Imprisonment for the director and accused of Kabir Ashram who raped a deaf woman
देवास। मूक बधिर महिला के साथ दुष्कर्म के मामले में न्यायलय ने कबीर आश्रम के संचालक और आरोपियों को 10-10 वर्ष का सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। शर्मसार करने वाले मामले को IBC 24 ने प्रमुखता से दिखाया था। सीएम ने इस गंभीर मामले को संज्ञान में लिया, जिसके बाद जिला प्रशासन की बड़ी कार्रवाई हुई थी। इतना ही नहीं राष्टीय महिला आयोग अध्यक्ष रेखा शर्मा ने मामले को संज्ञान में लेकर IBC की खबर को किया ट्वीट उचित कार्यवाही के लिए शासन को उचित कार्यवाही के निर्देश भी दिए थे।
मंदबुद्धि महिला के साथ कुकृत्य करने के मामले में कबीर आश्रम के संचालक अभियुक्त मंगलनाम को 2 माह व सहपठित को 10-10 वर्ष का सश्रम कारावास की सजा दी गई है। बता दे आश्रम की आड़ में मानसिक व शारीरिक अक्षमता का लाभ उठाकर शर्मनाक कांड करना पाया गया। प्रकरण में प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश ने 3 आरोपियों को 376(2) N में 5-5 हजार रुपये दंडित किये है। इस IBC 24 की खबर को प्रमुखता से दिखाने के बाद तत्कालीन एसपी डॉ शिव दयाल सिंह ने एसपी ऑफिस पर तत्काल बैठक कर कलेक्टर व अन्य प्रशासनिक अधिकारियों के साथ निर्णय लेकर कबीर आश्रम पर बड़ी करवाई करते हुए आरोपियों को गिरफ्तार किया था ।
दअरसल, दिनांक 07.11.20 को किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा पीड़िता को जिला चिकित्सालय देवास लावारिस छोड़ दिया गया था, जहां डॉ. द्वारा पीड़िता का परीक्षण कर यह अभिमत दिया गया कि वह बहुविकलांग है, जिसके बाद मूक-बधिर विशेषज्ञ द्वारा पीड़िता की काउंसलिंग करवाई गई और विशेषज्ञ द्वारा पीड़िता के इशारे तथा भाव-भंगिमा समझकर बताई गई घटना को समझा गया। मेडिकल परीक्षण के दौरान ज्ञात हुआ, कि मूक-बधिर पीड़िता की मानसिक व शारिरीक अक्षमता का लाभ उठाकर किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा कुकृत्य किया गया है, जिस कारण वह गर्भवती हुई है। मामले में बीएनपी थाना देवास द्वारा अज्ञात व्यक्ति के विरूद्ध अपराध क्रमांक 587/20 पंजीबद्ध कर प्रकरण का जांच शुरू की। जांच के दौरान अभियुक्त मंगलनाम द्वारा संचालित कबीर आश्रम जामगोद एवं चूना खदान देवास से समब्द्ध व्यक्तियों के डीएनए परीक्षण करवाए गए।
जांच के दौरान ही अभियोक्त्री की पुन: काउंसलिंग करवाई गई और संदेहियों के फोटोग्राफ एक टेबिल पर रखकर पीड़िता से पहचान करवाई गई। पीड़िता ने आरोपियों को पहचानकर बताया जिन्होंने उसके साथ एक से अधिक बार बलात्कार किया। पीड़िता की नवजात पुत्री का डीएनए परीक्षण कराया गया और एफएसएल से प्राप्त प्रतिवेदन के अनुसार, अभियुक्त भारत राव ही पीड़िता की नवजात पुत्री का जैविक पिता पाया गया। कबीर आश्रम के संचालक मंगलनाम को अभियुक्तगण द्वारा अभियोक्त्री के साथ बलात्संग की जानकारी होने के बावजूद पुलिस को जानकारी नहीं दी गई और उसके द्वारा कबीर आश्रम चूना खदान देवास को बिना किसी वैध रजिस्ट्रीकरण प्रमाण पत्र के संचालित किया जाना पाया गया।
यह सब माननीय न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया। उक्त प्रकरण गंभीर जघन्य सनसनीखेज की श्रेणी में चिन्हित था, जिसमें प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश, जिला देवास द्वारा निर्णय पारित कर अभियुक्त मंगलनाम सैंधव को भादंसं की धारा 202 में 02 माह का सश्रम कारावास व 1000/- तथा दिव्यांगजन अधिनियम की धारा 50 सहपठित धारा 89 में 4000/- रूपये जुर्माना तथा अभियुक्तगण भारतसिंह राव, दलपसिंह ऊर्फ दलब एवं मिथुन चौरिसया को भादंसं की धारा 376(2)(एन) में 10-10 वर्ष का सश्रम कारावास व 5000-5000 रूपये के जुर्माने से दंडित किया गया। उक्त प्रकरण में शासन की ओर से अभियोजन का सफल संचालन जगजीवनराम सवासिया एवं अलका राणा, सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी, जिला देवास द्वारा किया गया तथा प्रकरण की विवेचना ज्योति पाटीदार, उपनिरीक्षक, थाना प्रभारी मुकेश इजारदार, निरीक्षक आर.सी. कल्थिया एवं निरीक्षक लीला सोलंकी द्वारा की गई तथा कोर्ट मोहर्रिर आरक्षक शंकर पटेल का सहयोग रहा। IBC24 से मोहनीश वर्मा की रिपोर्ट