विधानसभा चुनाव से पहले मतदान का बहिष्कार : आजादी के 75 साल बाद भी प्रदेश के इस गांव के लोगों ने नहीं देखी पक्की सड़क, ग्रामीणों ने दी चेतावनी

विधानसभा चुनाव से पहले मतदान का बहिष्कार : आजादी के 75 साल बाद भी प्रदेश के इस गांव के लोगों ने नहीं देखी पक्की सड़क, ग्रामीणों ने दी चेतावनी Villagers upset due to lack of road

विधानसभा चुनाव से पहले मतदान का बहिष्कार : आजादी के 75 साल बाद भी प्रदेश के इस गांव के लोगों ने नहीं देखी पक्की सड़क, ग्रामीणों ने दी चेतावनी

Villagers upset due to lack of road

Modified Date: July 27, 2023 / 02:34 pm IST
Published Date: July 27, 2023 2:34 pm IST

हरदा : Villagers upset due to lack of road देश को आजाद हुए 75 साल से ज्यादा समय बीत चुका है। केंद्र और राज्य सरकार अपने-अपने क्षेत्रों में विकास के लाख दावे कर ले बावजूद इसके जमीनी हकीकत सामने आ जाती है। ताजा मामला मध्यप्रदेश के हरदा जिले का है। यहां डोमनमऊ नाम के गांव को अबतक एक पक्की सड़क भी नसीब नहीं हुई है। बारिश के दौरान इस इलाके में मरीजों को लेने एंबुलेंस भी नहीं पहुंच पाती है। ग्रामीण ग्राम पंचायत स्तर से लेकर सीएम हाउस तक सैकड़ों बार आवेदन कर चुके है बावजूद इसके अबतक पक्की सड़क नहीं बनी है।

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गांवों में ‘विकास’ पहुंचाने के लिए पक्का रास्ता ही नहीं

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प्रदेश की शिवराज सरकार एक ओर विकास का ढिंढोरा पिट रही है, वही दूसरी ओर ग्रामीणों को मुलभुत सुविधाएं भी नहीं मिल पा रही है। यहां सड़क के अभाव मे अभी तक ना जाने कितनी जाने चली गई। ग्रामीण गुलाबचंद शर्मा का कहना है की उनकी उम्र 70 साल हो गई आज तक गांव मे पक्की सड़क नहीं देखी। 20 से 25 लाख की गाड़ी लाते है जो ऐसी गड्डे बाली सड़क पर चल चल कर चार पांच साल मे ही ख़राब हो जाती है। इस बार 12 पंचायत के 100 गांव के लोग चुनाव का बहिष्कार करेंगे।

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गांवों में मूलभूत सुविधाओं का अभाव

Villagers upset due to lack of road वही गयाप्रसाद विश्नोई का कहना है की हमारे गांव से एक किलोमीटर दूर सालाबैडी गांव है वहां जाने के लिए 10 किलोमीटर से घूमकर जाना पड़ता है। गांव मे मुक्तिधाम की व्यवस्था भी नहीं है सरकार की और से कोई भी सुविधा नहीं है। गांव मे एम्बुलेंस भी नहीं आती एम्बुलेंस वाले कहते है यदि हमारी गाड़ी फंस गई तो कौन निकालेगा ? हमारे काकाजी की तबियत खराब हुई तो हमने एम्बुलेंस को फोन लगाया पर वह नहीं आई तो हमने उन्हें ट्रेक्टर ट्रॉली से हरदा लें गए जहा उनकी मौत हो गई। गांव मे बिजली की समस्या भी है विगत आठ दिनों से बिजली भी नहीं थी फिर ग्रामीणों द्वारा फीडर पर जाकर सुधार जर आये फिर आई।

 

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नेताजी के ‘खोखले’ दावे

वहीं उमाशंकर विश्नोई का कहना है की बारिश जा समय सड़क पर नदी जैसा पानी भरा रहता है, सड़क दिखती ही नहीं, कई लोगों को रात हो जाने पर गांव मे ही रुकना पड़ता है। 25 किलोमीटर के रोड़ से करीब 100 गांव जुड़े हुए है, मंत्री कमल पटेल का गृहग्राम रातातलाई भी यही पास मे ही आता है। मंत्रीजी ज़ब भी आते है यही बोलते है की मुझे वोट कर दो मैं रोड बनवा दूंगा, लेकिन फिर भी अभी तक नहीं बनवाई। अबतक 15 से 20 बार टेंडर हो चुके पर काम नहीं हुआ, ठेकेदार से अधिकारी कमीशन लें लेते है, समय से ठेकेदारों को पैसा देते नहीं है इसलिए ठेकेदार भाग जाते है काम ही नहीं करते है।

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पीडब्ल्यूडी के अधिकारी ने दिया गोल-मोल जवाब

Villagers upset due to lack of road इस मामले मे ज़ब पीडब्ल्यूडी के मुख्य कार्यपालन अधिकारी सुभाष पाटिल से बात करनी चाहिए तो उन्होंने भोपाल मे होना बताया और फोन पर बताया की उस गांव की 28.60 किलोमीटर सड़क की 59 करोड़ की डीपीआर बनाकर भेज दी है। शासन से स्वीकृति होना बाकि है। टू लेना डामर सड़क बनना है जिसके लिए 2022-23 के वजट मे स्वीकृत है। लेकिन प्रशासकीय स्वीकृति नहीं हुई है जैसे ही प्रसाशकीय स्वीकृति होती है काम चालू कर दिया जाएगा।

 

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