राजा शंकर शाह और रघुनाथ ने ‘स्वदेशी’ के लिए अपने प्राणों की आहुति दी: मोहन यादव

राजा शंकर शाह और रघुनाथ ने 'स्वदेशी' के लिए अपने प्राणों की आहुति दी: मोहन यादव

राजा शंकर शाह और रघुनाथ ने ‘स्वदेशी’ के लिए अपने प्राणों की आहुति दी: मोहन यादव
Modified Date: September 18, 2025 / 11:40 pm IST
Published Date: September 18, 2025 11:40 pm IST

जबलपुर, 18 सितंबर (भाषा) मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बृहस्पतिवार को कहा कि स्वतंत्रता सेनानी राजा शंकर शाह और उनके बेटे कुंवर रघुनाथ शाह ने ‘स्वदेशी’ के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस कन्वेंशन सेंटर में पिता-पुत्र के 168वें शहादत दिवस के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में यादव ने कहा कि दोनों स्वतंत्रता सेनानियों ने इस विश्वास के साथ लड़ाई लड़ी कि भारत की अपनी सरकार और कानून होने चाहिए।

गोंडवाना में गढ़ा राज्य के शासक शंकर शाह और उनके बेटे को 1857 के विद्रोह के दौरान अंग्रेजों ने मार डाला था।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी शासकों ने रानी दुर्गावती (गोंडवाना रानी जो मुगलों के खिलाफ लड़ते हुए शहीद हो गईं) की परंपरा को जारी रखा और कविता और गीतों के माध्यम से अंग्रेजों के खिलाफ आवाज उठाई और इसने लोगों को अपनी भूमि, जंगल और राष्ट्र की रक्षा करने के लिए प्रेरित किया।

यादव ने कहा, ‘अंग्रेज उनकी बगावत बर्दाश्त नहीं कर सके और कायरता का परिचय देते हुए जबलपुर में बिना मुकदमे के पिता-पुत्र की जोड़ी को तोप से उड़ा दिया।’

उन्होंने कहा कि अंग्रेजों ने शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह को रिहा करने की पेशकश की थी, अगर वे धर्मांतरित होते हैं, औपनिवेशिक शासन स्वीकार करते हैं और माफी मांगते हैं। लेकिन दोनों ने प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया।’

यादव ने कहा, ‘राजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह ने घोषणा की कि अगर वे विस्फोट से बच गए तो वे फिर से अंग्रेजों के खिलाफ गीत लिखेंगे और देश की आजादी के लिए लड़ेंगे।’

उन्होंने कार्यक्रम में पुष्पांजलि अर्पित करते हुए कहा कि पिता और पुत्र देश को प्रेरित करते रहेंगे। यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्वदेशी को अपनाने के लिए एक राष्ट्रीय अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं और विकसित भारत का रास्ता आत्मनिर्भरता से गुजरता है।

उन्होंने राज्य में महिला स्वयं सहायता समूहों को आर्थिक स्वतंत्रता के उदाहरण के रूप में भी उद्धृत किया और लोगों से स्वदेशी उत्पाद खरीदने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, ‘गर्व के साथ कहो, हम स्वदेशी को अपनाएंगे।’

भाषा सं ब्रजेन्द्र अमित

अमित


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