मध्यप्रदेश: कांग्रेस ने सरकार पर नगरीय संस्थाओं को कमजोर करने का लगाया आरोप
मध्यप्रदेश: कांग्रेस ने सरकार पर नगरीय संस्थाओं को कमजोर करने का लगाया आरोप
भोपाल, 18 दिसंबर (भाषा) कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह ने बृहस्पतिवार को मध्यप्रदेश सरकार पर नगरीय संस्थाओं को कमजोर करने का आरोप लगाया और कहा कि विगत 22 वर्ष से अधिक समय तक सत्ता में रहने के बावजूद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत सरकारें शहरों के लिए मास्टर प्लान तक नहीं ला पाई।
सिंह ने प्रदेश मुख्यालय में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा मुख्यमंत्री मोहन यादव के नेतृत्व में भाजपा सरकार के दो वर्षों के कार्यकाल को नगरीय विकास में विफलता, भ्रष्टाचार और बेरोजगारी का प्रतीक बताया।
उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार अपने दो वर्ष के कार्यकाल की सफलताओं का ‘ढिंढोरा’ पीट रही है जबकि असलियत में ये ‘खोखले’ और जनता के भविष्य से खिलवाड़ है।
कांग्रेस नेता ने कहा, “भाजपा के दो साल उपलब्धियों के नहीं, बल्कि नगरीय संस्थाओं को कमजोर करने, योजनाओं को अटकाने, रोजगार छीनने और जनता को परेशान करने के हैं।”
पूर्व नगरीय प्रशासन एवं आवास मंत्री ने आरोप लगाया कि पिछले दो वर्ष में नगर निकायों के विकास को ठप कर दिया गया है और प्रदेश के शहरों में मास्टर प्लान तक नहीं लाया जा सका।
उन्होंने कहा, “कांग्रेस ने 1995 में मास्टर प्लान प्रस्तुत किया था। 2005 में अगला प्लान आना चाहिए था, लेकिन 22 वर्ष से अधिक सत्ता में रहने वाली भाजपा सरकार आज तक इसे नहीं ला पाई।”
सिंह ने कहा कि भोपाल और इंदौर जैसे महानगरों को विकास की बजाय अव्यवस्था का शिकार बनाया जा रहा है।
सिंह ने भोपाल में बने 90 डिग्री वाले विवादित फ्लाईओवर, रायसेन जिले में करोड़ों की लागत से बन रहे पुल के निर्माण के दौरान ही ढह जाने और भोपाल और इंदौर मेट्रो के खंभों की कम ऊंचाई का उल्लेख करते हुए कहा कि ये जनता के करोड़ों रुपयों की बर्बादी और ‘जानलेवा भ्रष्टाचार’ का उदाहरण है।
उन्होंने आरोप लगाया, “कमीशन का खेल चल रहा है, जहां डिजाइन में जानबूझकर कमियां रखी जाती हैं ताकि बाद में सुधार के नाम पर बजट बढ़ाया जा सके। जांच का अभाव है, और बड़े ठेकेदारों को संरक्षण दिया जा रहा है।”
पूर्व मंत्री ने हाल ही में निरस्त किए गए उज्जैन लैंड पूलिंग योजना का भी जिक्र किया और दावा किया कि मुख्यमंत्री यादव यह योजना ‘निजी हित’ साधने के लिए लेकर आए थे लेकिन कांग्रेस और किसानों के दबाव में वह इसे निरस्त करने को मजबूर हुए।
भाषा ब्रजेन्द्र जितेंद्र
जितेंद्र

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