ड्रेस कोड का फसाद.. क्या ये है हिजाब जिहाद? शिक्षा के मंदिर में धर्म का आवरण कितना नुकसानदेह?
ड्रेस कोड का फसाद.. क्या ये है हिजाब जिहाद? Hindu girls wearing hijab in name of dress code in Damoh's private school
दमोहः मध्यप्रदेश के दमोह के प्राइवेट स्कूल में ड्रेस कोड के नाम पर हिंदू लड़कियों को हिजाब पहनाने के मामले में बवाल बढ़ गया है। हिंदू संगठनों ने इस पर आपत्ति जताई है और धर्मांतरण के आरोप लगाए हैं। वहीं इस मुद्दे ने सियासी तूल भी पकड़ लिया है। प्रदेश के गृहमंत्री ने जांच के आदेश दे दिए हैं तो वहीं, कांग्रेस इसे बीजेपी का प्रोपेगंडा बता रही है।
Read More : बदल गया इस जिले का नाम, अब ‘अहिल्या नगर’ के नाम से जाना जाएगा, यहां के सीएम ने किया ऐलान
दरअसल, दमोह के निजी स्कूल गंगा जमुना हायर सेकेंडरी स्कूल में ड्रेस कोड के नाम पर स्कूल की बच्चियों को हिजाब पहनाया जा रहा है। स्कूल के बाहर टॉपर्स का पोस्टर लगाया गया। इसमें जितनी भी बच्चियों की फोटों हैं, वो सब हिजाब में दिख रही हैं, जिनमें हिंदू बच्चियां भी शामिल हैं।
Read More : इन राशिवालों को होने वाला है तगड़ा धनलाभ, चारों ओर से होगी पैसों की बारिश, चमकेगा करियर
सोशल मीडिया पर तस्वीर वायरल हुई तो बवाल भी बढ़ गया। हिंदू संगठनों ने मोर्चा खोल दिया है। स्कूल पर धर्मांतरण के आरोप लगे रहे हैं। राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने इस पोस्टर को लेकर ट्वीट किया। जिसके बाद दमोह कलेक्टर मयंक अग्रवाल ने मामले की जांच कराई। इसमें धर्मांतरण की बात गलत निकली है। जानकारी के मुताबिक मुस्लिम वर्ग के स्कूल संचालक का दावा है कि ये हिजाब नहीं, स्कॉर्फ है। जो स्कूल का ड्रेस कोड है। हालांकि, अब मध्यप्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं। जिसके बाद कलेक्टर ने फिर से जांच टीम बनाई है। स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा है कि अगर लड़कियों के अभिभावक लिखित में आपत्ति करेंगे, तो विभाग स्कूल पर कार्रवाई करेगा। सरकार प्राइवेट स्कूलों में ड्रेस कोड के लिए नीति भी बनाएगी। इधर, कांग्रेस इस मामले को बीजेपी का प्रोपेगंडा बता रही है।
इधर, हिंदू संगठनों ने शिक्षा विभाग की जांच पर सवाल उठाए हैं.. और स्कूल की मान्यता रद्द कर FIR दर्ज करने की मांग को लेकर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है। स्कूलों में ड्रेस कोड को लेकर पहले भी देश में कई जगहों पर बवाल मच चुका है। अब दमोह की इस घटना ने फिर सवाल खड़े कर दिए हैं। जरूरत है शिक्षा के मंदिरों में ऐसे पहनावे की, जो धर्म और जात-पात से अलग.. एक समान हो।

Facebook



