Reported By: Prateek Mishra
,Story of Golden Girl Kaveri Dhimar | Image Source | IBC24
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खंडवा : Khandawa News : मध्य प्रदेश के खंडवा जिले की पुनासा तहसील में रहने वाली कावेरी डिमर (Story of Golden Girl Kaveri Dhimar) ने अपनी मेहनत और लगन से एक बड़ा मुकाम हासिल किया है। एक समय था जब कावेरी अपने पिता के कर्ज को उतारने के लिए नर्मदा नदी पर बने इंदिरा सागर बांध के बैकवाटर में मछलियाँ पकड़ती थी। लेकिन आज, वह इंडियन नेवी में चयनित होकर देश की सेवा करने के लिए तैयार है। इंडियन नेवी में चयन होने के बाद जब कावेरी अपने गांव लौटी, तो ग्रामीणों ने उसका गर्मजोशी से स्वागत किया। माता-पिता की खुशी का ठिकाना नहीं था। उन्होंने बेटी को तिलक लगाकर आशीर्वाद दिया और ग्रामीणों ने सम्मानित किया।
Story of Golden Girl Kaveri Dhimar : कावेरी ने बचपन में ही इंदिरा सागर बैकवाटर में तैराकी सीख ली थी। इसके बाद उन्होंने विदेशी खेल कैनोइंग में महारत हासिल की। 17 साल की उम्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाकर उन्होंने खेल कोटे से इंडियन नेवी में स्थान प्राप्त किया। कावेरी को स्पोर्ट्स अकादमी तक पहुंचाने में सोशल मीडिया की भी अहम भूमिका रही। नाव चलाते हुए उनका वीडियो वायरल हुआ, जिसके बाद तत्कालीन खेल अधिकारी जोसफ बक्सला उनके गांव पहुंचे। उन्होंने कावेरी के पिता रणछोड़ डिमर से तीनों बहनों को भोपाल अकादमी में ट्रायल दिलाने के लिए मनाया। कावेरी के शानदार प्रदर्शन के चलते उन्हें 2016 में मध्य प्रदेश वॉटर स्पोर्ट्स अकादमी में दाखिला मिल गया।
Story of Golden Girl Kaveri Dhimar : कावेरी ने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेकर देश का नाम रोशन किया। एशियन चैंपियनशिप, थाईलैंड – ब्रॉन्ज मेडल, एशियन गेम्स चीन, वर्ल्ड चैंपियनशिप जर्मनी, ओलंपिक क्वालिफायर जापान, एशियन चैंपियनशिप उज़्बेकिस्तान, यू-23 एशियन चैंपियनशिप थाईलैंड में शानदार प्रदर्शन की हैं। वही राष्ट्रीय स्तर पर 45 गोल्ड, 6 सिल्वर और 3 ब्रॉन्ज मेडल जीते, 36वीं नेशनल गेम्स, गुजरात में सिल्वर मेडल, 37वीं नेशनल गेम्स गोवा में गोल्ड मेडल, 38वीं नेशनल गेम्स, उत्तराखंड में गोल्ड मेडल, ओपन नेशनल चैंपियनशिप में 6 गोल्ड, 2 सिल्वर, स्कूल नेशनल चैंपियनशिप में 4 गोल्ड मेडल हासिल की हैं।
Story of Golden Girl Kaveri Dhimar : कावेरी और उनकी बहनों ने अपने पिता के 40 हजार रुपये के कर्ज को उतारने के लिए बैकवाटर में नाव चलाई। पिता रात में जाल बिछाते और सुबह तीनों बहनें मछलियाँ पकड़कर ठेकेदार को बेच देतीं। यह सिलसिला तब तक चला जब तक कर्ज चुकता नहीं हो गया। आज जब कावेरी नेवी अफसर बनकर घर लौटी, तो माता-पिता और ग्रामीणों को गर्व महसूस हुआ। यह कहानी केवल एक बेटी की सफलता नहीं, बल्कि संघर्ष और संकल्प की मिसाल भी है।