बूथ कमेटी ना होती तो शायद उज्जवला योजना नहीं होती, पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा – हम एयर कंडीशनर कमरे से पार्टी नहीं चलाते
बूथ कमेटी ना होती तो शायद उज्जवला योजना नहीं होती, पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा - हम एयर कंडीशनर कमरे से पार्टी नहीं चलाते
भोपाल, विवेक पटैया । मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान सहित पांच राज्यों में लोकसभा चुनाव के पहले विधानसभा चुनाव होने है। यह विधानसभा चुनाव के परिणाम बीजेपी के लिए लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल होंगे और यही कारण है कि चुनाव फतह करने के लिए बीजेपी ने अपनी सबसे प्राइमरी स्टेज बूथ पर अपना पूरा फोकस कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भोपाल के मोतीलाल नेहरू स्टेडियम में मेरा बूथ, सबसे मजबूत अभियान के तहत देश की 500 से अधिक लोकसभा सीटों से भोपाल पहुंचे 3000 अल्पकालीन विस्तारकों और देश के 10 लाख बूथों पर देशभर के बीजेपी कार्यकर्ताओं को डिजिटल रैली के जरिये बूथ सशक्तिकरण को लेकर संबोधित किया। प्रधानमंत्री ने 3 हजार कार्यकर्ताओं को बूथ जीतने की प्लानिंग बताई अब ट्रेनिंग के बाद इन कार्यकर्ताओं को सात दिन के लिए उन राज्यों में भेजा जा रहा है। जहां इस साल के अंत में चुनाव होने हैं। कार्यकर्ताओं को अल्पकालीन विस्तारक नाम दिया गया है।
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यह विस्तारक बूथ मैनेजमेंट के मास्टर ट्रेनर दूसरे राज्य के सभी मंडलों में बूथ समितियों के कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण देंगे। सात दिन में प्रशिक्षण का काम पूरा कर 4 जुलाई को बूथ समितियों का सम्मेलन किया जाएगा। ये सभी मास्टर ट्रेनर ट्रेनिंग के दौरान बूथ समिति के कार्यकर्ताओं को यह बताएंगे कि बूथ पर कौन से काम करने से बीजेपी के पक्ष में माहौल बनेगा और वोटर्स को किस तरह बीजेपी को वोट देने के लिए प्रेरित किया जाए। बूथ समितियों के गठन में उस बूथ पर जातिगत समीकरणों के हिसाब से लोगों को शामिल किया जाए।
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महिला, ओबीसी, एसटी, एससी और अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों को बूथ समिति में हिस्सेदारी दी जाए। बूथ क्षेत्र के प्रभावशाली मतदाता जिनकी अपने समाज में अच्छी पकड़ है, जिनके प्रभाव से वोटर डायवर्ट होते हैं की लिस्ट तैयार कर बडे़ नेताओं से संपर्क कराया जाएगा। बूथ क्षेत्र के वॉट्सएप ग्रुप बनाकर उसमें केंद्र और राज्य की बीजेपी की सरकार की योजनाओं के वीडियो और पोस्ट शेयर करना। जिन राज्यों में विपक्षी दलों की सरकार है वहां सरकार की नाकामियों और स्थानीय मुद्दे जो सुलझ नहीं पाए उन्हें जनता के बीच उठाना। बूथ समिति को दिए गए सभी कामों को टाइम लाइन के अनुसार पूरा कर उनकी जानकारी एप और पोर्टल पर अपलोड करना।
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पीएम मोदी ने कहा हम एयर कंडीशनर कमरे से पार्टी नहीं चलाते। हम गांव-गांव घूम कर खुद को खपाते हैं। बूथ कमेटी ना होती तो शायद उज्जवला योजना नहीं होती। आपकी बदौलत गरीब के घर गैस-चूल्हा जला है। बीजेपी की पहचान सेवा भाव की होनी चाहिए। छोटे-छोटे गांव भी उपयोगी हो सकते हैं। आप अपना अखबार पढ़ कर वहां दे सकते हैं। आपकी सक्रियता से गांव के लोगों में विश्वास बढ़ेगा। आप लोगों की समस्या के निदान में योगदान दे सकते है। अब आपको बताते है मध्यप्रदेश का बीजेपी संगठन बूथ से लेकर प्रदेश अध्यक्ष तक क्यों डिजिटल है और मध्यप्रदेश देश में सबसे मजबूत संगठन क्यों है मप्र बीजेपी ने अपने बूथ विस्तार अभियान पार्ट वन और पार्ट टू चलाया। पार्ट वन में बूथ समितियां बनी और उनका डिजिटलाइजेशन हुआ।
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पार्ट 2 में अर्ध पन्ना प्रमुख और सभी पन्ना समितियों बानी इसके लिए बूथ विजय संकल्प अभियान प्रारंभ किया। त्रिदेव यानी बूथ अध्यक्ष, बूथ महामंत्री और बीएल का प्रशिक्षण वर्ग प्रदेश के 1078 मंडल में हुए। पन्ना समिति से लेकर प्रदेश अध्यक्ष तक हर कार्यकर्ता डिजिटलाइज हो चुका है। हर कार्यक्रम और उपस्थिति संगठन एप के माध्यम से डिजिटली रिपोर्ट होती है। इससे संगठनात्मक रिपोर्टिंग प्रमाणिकता से बढ़ी है और संगठनात्मक कार्यों के नए आयाम स्थापित हुए हैं। मन की बात कार्यक्रम का आयोजन देशभर में मध्यप्रदेश आगे रहता है, जिसे हर बूथ पर सुना जाता है। मप्र के 64,100 बूथों में से 100 फीसदी बूथ समितियां डिजिटलाइज हो चुकीं है।
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