Jabalpur News: 50 साल की ‘रावण भक्ति’ और फिर अंत उसी दिन…नहीं रहे जबलपुर के लंकेश, दशानन की मूर्ति लेने निकले थे लंकेश…

जबलपुर जिले के पाटन कस्बे में रहने वाले लंकेश उर्फ संतोष नामदेव की शनिवार शाम अचानक हार्ट अटैक से मौत हो गई। लेकिन यह सिर्फ एक मौत इतनी चर्चित इसलिए है क्योंकि लंकेश वही थे, जिसने पिछले 50 सालों से रावण की आराधना को अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया था।

Jabalpur News: 50 साल की ‘रावण भक्ति’ और फिर अंत उसी दिन…नहीं रहे जबलपुर के लंकेश, दशानन की मूर्ति लेने निकले थे लंकेश…

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Modified Date: October 5, 2025 / 01:16 pm IST
Published Date: October 5, 2025 1:16 pm IST
HIGHLIGHTS
  • 50 सालों से रावण पूजा करने वाले लंकेश का निधन।
  • लंकेश ने अपने बेटों का नाम रखा – मेघनाद और अक्षय।
  • रावण की मूर्ति लेने जाते समय आया हार्ट अटैक।

Jabalpur News: जबलपुर: जबलपुर जिले के पाटन कस्बे में रहने वाले लंकेश उर्फ संतोष नामदेव की शनिवार शाम अचानक हार्ट अटैक से मौत हो गई। लेकिन यह सिर्फ एक मौत इतनी चर्चित इसलिए है क्योंकि लंकेश वही थे, जिसने पिछले 50 सालों से रावण की आराधना को अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया था। 72 वर्षीय संतोष नामदेव, जिन्हें स्थानीय लोग प्रेम से ‘लंकेश’ कहते थे, मध्यप्रदेश में रावण पूजन के लिए सबसे अधिक प्रसिद्ध व्यक्ति थे।

रामलीला में रावण की भूमिका निभाते-निभाते बन गए भक्त

पेशे से टेलर रहे लंकेश ने 1975 में पहली बार दशानन रावण की पूजा शुरू की थी, जब समाज में इसे वर्जित माना जाता था। शुरुआत में परिवार और समाज के विरोध का सामना करना पड़ा, लेकिन उनकी आस्था और रावण भक्ति के आगे सभी झुक गए। धीरे-धीरे यह पूजा परंपरा बन गई और पाटन के लोग हर साल नवरात्रि में लंकेश के साथ दशानन की आराधना में शामिल होने लगे।

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Jabalpur News: लंकेश की रावण भक्ति इतनी प्रबल थी, कि उन्होंने अपने दोनों बेटों के नाम भी रावण पुत्रों पर मेघनाद और अक्षय रखे। वह नवरात्रि के दौरान शिव के साथ-साथ रावण की प्रतिमा भी स्थापित करते थे। दशहरे पर जब पूरा देश रावण दहन करता है, तब लंकेश उसे पूजते थे – एक ऐसी परंपरा जिसकी मिसाल पूरे प्रदेश में नहीं मिलती।

घर से निकलते ही सीने में दर्द 

Jabalpur News: शनिवार शाम को लंकेश पाटन बाजार से रावण की प्रतिमा लेकर घर आने वाले थे, तभी अचानक सीने में तेज दर्द हुआ और वह गिर पड़े। बेटों ने तुरंत अस्पताल पहुंचाया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। उनकी मृत्यु की खबर पूरे जबलपुर और पाटन में आग की तरह फैल गई। हजारों की संख्या में लोग उनके अंतिम दर्शन के लिए पहुंचने लगे।

छोटे दिनों में रामलीला में रावण की सेना के सैनिक का किरदार निभाने वाले संतोष, बाद में खुद रावण बन गए – सिर्फ मंच पर ही नहीं, बल्कि अपने पूरे जीवन में। रावण के श्लोक, संवाद और जीवनशैली से प्रेरित संतोष उसे अपना इष्ट मानते थे।

आज जब वे अपने पूज्य लंकेश की प्रतिमा लेने निकले, उसी समय मृत्यु ने उन्हें गले लगा लिया।

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सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्नः

लेखक के बारे में

पत्रकारिता और क्रिएटिव राइटिंग में स्नातक हूँ। मीडिया क्षेत्र में 3 वर्षों का विविध अनुभव प्राप्त है, जहां मैंने अलग-अलग मीडिया हाउस में एंकरिंग, वॉइस ओवर और कंटेन्ट राइटिंग जैसे कार्यों में उत्कृष्ट योगदान दिया। IBC24 में मैं अभी Trainee-Digital Marketing के रूप में कार्यरत हूँ।