Chunavi Chaupal in Khargone
Chunavi Chaupal in Khargone साल 2023 मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के लिए बेहद ही खास रहने वाला है। इस साल दोनों राज्यों में विधानसभा चुनाव होने को है। दोनों राज्यों के राजनीतिक पार्टियों ने इन दोनों राज्यों में चुनावी तैयारियों में जुट गई है। जनता को रिझाने की कोशिश राजनीतिक पार्टियां कर रही है। स्थानीय विधायक के काम और क्षेत्र के विकास और मुद्दे भी किसी सीट के परिणाम पर खास असर डालती है। ऐसे में जनता का नब्ज टटोलने आज हम पहुंचे हैं मध्यप्रदेश के खरगोन विधानसभा सीट पर..
Chunavi Chaupal in Khargone खरगोन सफेद सोने यानी कपास के व्यवसाय के लिये मशहूर है। देश के उत्तर व दक्षिण प्रदेशों को जोड़ने वाले प्राकृतिक मार्ग पर बसा यह क्षेत्र सदैव ही महत्वपूर्ण रहा है। इतिहास के विभिन्न कालखण्डों में यह क्षेत्र – महेश्वर के हैहय, मालवा के परमार, असीरगढ़ के अहीर, माण्डू के मुस्लिम शासक, मुगल और पेशवा व अन्य मराठा सरदारों- होल्कर, शिंदे, पवार के साम्राज्य का हिस्सा रहा है।
मध्यप्रदेश के खरगोन विधानसभा सीट की सियासत किसी एक पार्टी तक ही सीमित नहीं है। यहां के लोगों ने बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों पर अपना भरोसा जताया है। अब तक हुए चुनाव में यहां यहां पर 8 बार कांग्रेस तो 4 बार बीजेपी को जीत मिली है। 2018 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो यहां बीजेपी के बालकृष्ण पाटीदार का मुकाबला कांग्रेस के रवि रमेशचंद्र जोशी के बीच मुकाबला था। इसमें कांग्रेस उम्मीदवार को 88208 मत पाकर जीत हासिल हुई। बीजेपी उम्मीदवार को 78696 वोट मिले। 1998 के बाद 2018 में कांग्रेस को पहली बार जीत मिली थी।
Chunavi Chaupal in Khargone 2013 के चुनाव में बीजेपी के बालकृष्ण पाटीदार ने कांग्रेस के रवि रमेशचंद्र जोशी को 6 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था। इस चुनाव में बालकृष्ण पाटीदार को 74519 वोट मिले थे तो वहीं रवि रमेश चंद्र जोशी को 67694 वोट मिले थे। 2008 के चुनाव की बात करें तो इस बार भी बालकृष्ण पाटीदार ने जीत दर्ज की थी। उन्होंने कांग्रेस के रामलाल सीताराम पाटीदार को 24 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था। बालकृष्ण को इस चुनाव में 59693 वोट मिले थे तो वहीं कांग्रेस के रामलाल सीतराम को 34943 वोट मिले थे।
विकास के सवाल पर एक स्थानीय मतदाता ने कहा कि पिछले 4 सालों में यहां किसी भी प्रकार के काम नहीं हुए है। सिर्फ सड़के उखड़ती रही। ये सिलसिला 4 सालों तक चलता रहा। खरगोन में मेडिकल कॉलेज, कृषि कॉलेज नहीं है, लेकिन स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ साथ सरकार ने कोई ध्यान नहीं है। 2023 में हमें ऐसा प्रत्याशी चाहिए, जो खरगोन की जनता के विकास की बात करें।
एक स्थानीय अधिवक्ता ने कहा कि विपक्ष के विधायक होने के कारण यहां विकास के काम नहीं हुए हैं। जिला न्यायालय की मांग वर्षों से रही है, लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई पहल नहीं किया गया। एक मतदाता ने कहा कि कांग्रेस और भाजपा दोनों पार्टी के विधायक को 3 करोड़ रुपए दिए जाते है, लेकिन भाजपा के लोग अच्छा काम कर पाते हैं और कांग्रेस के विधायक नहीं कर पाते हैं। यहां बाईपास की मांग बर्षों से रही है, लेकिन अभी तक पूरा नहीं हो पाया है।
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