भोपाल: मध्यप्रदेश में उपचुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया है। ऐलान होते ही दोनों ही दलों ने अपनी-अपनी जीत के दावे किए है। दोनों ही दल उपचुनाव को 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश में सत्ता का सेमीफाइनल मान रहे है। सीएम शिवराज सिंह ने चुनाव की पूरी तैयारी होने का दावा करते हुए कहा कि सरकार के जन कल्याणकारी कार्यों को लेकर जनता से बीच जाएंगे। इधर कमलनाथ ने भी दावा किया है कि दमोह उपचुनाव की तर्ज पर चारों उपचुनाव प्रचंड मतों से जीतेंगे।कांग्रेस ने दमोह मॉडल पर चारों उपचुनाव लड़ने की बात कही है। सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में अनुसूचित जनजाति क्षेत्र में जयस संगठन और गोंगपा की बढ़ती सक्रियता से बीजेपी चिंतित नजर आई।
मध्यप्रदेश में उपचुनाव के लिए चुनावों की तारीख ऐलान होते ही कांग्रेस बीजेपी ने दम दिखाना शुरु कर दिया है दोनों ही दलों में टिकट के दावोदारों की लंबी लाइन लगने की तैयारी है। इसके अलावा टिकट नहीं मिलने पर बगावती तेवर भी देखने को मिल सकते है। चुनाव आयोग भी अपनी तैयारियों के तहत बूथ स्तर पर तैनाती और मतदाताओं को लेकर जरूरी दिशानिर्देश भी जल्द ही जारी कर सकता है। चुनाव आयोग के कार्यक्रम के अनुसार 30 अक्टूबर को उपचुनाव के लिए वोटिंग होगी और 2 नवंबर को मतगणना होगी।
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कोरोना काल में हो रहे इन चुनाव को लेकर कांग्रेस और बीजेपी के सामने कई चुनौतीयां है मध्य प्रदेश में कोरोना संक्रमण के मामले भले ही पहले की अपेक्षा कम हो गए हैं। लेकिन उपचुनाव पर कोरोना का साया देखने को मिलेगा। संक्रमण फैलने की आशंका को देखते हुए पोलिंग बूथ पर चुनाव आयोग द्वारा विशेष इंतजाम किए जा सकते हैं। मध्य प्रदेश में हो रहे तीन विधानसभा सीट और खंडवा लोकसभा को दोनों ही दल उपचुनाव को 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश में सत्ता का सेमीफाइनल मान रहे है। इन चुनावों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की परीक्षा होगी जंहा दोनों एक बार फिर चुनाव मैदान में आमने-सामने होंगे। बीजेपी विकास को आगे रखकर ही वोट मांगेगी। इसके लिए नारा दिया है- शिवराज सरकार, भरोसा बरकरार।
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खंडवा लोकसभा सीट BJP सांसद नन्द कुमार सिंह चौहान के निधन से खाली हुई है। इसके अलावा पृथ्वीपुर विधानसभा सीट कांग्रेस पूर्व मंत्री ब्रजेन्द्र सिंह राठौर के निधन से खाली हुई। जोबट विधानसभा सीट कांग्रेस के कलावती भूरिया के निधन से खाली हुई, जबकि रैगांव विधानसभा सीट BJP जुगल किशोर बागरी के निधन से खाली हुई। इन सीटों पर कांग्रेस शिवराज सरकार के कोरोना काल से लेकर कमलनाथ सरकार के 15 महीने के मुद्दे पर चुनाव में है तो बीजेपी के सामने प्रत्याशी चयन सबसे बड़ी चुनौती है। वहीं कांग्रेस को जनता से सीधे संवाद के माध्यम से दमोह उपचुनाव जीत के मॉडल पर भरोसा है। इसी पैटर्न को आने वाले उपचुनावों में भी लागू किया जाएगा।
बीजेपी के लिए दमोह उपचुनाव में हार के घाव अब भी ताजे हैं। यही वजह है की बीजेपी ने इन उप चुनाव में विधानसभा की 3 सीटें,के लिए मंत्री वंही खंडवा संसदीय चुनाव क्षेत्र में आठ विधानसभा सीट पर बीजेपी ने हर सीट के लिए एक कैबिनेट मंत्री को नियुक्त किया है, जिनके साथ संगठन के कुछ नेताओं को लगाया गया है। मंत्री सहित 40 बड़े नेताओ को चुनाव जिताने की जिम्मेमदारी दी है ये सीएम शिवराज का मॉडल है। वहीं कांग्रेस नेता कमल नाथ ने शिवराज के मॉडल को टक्कर देने के लिए, हर विधानसभा सीट पर 10 कांग्रेस विधायकों को नियुक्त किया है। कोरोना के बाद प्रदेश के हालात बदले है कोरोना की दूसरी लहर का असर अब तक मध्य प्रदेश में है, ऐसे में ये चुनाव शिवराज सरकार के लिए बोर्ड की परीक्षा की तरह है।
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