कूनो में चीतों की कुनबे में बढ़ोतरी, नामीबिया से आई सियाया ने दिया चार बच्चों को जन्म

कूनो में चीतों की कुनबे में बढ़ोतरी, नामीबिया से आई सियाया ने दिया चार बच्चों को जन्मः Female cheetah from Namibia gave birth to four cubs

कूनो में चीतों की कुनबे में बढ़ोतरी, नामीबिया से आई सियाया ने दिया चार बच्चों को जन्म
Modified Date: March 29, 2023 / 03:29 pm IST
Published Date: March 29, 2023 2:45 pm IST

भोपाल : नामीबिया से भारत लाए गए चीतों में से एक चीते ने चार शावकों को जन्म दिया है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने बुधवार को यह जानकारी दी। यादव ने ‘अमृत काल’ के दौरान भारत के वन्यजीव संरक्षण इतिहास में इसे महत्वपूर्ण पल बताया। यादव ने ट्वीट किया, ‘‘मुझे यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व के तहत 17 सितंबर 2022 को भारत लाए गए चीतों में से एक मादा चीते ने चार शावकों को जन्म दिया है।’’ मंत्री ने पारिस्थितिकी के लिहाज से अतीत में की गई गलतियों को सुधारने और चीतों को भारत लाने के अथक प्रयासों के लिए ‘प्रोजेक्ट चीता’ की पूरी टीम को बधाई दी।

Read More : Karnataka Chunav 2023: अब ये लोग भी घर बैठे डाल सकेंगे वोट, जानें चुनाव आयोग की वोट फ्रॉम होम की खास सुविधा और प्रक्रिया

वहीं  मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट किया कि माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी आपकी प्रेरणा और सफल प्रयासों से चीता की सुखद वापसी भारत में हुई है। मध्यप्रदेश चीता स्टेट बना है। आज कूनो नेशनल पार्क में चीता परिवार में चार नये शावकों के आगमन से हम समस्त मध्यप्रदेशवासी हर्षित एवं आनंदित हैं। उन्होंने कहा कि यह हमारे लिए अत्यंत आनंददायी है कि कूनो में चीता परिवार बढ़ रहा है। वन विभाग, कूनो नेशनल पार्क, स्थानीय प्रशासन के सफल प्रबंधन से सुखद परिणाम मिले हैं।

 ⁠

Read More : Dhar News: लापरवाही पड़ी भारी… 2 बच्चों की दर्दनाक मौत, रोंगटे खड़े कर देगी वजह 

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नामीबिया से लाए गए पांच मादा और तीन नर चीतों को पिछले साल 17 सितंबर को अपने 72वें जन्मदिन पर मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में छोड़ा था।  दक्षिण अफ्रीका से लाकर 18 फरवरी को भी कूनो में 12 अन्य चीतों को छोड़ा गया था। भारत में अंतिम चीते की मृत्यु वर्तमान छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में 1947 में हुई थी और भूमि पर सबसे तेज दौड़ने वाले जानवर को 1952 में देश में विलुप्त घोषित किया गया था।


लेखक के बारे में

सवाल आपका है.. पत्रकारिता के माध्यम से जनसरोकारों और आप से जुड़े मुद्दों को सीधे सरकार के संज्ञान में लाना मेरा ध्येय है। विभिन्न मीडिया संस्थानों में 10 साल का अनुभव मुझे इस काम के लिए और प्रेरित करता है। कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रानिक मीडिया और भाषा विज्ञान में ली हुई स्नातकोत्तर की दोनों डिग्रियां अपने कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ने के लिए गति देती है।