(रिपोर्टः नवीन कुमार सिंह) भोपालः presidential election 2022 राष्ट्रपति चुनाव की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है। वैसे-वैसे आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी तेज हो चला है. राष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा और कांग्रेस विधायकों ने बीजेपी पर हॉर्स ट्रेडिंग का आरोप लगाकर प्रदेश की सियासत को गरमाया दिया तो अब बीजेपी और कांग्रेस खुद को आदिवासी हितैषी बताने में जुट गए हैं। कुल मिलाकर राष्ट्रपति चुनाव को लेकर एमपी में चुनावी शोर पूरे शबाब पर है।
presidential election 2022 भोपाल दौरे पहुंची NDA की राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का बीजेपी नेताओं ने गर्मजोशी से स्वागत किया। तो कांग्रेस ने द्रौपदी मुर्मू की उम्मीदवारी पर ही सवाल खड़े कर दिये। द्रौपदी मुर्मू के भोपाल दौरे के ठीक 24 घंटे पहले यूपीए के कैंडिडेट यशवंत सिन्हा भी अपने लिए समर्थन जुटाने भोपाल आए थे। इस दौरान सिन्हा ने बीजेपी पर हॉर्स ट्रेडिंग करने का गंभीर आरोप भी लगाया। हालांकि बीजेपी ने खरीद फरोख्त की खबरों का खंडन किया है।
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खरीद फरोख्त को लेकर जारी आरोप-प्रत्यारोप की सियासत के बीच कांग्रेस ने दावा किया है कि यूपीए के कैंडिडेट यशवंत सिन्हा को न सिर्फ कांग्रेस के विधायक बल्कि बीजेपी के विधायक भी वोट करेंगे। क्योंकि यशवंत सिन्हा बीजेपी के इशारों पर रबर स्टैंप के रोल में नहीं रहेंगे कांग्रेस भले कुछ भी दावा करे..लेकिन यशवंत सिन्हा के दौरे में कांग्रेस विधायक दल की बैठक से करीब दर्जनभर आदिवासी विधायकों का दूर रहना सियासी गलियारों चर्चा का विषय बना हुआ है. कांग्रेस की बैठक में पूर्व जनजाति विकास मंत्री ओमकार सिंह मरकाम, हनी बघेल, झूमा सोलंकी, नारायण,पट्टा, हर्ष विजय गहलोत, सुनील उईके,अशोक मर्सकोले, कमलेश शाह जैसे कई आदिवासी विधायक नहीं पहुंचे। इधर बीजेपी को भी उम्मीद है कि कांग्रेस के आदिवासी विधायक अंतरआत्मा की आवाज पर मुर्मू को वोट देंगे।
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बहरहाल राष्ट्रपति चुनाव को लेकर प्रदेश में सियासी शोर थमने का नाम नहीं ले रहा। वैसे आंकड़ों पर नजर डालें तो मध्यप्रदेश में बीजेपी के 127 और कांग्रेस के 96 विधायकों के अलावा 4 निर्दलीय, दो बसपा और एक विधायक सपा का है। चार में से दो निर्दलीय विधायक बीजेपी के साथ हैं। बाकी दो निर्दलीय कांग्रेस के पक्ष में हैं। वहीं बसपा के एक विधायक संजीव सिंह और सपा विधायक राजेश शुक्ला ने हाल ही में बीजेपी का दामन थाम लिया है। बसपा विधायक रामबाई का रुख स्पष्ट नहीं है. अब देखना होगा कि 18 जुलाई को कौन किसके पक्ष में वोट डालता है।