कूनो राष्ट्रीय उद्यान में नये परिवेश में कदम रखने से पहले सहमे दिखे चीते

कूनो राष्ट्रीय उद्यान में नये परिवेश में कदम रखने से पहले सहमे दिखे चीते

कूनो राष्ट्रीय उद्यान में नये परिवेश में कदम रखने से पहले सहमे दिखे चीते
Modified Date: November 29, 2022 / 08:36 pm IST
Published Date: September 17, 2022 8:53 pm IST

श्योपुर (मप्र), 17 सितंबर (भाषा) मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले स्थित कूनो राष्ट्रीय उद्यान में लगभग 8,000 किलोमीटर दूर नामीबिया से हवाई मार्ग से लाये गये चीते अपने नये परिवेश में यहां कदम रखने से पहले सहमे नजर आये। हालांकि, बाद में वे सुरक्षा के लिहाज से तैयार किये गये विशेष बाड़े में विचरण करने लगे।

भारत में चीतों को विलुप्त घोषित किए जाने के सात दशक बाद उन्हें देश में फिर से बसाने की परियोजना के तहत नामीबिया से यहां आठ चीतों को हवाई मार्ग से लकड़ी के पिंजरों में अर्द्ध बेहोश कर शनिवार को लाया गया था और इनमें से तीन चीतों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत में अपने नए बसेरे कूनो राष्ट्रीय उद्यान के विशेष बाड़ों में आज दिन में करीब 11.30 बजे छोड़ा, जबकि बाकी पांच को अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने छोड़ा।

मालूम हो कि नामीबिया से उड़ान भरने से पहले दुनिया में जमीन पर सबसे तेज दौड़ने वाले इन चीतों को ‘ट्रैंक्विलाइज़र’ दिया गया जिसका असर तीन से पांच दिनों तक रहता है।

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इनको पिंजरों से विशेष बाड़े में छोड़ने के लिए करीब 10 फीट ऊंचा एक प्लेटफॉर्मनुमा मंच बनाया गया था, जहां से मोदी ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मौजूदगी में इन्हें लीवर घुमाकर पिंजरे से निकाला, जो मंच के ठीक नीचे रखे गये थे।

जैसे-जैसे मोदी लीवर घुमा रहे थे, पिंजरे का दरवाजा धीरे-धीरे खुलता जा रहा था। पहले पिंजरे का दरवाजा खुलने पर इसमें बैठा चीता कुछ देर तक अंदर ही रहा। इसके तुरंत बाद दूसरे पिंजरे का दरवाजा भी इसी लीवर को घुमाकर खोला गया और इसमें रखे हुए चीते ने अपने नये परिवेश को निहारते हुए धीरे-धीरे कूनो राष्ट्रीय उद्यान में बने अपने विशेष बाड़े में कदम रख दिया।

इसके कुछ देर बाद, पहला चीता भी उसी विशेष बाड़े में आ गया, जिसके पिंजरे का दरवाजा सबसे पहले खुला था ।

इसके बाद दोनों चीते वहां विचरण करने लगे और इनमें से एक चीता दौड़ते हुए एक पेड़ के पास जाकर खड़ा हो गया। मोदी एवं चौहान उन्हें निहारते रहे। उन्होंने ताली बजाकर इन चीतों का भारत की भूमि पर स्वागत किया।

प्रधानमंत्री मोदी ने इस एतिहासिक पलों को अपने कैमरे में कैद भी किया।

इसके बाद मोदी ने तीसरे चीते को इस उद्यान के दूसरे विशेष बाड़े में, जबकि बाकी पांच को अन्य चीतों को अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने अन्य विशेष बाड़ों में छोड़ा।

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि नामीबिया से लाये गये चीतों में से दो भाई हैं।

उन्होंने कहा कि मुक्त होते ही चीते सुरक्षा के लिहाज से तैयार किये गये विशेष बाड़ों में विचरण करने लगे।

सूत्रों के अनुसार अंतर्राष्ट्रीय दिशानिर्देशों के अनुसार पृथक-वास अवधि खत्म होने के बाद उन्हें जंगल में स्वच्छंद विचरण के लिये आजाद किया जायेगा।

मालवाहक बोइंग विमान ने शुक्रवार रात को नामीबिया से उड़ान भरी थी और लगभग 10 घंटे की लगातार यात्रा के दौरान चीतों को लकड़ी के बने विशेष पिंजरों में पहले ग्वालियर और फिर यहां लाया गया।

इन चीतों की उम्र 30 महीने से 66 महीने के बीच है। नामीबिया से कूनो राष्ट्रीय उद्यान लगभग 8,000 किलोमीटर दूर है।

प्रधानमंत्री मोदी ने देशवासियों से आग्रह करते हुए कहा कि कूनो राष्ट्रीय उद्यान में छोड़े गए चीतों को देखने के लिए देशवासियों को कुछ महीने का धैर्य पूर्वक इंतजार करना होगा।

उन्होंने कहा कि ये चीते हमारे मेहमान बनकर आए हैं, इस क्षेत्र से अनजान हैं। कूनो राष्ट्रीय उद्यान को ये चीते अपना घर बनायें, इसके लिए हमें इन चीतों को कुछ महीने का समय देना होगा।

उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय दिशानिर्देर्शों का पालन करते हुए कूनो राष्ट्रीय उद्यान में इन चीतों को बसाने के पूरे प्रबंध किये गये हैं।

भाषा रावतरावत रावत रंजन

रंजन


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