Even after independence people of Chihunta village of Jabalpur are waiting for the road
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धरम गौतम, जबलपुर। आजादी के 75 साल बीत गए और देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। इस 75 सालों में देश ने चंद्रमा तक पहुंचने का रास्ता तो बना लिया, लेकिन भारत की आत्मा जहां रहती है वो गांव आज भी अपनी बदहाली के लिए जाने जा रहे हैं। डिजिटल इंडिया और विकसित मध्यप्रदेश के दावे सरकारें भले ही कितने भी करें, लेकिन जमीनी हकीकत आज भी कुछ और ही है। ऐसा ही एक गांव है जबलपुर जिले की पाटन जनपद के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत आगासौद का चिहुंटा जो कि आज भी विकास की राह ताक रहा है, लेकिन जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों और प्रशासन की नजर इस गांव पर नहीं पड़ी।
आजादी के इतने साल बीत जाने के बाद भी यहां के ग्रामीण सड़क की लड़ाई लड़ रहे हैं। ग्रामीणों की माने तो गांव के सभी लोगों ने मिलकर जनप्रतिनिधियों और प्रशासन से कई बार सड़क की मांग की, लेकिन उनके हाथ कुछ नहीं लगा। नौबत यहां तक आई कि बीते चुनावों में गांव के लोगों ने गांव के बाहर रोड नहीं तो वोट नहीं का बोर्ड लगा दिया और चुनाव में वोट नहीं करने का फैसला लिया, लेकिन उस समय जैसे ही प्रशासन को इस बात की भनक लगी तो आला अधिकारी दौड़े आए और ग्रामीणों को आश्वासन दिया कि आप लोग वोट डालिए आपको सड़क बनाकर दी जाएगी।
पांच साल बीतने को हैं किसी जिम्मेदार ने इस और मुड़कर नहीं देखा और सड़क आज भी जस की तस बदहाल है। सौ से अधिक परिवारों के इस गांव में बारिश के दिनों यदि कोई बीमार हो जाए तो गांव तक एंबुलेंस का पहुंचना दूभर है, क्योंकि पूरी सड़क जलमग्न होने के साथ साथ कीचड़ से सन जाती है। बहरहाल कुछ महीनों बाद फिर से चुनाव होने हैं और ग्रामीणों ने इस बार रोड नहीं तो वोट नहीं की बात पर अडिग रहने का फैसला लिया है। अब देखना लाजमी होगा कि ग्रामीणों को दो किलोमीटर की सड़क मिलती या फिर वे आगे भी इसी तरह नरकीय जिंदगी जीने को मजबूर रहेंगे।
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