MP News: बच्चों की मौत का मामला, पूर्व सीएम ने खांसी की दवा में मिलावट को बताया जिम्मेदार, MP सरकार पर साधा निशाना
Death of children: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ ने मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में संदिग्ध तौर पर किडनी की बीमारी से ग्रस्त बच्चों की मौत के लिए खांसी की दवाओं में ‘‘ब्रेक ऑयल सॉल्वेंट की मिलावट’’ को जिम्मेदार बताते हुए शुक्रवार को राज्य सरकार पर निशाना साधा।
Death of children
- बच्चों की दवा में खुलेआम हो रही जहरीली मिलावट : कमलनाथ
- शुरुआती लक्षणों में तेज बुखार और पेशाब करने में तकलीफ
- दो संदिग्ध सिरप पर लगा दिया गया प्रतिबंध
छिंदवाड़ा : Death of children, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ ने मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में संदिग्ध तौर पर किडनी की बीमारी से ग्रस्त बच्चों की मौत के लिए खांसी की दवाओं में ‘‘ब्रेक ऑयल सॉल्वेंट की मिलावट’’ को जिम्मेदार बताते हुए शुक्रवार को राज्य सरकार पर निशाना साधा।
मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि ये मौतें कानून-व्यवस्था और प्रशासनिक तंत्र की पूरी तरह से विफलता को दर्शाती हैं। एक अधिकारी ने बताया कि बृहस्पतिवार रात पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र के नागपुर में दो बच्चों की मौत के बाद इस मामले में मृतक बच्चों की संख्या नौ हो गई। अधिकारी ने बताया कि वर्तमान में 13 बच्चों का उपचार किया जा रहा है, जिनमें से आठ छिंदवाड़ा और पांच नागपुर में भर्ती हैं। उन्होंने बताया कि नागपुर में भर्ती पांच बच्चों में से तीन ‘डायलिसिस’ पर हैं।
कमलनाथ (78) ने ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा, ‘‘छिंदवाड़ा में विषाक्त कफ सिरप पीने से अब तक सात बच्चों की दुखद मृत्यु हो चुकी है। अब जो तथ्य सामने आ रहे हैं उससे पता चल रहा है कि छिंदवाड़ा और मध्यप्रदेश में बच्चों की जिंदगी से खुलेआम खिलवाड़ किया जा रहा है। यह झकझोर देने वाली जानकारी है कि कफ सिरप में ब्रेक ऑयल सॉल्वेंट मिलाया जा रहा है, जो अत्यंत जहरीला है।’’
बच्चों की दवा में खुलेआम हो रही जहरीली मिलावट
Death of children, उन्होंने कहा, ‘‘बच्चों की दवा में इस तरह की जहरीली मिलावट खुलेआम हो रही है और उस पर किसी तरह का अंकुश समय रहते नहीं लगाया गया, यह बताता है कि प्रदेश में कानून व्यवस्था और प्रशासन जैसी कोई चीज नहीं है।’’ उन्होंने यह भी कहा कि उनकी सरकार ने (दिसंबर 2018 से मार्च 2020 के बीच) दवाओं और खाद्य पदार्थों में मिलावट के खिलाफ ‘‘शुद्ध के लिए युद्ध’’ अभियान चलाया था।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं सरकार से मांग करता हूं कि प्रदेश में बिक रही सभी तरह की दवाओं पर सख्ती से निगरानी रखी जाए और यही नहीं खाने पीने के सभी सामानों की शुद्धता को सुनिश्चित करने के लिए विशेष अभियान चलाया जाए।’’ अधिकारी ने बताया, ‘‘अधिकांश मौतें तामिया और आसपास के कोयलांचल इलाकों में हुई हैं, जो जिला मुख्यालय से लगभग 55 किलोमीटर दूर हैं। मृतक बच्चों की पहचान शिवम (नौ), विधि (छह), अदनान (छह), उसैद (नौ), ऋषिका (10), हेतांश (11), विकास (नौ), चंचलेश (आठ) और संध्या भोसम (सात) के रूप में हुई है।’’
शुरुआती लक्षणों में तेज बुखार और पेशाब करने में तकलीफ
कार्यवाहक मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) नरेश गुन्नाडे ने बताया कि संक्रमण का पहला संदिग्ध मामला 24 अगस्त को सामने आया था, जिसके बाद सात सितंबर को पहली मौत हुई। अधिकारियों ने बताया कि शुरुआती लक्षणों में तेज बुखार और पेशाब करने में तकलीफ शामिल है। परासिया के उप-विभागीय मजिस्ट्रेट (एसडीएम) सौरभ कुमार यादव ने शुक्रवार को संवाददाता सम्मेलन में बताया कि पिछले माह इलाज करा चुके 4,658 बच्चों के नमूने एकत्र किए गए है, जिनमें से 4,411 सामान्य पाए गए हैं।
यादव ने कहा, ‘‘जिन बच्चों को अस्पताल से छुट्टी दी जा रही है, उनके नमूनों की भी जांच की जा रही है और अन्य रिपोर्टों का इंतजार है। स्वास्थ्य विभाग ने ‘कॉम्बिनेशन सिरप’ की बिक्री पर तुरंत प्रतिबंध लगा दिया है और दवाओं की सभी दुकानों और फार्मासिस्ट को सतर्क कर दिया है।’’ ‘कॉम्बिनेशन सिरप’ का मतलब होता है ऐसे खांसी की दवा जो एक से ज्यादा दवाइयां मिलाकर बनाई जाती हैं। ये सिरप कई तरह की समस्याओं जैसे खांसी, जुकाम, बुखार, गले में खराश आदि को एक साथ ठीक करने के लिए तैयार किए जाते हैं।
दो संदिग्ध सिरप पर लगा दिया गया प्रतिबंध
छिंदवाड़ा के नवनियुक्त जिलाधिकारी हरेंद्र नारायण ने दिन में ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि दो संदिग्ध सिरप पर प्रतिबंध लगा दिया गया है और इन सिरप के साथ-साथ पीड़ितों के घरों से मिले सिरप के नमूने जांच के लिए भेजे गए हैं। छिंदवाड़ा के पूर्व जिलाधिकारी एवं नगरीय विकास एवं आवास विभाग में अतिरिक्त सचिव शीलेंद्र सिंह ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि सरकारी चिकित्सकों को सक्रिय रहने और बीमारी के लक्षण वाले बच्चों की बेहतर देखभाल करने के निर्देश दिए गए हैं।
सिंह ने कहा, ‘‘गंभीर मरीजों को नागपुर स्थित एम्स भेजा जाएगा और जरूरत पड़ने पर मध्यप्रदेश की ‘पीएम श्री एयर एम्बुलेंस सेवा’ का इस्तेमाल किया जाएगा।’’ जिला अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. दीपक पटेल के अनुसार, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर), नयी दिल्ली की एक टीम ने प्रभावित क्षेत्रों का सर्वेक्षण किया है और नमूने एकत्र किए हैं, जबकि राज्य स्वास्थ्य विभाग की एक टीम ने क्षेत्र से पानी के नमूने परीक्षण के लिए पुणे प्रयोगशाला में भेजे हैं।

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