
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वहीं बीजेपी में भी नामो को लेकर मशक्त जारी है। एक सीट के लिए कई दिग्गज नेता मैदान में है। अगर दावेदारों की बात करे तो बीजेपी से खंडवा लोकसभा सीट- हर्षवर्धन सिंह चौहान ( सांसद स्व नंदकुमार सिंह चौहान के बेटे), कैलाश विजयवर्गीय, अर्चना चिटनीस, राजपाल सिंह तोमर का नाम चर्चा है। इधर कृष्ण मुरारी मोघे भी दावेदारी जता रहे है। वहीं कांग्रेस से अरुण यादव, सचिन बिरला, राजनारायण सिंह पुर्नी, का भी नाम चर्चाओं में है ।
विधायक सुरेंद्र शेरा ने मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा से मुलाकात की। इस मुलाकात पर नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि शेरा वर्चस्व वाले व्यक्ति हैं। संसदीय कार्यमंत्री के नाते मुझसे मुलाकात करने आए थे। खंडवा सीट पर टिकट किसको देना है ये कांग्रेस का आंतरिक मामला है। दिवंगत सांसद चौहान ने 6 बार खंडवा लोकसभा का प्रतिनिधित्व किया। पर इस बार सुरेंद्र सिंह शेरा अरुण यादव के लिए मुसीबत बने हुए है। सुरेंद्र सिंह शेरा हैं तो निर्दलीय विधायक लेकिन तत्कालीन कमलनाथ की सरकार को वह समर्थन देते रहे हैं। इसी वजह से उन्हें तत्कालीन सरकार में मंत्री बनाने का भी भरोसा मिला था। शेरा ने अपनी दावेदारी से कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं।