शह मात The Big Debate: मालेगांव केस.. खत्म हुआ ‘खेल’, भगवा आतंक वाला प्रोपेगेंडा फेल! आखिर मालेगांव बम धमाकों के असली गुनहगार कहां है?
मालेगांव केस.. खत्म हुआ 'खेल', भगवा आतंक वाला प्रोपेगेंडा फेल! Court acquitted all seven accused in the Malegaon bomb blast
भोपालः मालेगांव केस पर फैसले ने उस सच को उजागर किया, जिस पर साजिशों का कुहासा था। कुहासा एक प्रोपेगेंडा और एक हवाई थ्योरी की। भगवा को बदनाम करने की। इस कोशिश में क्या-क्या नहीं हुआ पर आखिर में जिन्हें आतंकी कहकर बार-बार अपमानित और प्रताड़ित किया गया वो बरी हो गए। इसे लेकर आज मध्यप्रदेश में पूरे दिन राजनीति गर्म रही। प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आई। मध्यप्रदेश वो राज्य है, जहां से साध्वी प्रज्ञा आती हैं, जिन पर लांछन लगा था। इसी प्रदेश के कई सियासतदानों ने भगवा आतंक जैसे जुमलों को बार-बार इस्तेमाल किया।
साध्वी प्रज्ञा ठाकुर समेत मालेगांव बम धमाकों के सातों आरोपियों को कोर्ट ने बरी कर दिया है। कोर्ट ने ये माना है कि बम धमाकों में इनका कोई कनेक्शन नहीं था। एनआईए स्पेशल कोर्ट का फैसला ये इशारा कर रहा है कि महाराष्ट्र एटीएस और एनआईए की जांच में जमीन आसमान का अंतर था। कोर्ट का ये फैसला उस वक्त आया जब मध्यप्रदेश में विधानसभा का मानसून सत्र चल रहा था। फैसले की खबर मिलते ही बीजेपी सरकार के मंत्री राकेश सिंह ने सदन के भीतर क्या दावा कि मालेगांव मामले में फैसले के बाद हिंदू आतंकवाद जैसी थ्योरी ध्वस्त हो गई है। भगवा आतंकवाद को लेकर ये सिर्फ राकेश सिंह के मन की ही बात नहीं, बल्कि बीजेपी के तमाम नेताओं ने विधानसभा में भगवा आतंकवाद की थ्योरी की धज्जियां उडाते हुए कांग्रेस को
कठघरे में खड़ा कर दिया और मुख्य निशाने पर दिग्विजय सिंह आए।
इधर फैसले के बाद भी कांग्रेस ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर पर अपना रुख नहीं बदला और जांच एजेंसी से लेकर अदालत पर भी सवाल उठाए। इस फैसले की गूंज ना सिर्फ महाराष्ट्र से लेकर एमपी तक, बल्कि बिहार चुनाव में तय है।

Facebook



