#JusticeForShiv : काशी में शिव को किसने किया खामोश?, अपनी मौत के दो साल बाद भी है इंसाफ का इंतजार… पढ़ें पूरी खबर

#JusticeForShiv : कहा जाता है भगवान शिव के त्रिशूल पर बसी काशी में सबको मोक्ष मिलता है। काशी, सबके साथ न्याय करती है... लेकिन...

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  • Publish Date - April 27, 2022 / 08:47 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:17 PM IST

#JusticeForShiv  पन्ना। कहा जाता है भगवान शिव के त्रिशूल पर बसी काशी में सबको मोक्ष मिलता है। काशी, सबके साथ न्याय करती है… लेकिन काशी में एक शिव, अपनी मौत के दो साल बाद भी इंसाफ का इंतजार कर रहा है.. जी हां, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी की वो ख़बर जिसने पूरे सिस्टम को कठघरे में खड़ा कर दिया है..

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इन आंखों में झिलमिलाने वाले सपनों का खून हो गया है… इनमें बसने वाली हसरतों की बड़ी ही बेरहमी से हत्या हुई है… अब इन आंखों के आंसू शायद कभी नहीं सूखेंगे… मध्यप्रदेश के पन्ना जिले के इस छोटे से गांव ब्रजपुर, बड़गड़ीखुर्द के गरीब किसान प्रदीप त्रिवेदी का 23 साल का बेटा शिव कुमार त्रिवेदी बहुत होनहार था और उसने नवोदय स्कूल से प्राइमरी पढ़ाई पूरी की।

परिवार के सपने साकार करने के लिए शिव कुमार त्रिपाठी ने वाराणसी के काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में BSC ऑनर्स में ग्रेजुएशन के लिए दाखिला लिया। यहां सब कुछ अच्छा चल रहा था। फिर आई 13 फरवरी 2020 की रात… जब करीब 8 बजे शिव बीएचयू कैम्पस में एम्फी थियेटर ग्राउंड के पास से शिव गायब हो गया। बाद में पता चला कि यहां से गुजरे अर्जुन सिंह नाम के एक छात्र ने उसे बुरी तरह परेशान देखकर पुलिस को सूचना दी थी। फिर पुलिस की गाड़ी उसे उठाकर ले गई।

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#JusticeForShiv :  लंका थाने की पुलिस शिव को लेकर वाराणसी के लंका थाने ले गई, लेकिन शिव वहां से कभी लौटा ही नहीं। इधर शिव से बात न हो पाने से परेशान उसके पित वाराणसी पहुंचे। लंका पुलिस थाने तक कई चक्कर लगाए। लेकिन हर जगह उन्हें मायूसी हाथ लगी। BHU प्रशासन ने जहां शिव की कोई जानकारी न होने की बात कही वहीं 13 फरवरी को शिव को अपनी कस्टडी में लेने वाली लंका थाना पुलिस ने शिव की फोटो पहचानने से भी इंकार कर दिया।

पुत्र वियोग में प्रदीप ने चप्पल न पहनने का संकल्प ले लिया। काशी में बेटे की तलाश में जगह-जगह शिव की गुमशुदगी के पोस्टर लगाए। ये पोस्टर अर्जुन नाम के उस स्टूडेंट ने देखी, जिसने आखिरी बार शिव को देखा था। उसने शिव के पिता से मिलकर बताया कि… शिव को पुलिस की गाड़ी 13 फरवरी की रात लंका पुलिस थाने ले गई थी। अर्जुन को साथ लेकर प्रदीप फिर 19 फरवरी को पुलिस थाने लेकर पहुंचे। पुलिस ने शिव को कभी हिरासत में लेने की बात से ही इनकार कर दिया.. लेकिन अर्जुन के मोबाइल में डायल 112 में कॉल करने के बाद आया मैसेज सेव था। जिसमें PRV के ड्राइवर का नम्बर दर्ज था।

#JusticeForShiv :  प्रदीप इस मैसेज के साथ अर्जुन को लेकर वाराणसी SSP के पास पहुंचे, तो उन्होंने तत्कालीन थाना इंचार्ज को तलब किया और उसने शिव को थाने लाने की बात कबूल कर ली। लेकिन ये कहते हुए पल्ला झाड़ लिया कि शिव की मानसिक स्थिति ठीक न होने पर उन्होंने उसे थाने से छोड़ दिया था।

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बेटे की तलाश में अब भी भटक रहे प्रदीप की मदद के लिए BHU में छात्रों का आंदोलन शुरू हो गया। मदद के लिए BHU के पूर्व छात्र और अधिवक्ता सौरभ तिवारी सामने आए। जिन्होंने प्रदीप को एक रुपए लिए बिना इंसाफ दिलाने का वादा किया। इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की डिवीज़न बेंच ने यूपी पुलिस को कड़ी फटकार लगाई और अक्टूबर 2020 को इस पूरे मामले की जांच सीबी-सीआईडी को सौंप दी।

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सीबी-सीआईडी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में हलफनामा देकर कहा कि जिस शिव को पुलिस ने 13 फरवरी 2020 की रात BHU कैम्पस से उठाया था उसकी मौत 2 साल पहले ही हो चुकी है। 15 फरवरी 2020 को वाराणसी के रामनगर स्थित जमुना तालाब में एक अज्ञात लाश मिली थी। अज्ञात शव के सुरक्षित हिस्से की DNA टेस्ट से साबित हुआ कि लाश शिवकुमार त्रिवेदी की ही है।

#JusticeForShiv :  लाश तो शिव की है ये पता चल गया… लेकिन ये सवाल अधूरा था कि शिव के साथ आखिर हुआ क्या..? कैसे हुई उसकी मौत..? पुलिस को तो इन सवालों से मतलब ही नहीं.. क्योंकि वो खुद और उनकी कार्रवाई सवालों में है।