Genome sequencing on depression: डिप्रेशन के मरीजों के इलाज के साथ रिसर्च

डिप्रेशन के मरीजों के इलाज के साथ रिसर्च, एम्स करने जा रहा जीनोम सिक्वेसिंग

Genome sequencing on depression: डिप्रेशन के मरीजों के इलाज के साथ रिसर्च, एम्स करने जा रहा जीनोम सिक्वेसिंग

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:59 PM IST, Published Date : July 8, 2022/3:16 pm IST

Genome sequencing on depression: भोपाल।  मनुष्य के जीवन में एक ऐसा समय आता है जब इंसान डिप्रेशन का शिकार होता है। डिप्रेशन एक ऐसी बिमारी है जिसकी चपेट में अधिकतर इंसान आता ही है। जिसे लेकर भोपाल एम्स के डॉक्टर इसको लेकर रिसर्च करने वाले है। इसे लेकर एम्स में गुरुवार से इसकी शुरुआत भी हो चुकी है। ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस (AIIMS) भोपाल नेशनल हेल्थ मिशन और हेल्थ डिपार्टमेंट साथ में मिलकर डिप्रेशन से पीड़ित लोगों के इलाज के साथ उनके ऊपर रिसर्च करेंगे। डिप्रेशन की स्थिति में ‘इससे कैसे उबरना है’ विषय पर होने वाले इस रिसर्च वर्क के लिए यूएस नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ (एनआईएमएच) ने फंडिंग की है।>>*IBC24 News Channel के WhatsApp  ग्रुप से जुड़ने के लिए  यहां Click करें*<<

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डिप्रेशन को लेकर होगी जीनोम सीक्वेंसिंग

Genome sequencing on depression:  एम्स के विशेषज्ञों के अनुसार डिप्रेशन एक सामान्य मानसिक रोग है, जो हर साल लगभग 5 परसेंट आबादी को चपेट में लेता है। इससे सुसाइड केस में भी बढ़ोत्तरी होती हैं। एम्स भोपाल इनकी जीनोम सीक्वेंसिंग में 1500 लोगों को शामिल करेगा। इस रिसर्च में मरीज के पर्सनलाइज्ड ट्रीटमेंट पर जोर दिया जाएगा। इसमें मेडिसिन लर्निंग एप्रोच के साथ ही कई अन्य जानकारियों के आधार पर ट्रीटमेंट की लाइन तय की जाएगी जैसे- मरीज के स्पेसिफिक जेनेटिक फैक्टर्स, उसकी परिवार से जुड़ी जानकारी, उसकी क्लीनिकल और मेडिकल हिस्ट्री आदि।

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आम लोगों को होगा फायदा

Genome sequencing on depression:  विशेषज्ञों के मुताबिक इस एप्रोच से मरीज को अंदाज से दवाएं देने या कांउसलिंग की बजाय स्पेसिफिक प्रभावी इलाज दिया जा सकेगा। गौरतलब है कि भोपाल एम्स की पहल पर ये स्टडी पहली बार होने जा रही है। इससे आम लोगों को काफी फायदा होगा। ऐसा माना जा रहा है कि डिप्रेशन के इलाज में ये स्टडी लैंडमार्क साबित होगी।

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डिप्रेशन क्या है ?

Genome sequencing on depression:  बता दें कि तनाव या डिप्रेशन एक प्रकार का मानसिक रोग है। किसी भी नकारात्मक विचार के कारण यह हमारे दिमाग पर हावी हो जाता है जिससे हमारी मानसिक स्थिति पर बुरा असर पड़ता है। इसके कारण हमारा दिमाग सही से काम करना बंद कर देता है। इसी स्थिति को डिप्रेशन कहा जाता है। डिप्रेशन को हिंदी में अवसाद के नाम से जाना जाता है। कई डॉक्टर्स और वैज्ञानिकों के अनुसार यह एक नकारात्मक बीमारी है जो हमारे सोचने की क्षमता और कार्य करने की क्षमता को प्रभावित करती है।

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जीनोम सिक्वेसिंग क्या होती है?

Genome sequencing on depression:  हमारी कोशिकाओं के अंदर जेनेटिक मटेरियल होता है। इसे DNA और RNA कहते हैं। इन सभी मटेरियल को सामूहिक रूप से जीनोम कहा जाता है। एक जीन की तय जगह और दो जीन के बीच की दूरी और उसके आंतरिक हिस्सों के व्यवहार और उसकी दूरी को समझने के लिए कई तरीकों से जीनोम मैपिंग या जीनोम सिक्वेंसिंग की जाती है। जीनोम मैपिंग से पता चलता है कि जीनोम में किस तरह के बदलाव आए हैं। यानी डिप्रेशन की जीनोम मैपिंग होती है तो इसके जेनेटिक मटेरियल की स्टडी करके यह पता किया जाएगा कि इसके अंदर किस तरह के बदलाव हुए हैं।

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