कांग्रेस ने मप्र में भाजपा सरकार की ‘किसान विरोधी’ नीतियों के लिए आलोचना की
कांग्रेस ने मप्र में भाजपा सरकार की 'किसान विरोधी' नीतियों के लिए आलोचना की
भोपाल, 16 दिसंबर (भाषा) मध्यप्रदेश में विपक्षी दल कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार पर ‘किसान विरोधी’ नीतियों में शामिल होने का आरोप लगाया और कहा कि सत्ताधारी पार्टी का चुनावी घोषणापत्र ‘झूठ का पुलिंदा’ साबित हुआ है।
वरिष्ठ कांग्रेस विधायक और पूर्व राज्य कृषि मंत्री सचिन यादव ने मंगलवार को यहां पत्रकारों से बात करते हुए दावा किया कि भाजपा सरकार वादे तोड़ती है, किसानों को लूटती है और कंपनियों और बिचौलियों के फायदे के लिए काम करती है।
उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी का चुनावी घोषणापत्र किसानों के लिए झूठ का पुलिंदा साबित हुआ है।
यादव ने कहा, ‘भाजपा ने किसानों से 10 घंटे बिना रुकावट बिजली, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एम एस पी) के अनुसार सोयाबीन की खरीद का वादा किया था। उसने यह भी कहा था कि उनकी सरकार गेहूं 2,700 रुपये प्रति क्विंटल और धान 3,100 रुपये प्रति क्विंटल पर खरीदेगी।’
उन्होंने आरोप लगाया कि लेकिन असल में, ग्रामीण इलाकों में बिना बताए बिजली कटौती होती है तथा 2025 में सोयाबीन की सरकारी खरीद बंद हो गई है, और गेहूं की घोषित कीमत और खरीद गारंटी दोनों गायब हैं।
यादव ने कहा कि रबी और खरीफ दोनों फसलों में खाद संकट के कारण किसानों को मुश्किल समय का सामना करना पड़ रहा है।
यादव ने आरोप लगाया कि राज्य में मंडी व्यवस्था को खत्म करने की साजिश रची जा रही है।
उन्होंने कहा, ‘मंडी बोर्ड पर राज्य सरकार का 1,700 करोड़ रुपये बकाया है और कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं मिल रहा है। राज्य की 259 मंडियों में से 150 में सचिव नहीं हैं।
कांग्रेस नेता ने कहा कि प्रत्येक सचिव चार से पांच मंडियों का प्रभारी है, और उनके कार्यस्थल की दूरी औसतन 100 किलोमीटर है।
उन्होंने कहा, ‘इतनी गंभीर स्थिति के बावजूद, सरकार ने मंडी बोर्ड से अतिरिक्त 1,500 करोड़ रुपये की मांग की। कृषि मंत्री ऐदल सिंह कंसाना ने खुद इसका विरोध किया है… यह मंडी व्यवस्था को आर्थिक रूप से कमजोर करने की साज़िश है’।
यादव ने आरोप लगाया कि प्याज किसानों को दो रुपये प्रति किलो भी कीमत नहीं मिल रही है और ट्रैक्टर ट्रॉली का किराया भी न निकल पाने के कारण उन्हें अपनी फसल फेंकने पर मजबूर होना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि बुरहानपुर में केले के किसान भी इसी तरह अपनी फसल का सही बाज़ार भाव न मिलने से परेशान हैं, जबकि सरकार ने जानबूझकर केले को फसल बीमा से बाहर रखा है। यह बुरहानपुर के हज़ारों किसानों के साथ एक नीतिगत अन्याय है।
यादव के अनुसार, कमलनाथ के नेतृत्व में मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार डेढ़ साल तक चली, लेकिन उस दौरान किसानों को सुरक्षा, सम्मान और स्थिरता मिली।
उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस सरकार की ‘जय किसान ऋण मुक्ति योजना’ के तहत, किसानों के दो लाख रुपये तक के फसल ऋण माफ किए गए और दस हॉर्स पावर तक के बिजली बिल आधे कर दिए गए।”
भाषा दिमो नोमान
नोमान

Facebook



