Now the battle of land will be on social media for Mission 2023?

मध्यप्रदेश की बात! चुनावी यलगार…अब की बार डिजिटल वार…अब जमीन की लड़ाई सोशल मीडिया पर होगी?

चुनावी यलगार...अब की बार डिजिटल वार...अब जमीन की लड़ाई सोशल मीडिया पर होगी?Now the battle of land will be on social media for Mission 2023?

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:07 PM IST, Published Date : May 2, 2022/10:57 pm IST

रिपोर्ट- सुधीर दंडोतिया, भोपाल: battle of land will be on social media साल 2023 का चुनाव किसी के लिए भी आसान नहीं होगा, क्योंकि 2018 के नतीजों और 2020 के उपचुनाव के नतीजों ने दोनों ही दलों को अपनी जमीनी हालात का आईना दिखाया है। इसके अलावा साल-दर-साल सोशल मीडिया के बढ़ते दौर में चुनावी युद्ध भी अब फिजिकल के साथ-साथ डिजिटली लड़ा जाना है। इसके लिए बीजेपी ने बूथ पर माइक्रो लेवल पर काम कर रही है, तो कांग्रेस भी खुद को डिजिटली मजबूत करने में जुटी है। मतलब अब जमीन की लड़ाई सोशल मीडिया पर होगी।

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वर्चुअल जंग में भी दम लगाना जरूरी

battle of land will be on social media अगर चुनाव जीतना है तो मैदान में ताकतवर नजर आने के साथ वर्चुअल जंग में भी दम लगाना जरूरी है, क्योंकि चुनाव जमीन पर नहीं बल्कि सोशल मीडिया पर लड़ी जा रही है। चुनावी रणनीति अब चौक चौराहों पर नहीं बल्कि मोबाइल एप पर बन रही हैं। नेताओं की हार-जीत का फैसला अब जमीनी पकड़ के साथ मजबूत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म करता है। ये हम नहीं बल्कि रिसर्च कहते हैं। एक रिसर्च के मुताबिक करीब 70 फीसदी नए वोटर्स सोशल मीडिया से प्रभावित होकर वोट देते हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में भी जनमत अपने पक्ष में करने के लिए सोशल मीडिया के बेजा इस्तेमाल करने के आरोप लगते रहे हैं।

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औसतन 2.36 घंटे बिता रहे सोशल मीडिया पर

इससे पहले 2019 के आम चुनाव को वॉट्सएप इलेक्शन तक कहा गया। रिसर्च ये भी कहता है कि भारतीय यूजर्स सोशल मीडिया पर रोजाना औसतन 2.36 घंटे बिता रहे हैं। सोशल मीडिया की बढ़ती ताकत से राजनीतिक दल भी वाकिफ हैं। लिहाजा मध्यप्रदेश में मिशन 2023 की तैयारियों में जुटी बीजेपी-कांग्रेस डिजिटल सेना को मजबूत करने में जुटी है। विभिन्न प्लेटफॉर्म पर फालोअर्स बढ़ाने बकायदा आईटी विशेषज्ञों की मदद ली जा रही है।

95 फीसदी बूथों का डिजिटिलाइजेशन

सत्तारूढ़ बीजेपी की बात करें तो 95 फीसदी बूथों का डिजिटिलाइजेशन हो चुका है। इनका डेटा एक सिंगल क्लिक में मोबाइल पर भी देखा जा सकता है, जो देश में किसी भी पार्टी की तुलना में सबसे बड़ा डिजिटल डेटा है। बीजेपी ने प्रदेश स्तर से लेकर बूथ लेवल तक सोशल मीडिया कार्यकर्ताओं की नियुक्ति की है। विपक्ष की घेराबंदी करने पार्टी साइबर योद्धाओं को प्रशिक्षण भी देती है।

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जमीन पर कम मोबाइल पर ज्यादा लड़ा जाएगा चुनाव

दूसरी ओर कांग्रेस भी जानती है कि अगला चुनाव जमीन पर कम मोबाइल पर ज्यादा लड़ा जाएगा। लिहाजा पार्टी को बूथ लेवल पर डिजिटल करने की तैयारी तेज़ कर दी है। एक हफ्ते कमलनाथ ने दावा किया कि कांग्रेस सोशल मीडिया पर सबसे मजबूत है। कांग्रेस बीजेपी को टक्कर देने के लिए सोशल मीडिया वारियर्स नाम से एप तैयार किया ह व्हट्सएप ग्रुप बनाकर लोगो को जोड़ने का काम कर रही है।

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दो तिहाई वोटर्स मोबाइल और इंटरनेट डेटा के साथ

मध्यप्रदेश में दो तिहाई वोटर्स मोबाइल और इंटरनेट डेटा के साथ है। 2018 की तुलना में वॉट्सएप ग्रुप की संख्या भी दोगुनी से ज्यादा रफ्तार से बढ़ी है। कांग्रेस के पास ट्विटर में फिलहाल 10 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स हैं, जबकि बीजेपी के पास 10 लाख से कम फॉलोअर हैं। हालांकि फेसबुक पेज पर बीजेपी 10 लाख फॉलोअर के साथ कांग्रेस के 6 लाख 36 हजार फॉलोअर के मामले में ज्यादा है।

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कई मामलो में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर

सोशल मीडिया प्रभारी के अलावा बीजेपी ने व्हट्सएप प्रभारी, ट्विटर प्रभारी , इंस्टाग्राम प्रभारी भी तैनात कर रखें हैं। बीजेपी सोशल मीडिया के इस्तेमाल में भले ही बेहतर हो पर कई मामलो में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर है। बहरहाल ये तो तय है कि जो पार्टी सोशल मीडिया पर अपने आप को जितना मजबूत करेगी, वो उतनी ज्यादा मजबूती से अपनी बात लोगों तक पहुंचाने में सफल होगी।

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