Mughal emperor Akbar’s cap : इस हिंदू संत को अकबर ने भी माना था अपना गुरु, आज भी रखी हुई है मुगल बादशाह की टोपी

गंगा दास की बड़ी शाला में सुरक्षित है मुगल सम्राट के सिर का ताज...Mughal emperor Akbar's cap: The crown of the head of the Mughal emperor

Mughal emperor Akbar’s cap : इस हिंदू संत को अकबर ने भी माना था अपना गुरु, आज भी रखी हुई है मुगल बादशाह की टोपी

Mughal emperor Akbar's cap | Image Source| IBC24


Reported By: Nasir Gouri,
Modified Date: February 12, 2025 / 03:04 pm IST
Published Date: February 12, 2025 2:59 pm IST

ग्वालियर : Mughal emperor Akbar’s cap :  मध्यप्रदेश का ऐतिहासिक शहर ग्वालियर अपने गौरवशाली अतीत के लिए न केवल देश बल्कि विदेशों में भी प्रसिद्ध है। यहां कई राजाओं ने शासन किया और अपने निशानियां छोड़ीं। गंगा दास की बड़ी शाला भी इन्हीं ऐतिहासिक धरोहरों में से एक है, जहां आज भी मुगल सम्राट अकबर की टोपी सुरक्षित रखी हुई है। यह टोपी अकबर ने ग्वालियर के संत परमानंद दास महाराज को भेंट की थी, जिनसे वह अत्यधिक प्रभावित था।

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ग्वालियर और अकबर का गहरा संबंध

Mughal emperor Akbar’s cap :  मुगल सम्राट अकबर का ग्वालियर से विशेष लगाव था। कहा जाता है कि गंगादास की बड़ी शाला के महंत परमानंद दास महाराज को अकबर ने अपना गुरु माना था। अकबर ने सम्मान स्वरूप उन्हें टोपी और वस्त्र दान में दिए, जो आज भी बड़ी शाला में सुरक्षित रखे हैं।

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जब अकबर ने परमानंद दास महाराज से मांगी माफी

Mughal emperor Akbar’s cap :  ग्वालियर किले पर उस समय अकबर की सेना थी, जबकि राजधानी आगरा थी। कहा जाता है कि जब परमानंद दास महाराज स्वर्णरेखा नदी के किनारे हनुमान जी की पूजा और आरती करते थे, तब घंटी और शंख की ध्वनि किले पर तैनात अकबर की सेना को सुनाई देती थी। सैनिक कई बार यह देखने आए कि आरती कौन करता है, लेकिन परमानंद दास जी योगबल से उन्हें दिखाई नहीं देते थे। जब यह बात अकबर तक पहुंची, तो वह खुद बड़ी शाला पहुंचे। अकबर हाथी पर बैठे रहे, लेकिन जब परमानंद दास जी ने योगबल से टीले को हाथी से ऊँचा कर लिया, तो अकबर महाराज के चरणों में गिरकर क्षमा मांगने लगे। इसके बाद अकबर दो दिन तक महाराज के सामने बैठे रहे और फिर सभी धर्मों को समान रूप से मानने का निर्णय लिया। इतिहास में दर्ज एक और महत्वपूर्ण घटना यह भी है कि झांसी की रानी लक्ष्मीबाई जब अंग्रेजों से लड़ते हुए घायल हुई थीं, तब उन्होंने भी गंगा दास की बड़ी शाला में अपने प्राण त्यागे थे।

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गंगा दास की बड़ी शाला: आध्यात्म और इतिहास का संगम

Mughal emperor Akbar’s cap :  यह स्थान न केवल आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह इतिहास के कई सुनहरे पन्नों का गवाह भी रहा है। आज भी यहां परमानंद दास महाराज की विरासत को महंत रामसेवक दास आगे बढ़ा रहे हैं और इस ऐतिहासिक धरोहर को सहेज रहे हैं।


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टिकेश वर्मा- जमीनी पत्रकारिता का भरोसेमंद चेहरा... टिकेश वर्मा यानी अनुभवी और समर्पित पत्रकार.. जिनके पास मीडिया इंडस्ट्री में 12 वर्षों से अधिक का व्यापक अनुभव हैं। राजनीति, जनसरोकार और आम लोगों से जुड़े मुद्दों पर बेबाकी से सरकार से सवाल पूछता हूं। पेशेवर पत्रकारिता के अलावा फिल्में देखना, क्रिकेट खेलना और किताबें पढ़ना मुझे बेहद पसंद है। सादा जीवन, उच्च विचार के मानकों पर खरा उतरते हुए अब आपकी बात प्राथिकता के साथ रखेंगे.. क्योंकि सवाल आपका है।