भोपालः हमारे देश में गाय पर राजनीति नई बात नहीं है। गौ माता के संरक्षण को लेकर बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही चुनावी घोषणा पत्र में वादे करते रहे हैं। रविवार को भोपाल के बैरसिया में गौशाला में सैकड़ों गायों का कंकाल मिलने के बाद प्रदेश में ये मुद्दा फिर से गरमाया हुआ है। गायों की मौत मामले में गौ संवर्धन बोर्ड के सामने प्रदर्शन करते हुए कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सरकार असली आंकड़े छिपाकर आरोपियों को बचाने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस ने मामले में एक जांच कमेटी भी बना दी है, जो बैरसिया समेत प्रदेश की सभी सरकारी गौशालाओं की पड़ताल करेगी। इधर बीजेपी ने जवाबी हमला करते हुए कांग्रेस पर राजनीति करने का आरोप लगाया है।
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कांग्रेस का ये प्रदर्शन भले सियासी हो..5 साल में 5 हजार से भी ज्यादा गायों की मौत का दावा किताबी हो। लेकिन तीन दिन पहले बैरसिया में सैंकड़ों गायों के कंकाल मिलने की घटना ने सबको झकझोर दिया है। गौशाला संचालक पर केस दर्ज कर मामले में कार्रवाई भी हुई। बावजूद इसके कई सवाल भी खड़े हो रहे हैं। लेकिन हमेशा की तरह जिम्मेदारों ने सवालों से बचने का रास्ता भी निकाल लिया है।
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लेकिन आपको ये जानना भी ज़रुरी है कि मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री गौ सेवा योजना से बनी 951 गौशालाएं हैं। 627 निजी गौशालाएं । जिनमें 2 लाख 55 हजार से अधिक गाय हैं। सालभर के चारे के लिए 184 करोड़ की ज़रुरत होती है। लेकिन बीजेपी सरकार ने साल 2021 में चारे के लिए सिर्फ 60 करोड़ रुपए का बजट रखा यानि प्रति गाय सिर्फ 20 रुपए जबकि कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने 2018 में ही 150 करोड़ का बजट रखा था। हालांकि सरकार ने गौशाला निर्माण के लिए 900 करोड़ के बजट के साथ ही 12 हजार 500 एकड़ जमीन का भी इंतजाम किया है। लेकिन प्रशासनिक हीलाहवाली की वजह से काम ज़मीन पर दिखता नहीं।
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जाहिर तौर पर कांग्रेस और बीजेपी दोनों के चुनावी एजेंडे में गाय प्रमुख मुद्दा रहा है। ऐसे में जब अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं तो कांग्रेस इतनी आसानी से इस अवसर को कैसे जाने देगी। कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने सरकार से पूछा है कि बैरसिया में जिन 800 गायों को दफनाया गया है। उस पर सरकार ने अब तक क्या एक्शन लिया। खासकर उस गौशाला की संचालक और भाजपा नेता निर्मला देवी पर एनएसए क्यों नहीं लगाया गया। आरोपी के घर पर बुडजोर क्यों नहीं चला।
वैसे मध्यप्रदेश में सरकार पंचायत के माध्यम से हजारों गौशालाओं का संचालन कर रही है। मोटा बजट भी रखा गया है लेकिन प्रति गाय के हिसाब से 20 रुपए का बजट नाकाफी बताया जा रहा है। अब मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव और नगरीय निकाय चुनाव भी जल्द ही होने वाले हैं। इसके अलावा अगले साल विधानसभा चुनाव. तो कांग्रेस इस मुद्दे को दमदारी के साथ उठाने की तैयारी कर रही है। कांग्रेस को उम्मीद है की गौवंश की बदहाली कांग्रेस को बड़ा माइलेज देगी। हालांकि बीजेपी काउंटर अटैक कर रही है कि खुलेआम गौमांस खाने की पैरवी करने वालों की कथनी और करनी में अंतर किसी से छिपा नहीं है।