Jagadguru Rambhadracharya: ‘मुझे गुरु दक्षिणा में POK चाहिए’, इस संत ने थल सेना प्रमुख से कर दी बड़ी मांग, पाकिस्तान को लेकर भी कही ये बात

Jagadguru Rambhadracharya: 'मुझे गुरु दक्षिणा में POK चाहिए', इस संत ने थल सेना प्रमुख से कर दी बड़ी मांग, पाकिस्तान को लेकर भी कही ये बात

  • Reported By: Mridul Pandey

    ,
  •  
  • Publish Date - May 29, 2025 / 02:21 PM IST,
    Updated On - May 29, 2025 / 02:21 PM IST

Jagadguru Rambhadracharya/ Image Credit: IBC24

HIGHLIGHTS
  • भारतीय थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने जगद्गुरु रामभद्राचार्य से ली दीक्षा।
  • जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने आर्मी चीफ से गुरु दक्षिणा में मांगा पीओके।

सतना। Jagadguru Rambhadracharya: भारतीय थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने शुक्रवार को धर्मनगरी चित्रकूट में प्रतिष्ठित संत पद्मविभूषण जगद्गुरु रामभद्राचार्य से सपत्नीक भेंट कर गुरुदीक्षा ली। तुलसीपीठ में हुई इस पावन मुलाकात में थल सेनाध्यक्ष ने गुरुदेव से उस मंत्र की दीक्षा ली जो माता सीता ने हनुमान जी को लंका विजय के लिए दिया था। वहीं इस अवसर पर जगद्गुरु रामभद्राचार्य महाराज ने कहा कि, उन्होंने थलसेना प्रमुख से गुरु दक्षिणा के रूप में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) की मांग की।

Read More: Defence Stock: 16,200 रु. के पार हुआ यह डिफेंस स्टॉक, एक ही दिन में निवेशक हुए मालामाल 

पाकिस्तान को दी चुनौती

महाराज ने बताया, “मैंने उनसे पीओके की दक्षिणा मांगी, क्योंकि वह हमारी ही भूमि है और हमें मिलनी ही चाहिए। इस पर उन्होंने स्पष्ट कहा कि, निश्चित रूप से दक्षिणा दी जाएगी।” जगद्गुरु ने बताया कि, थलसेनाध्यक्ष से यह भेंट अत्यंत सकारात्मक रही और उन्हें यह जानकर गौरव हुआ कि, सेना प्रमुख ने आध्यात्मिक मार्ग की ओर कदम बढ़ाया है। उन्होंने आगे कहा कि, यदि पाकिस्तान की ओर से कोई आतंकी गतिविधि दोहराई गई, तो उसे पूरी तरह नेस्तनाबूत कर दिया जाएगा।

Read More: Jharkhand Road Accident: तेज रफ्तार बस और ट्रक की जबरदस्त भिड़ंत, मौके पर ही चार लोगों की मौत, कई घायल 

निश्चित रुप से मिलेगी गुरु दक्षिणा

Jagadguru Rambhadracharya: उन्होंने आगे कहा कि, थल सेना प्रमुख उपेंद्र द्विवेदी ने मुझसे गुरुदीक्षा ली है। वह मंत्र मैंने उन्हें दिया जो माता सीता ने हनुमान जी को दिया था। मैंने उनसे पीओके की दक्षिणा मांगी है और उन्होंने कहा है कि, वह दक्षिणा निश्चित रूप से देंगे। इस ऐतिहासिक और भावनात्मक क्षण ने धार्मिक और राष्ट्रीय चेतना को एक साथ जोड़ने का कार्य किया। धर्म और राष्ट्र सेवा के अद्भुत संगम के इस क्षण ने चित्रकूट को एक बार फिर आध्यात्मिक और राष्ट्रभक्ति की ऊंचाई पर पहुंचा दिया है।