इंदौर (मध्यप्रदेश), 15 अप्रैल (भाषा) भारत में स्वीडन की व्यापार आयुक्त सोफिया होगमैन ने मंगलवार को कहा कि वह भारत और यूरोपीय संघ (ईयू) के बीच प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते के इस साल अमल में आने को लेकर आशान्वित हैं।
उन्होंने जोर देकर कहा कि यह करार भारत और स्वीडन के बीच द्विपक्षीय साझेदारी बढ़ाने के नये द्वार खोलेगा।
भारत और ईयू, मुक्त व्यापार समझौते को लेकर चरणबद्ध तरीके से चर्चा कर रहे हैं। प्रस्तावित करार के लिए दोनों पक्षों ने पिछले महीने ब्रसेल्स में 10वें दौर की वार्ता पूरी की थी।
अगले दौर की वार्ता भारत की राजधानी नयी दिल्ली में मई के दौरान होने की उम्मीद है।
व्यापार जगत के जानकारों का मानना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की उच्च शुल्क (टैरिफ) नीति के मद्देनजर भारत और ईयू के बीच आर्थिक संबंधों को मजबूत करना महत्वपूर्ण है।
स्वीडन, ईयू से जुड़े 27 देशों में शामिल है। भारत में स्वीडन की व्यापार आयुक्त होगमैन ने एक कार्यक्रम के दौरान इंदौर में संवाददाताओं से कहा कि यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन की अगुवाई वाले प्रतिनिधिमंडल ने फरवरी के अंत में भारत का दौरा किया था और इस साल मुक्त व्यापार समझौते को लेकर भारत और ईयू के बीच संवाद तेज हुआ है।
उन्होंने कहा,“अगर हम आज दुनिया में चल रही गतिविधियों के बारे में बात करें, तो बेशक हमें उम्मीद है और हमारी महत्वाकांक्षा है कि भारत और ईयू के बीच (प्रस्तावित) मुक्त व्यापार समझौता इस साल अमल में आ जाएगा। स्वीडन और भारत के बीच पहले से ही बड़ा द्विपक्षीय सहयोग है और यह समझौता इस सहयोग को निश्चित रूप से बढ़ावा देगा।’’
होगमैन ने यह प्रतिक्रिया उस सवाल पर दी जिसमें उनसे पूछा गया था कि अमेरिका की नयी उच्च शुल्क (टैरिफ) नीति का हरित तकनीक के क्षेत्र में भारत और स्वीडन के बीच द्विपक्षीय सहयोग पर क्या असर पड़ेगा।
उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत और स्वीडन के बीच 100 साल से ज्यादा वक्त से द्विपक्षीय सहयोग चल रहा है और अलग-अलग क्षेत्रों में यह साझेदारी बढ़ाए जाने के कई अवसर हैं।
होगमैन,‘‘इंडिया-स्वीडन इनोवेशन्स एक्सेलरेटर (आईएसआईए) प्रोग्राम’’ के तहत आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में भाग लेने के लिए इंदौर आई थीं। भारत के सबसे स्वच्छ शहर में इस कार्यशाला को भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के सहयोग से आयोजित किया गया।
अधिकारियों ने बताया कि वर्ष 2012 में शुरू हुए आईएसआईए कार्यक्रम के तहत अब तक स्वीडन की 70 से अधिक कंपनियों को भारत में पेश किया जा चुका है।
इसके परिणामस्वरूप भारत भर में 280 से अधिक परियोजनाएं और सात स्थानीय सहायक कंपनियां स्थापित हुई हैं।
भाषा हर्ष संतोष
संतोष
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