सीधी। जन्म के बाद अगर कोई शाश्वत सत्य है तो है मृत्यु। कहते है कि जब कुछ देखते ही आंखे शून्य हो जाये और समझ बेसमझ हो जाये, तो उम्र का अनुभव कुछ रास्ता दिखा ही देता है। पर कच्ची आंखे जो मां-बाप की आंखों से देखती है ,उनका क्या..? जिसने अभी दुनिया ही नहीं देखी, उसकी समझ कैसी, समाज क्यों उसके नन्हे हाथो में लोटा पकड़ता है। किस कर्म के बंधन से बांध रहे हैं। नीति और नैतिकता में फर्क होना चाहिए।
ये मासूम बच्चा आशीष अपने दादा-दादी एवं पिता को खो चुका है। मां को एअरलिफ्ट करके उपचार हेतु दिल्ली ले जाया गया है । शीष कोल की उम्र 10 वर्ष है, जो चोबरा चुरहट का रहने वाला है। जी हां हम बात कर रहे हैं सतना में आयोजित कोल महाकुंभ की, जहां केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को सुनने के बाद वापस सीधी लौट रही तीन बस हादसे का शिकार हो गई, जिसमें अब तक 15 लोगों की मौत हो गई है। इस हादसे में ग्राम चोबरा के आशीष कोल के दादा, दादी, पिता के साथ मां भी शामिल थी। जिसमें दादा, दादी और पिता को मासूम ने खो दिया है और आशीष की मां को गहन चिकित्सा के लिए एअरलिफ्ट कर दिल्ली भेजा गया है, जो जिदगी और मौत के बीच जूझ रही है।
इस घटना को सुनते ही ग्राम चोबरा में मातम पसर गया और पूरे गांव के किसी भी घर के चुल्हे में आग नहीं जली। शासन ने अंतिम संस्कार की पूरी जिम्मेदारी निभाई और व्यवस्था कराई, जहां मासूम आशीष ने नम आंखों से चिता को आग देकर अंतिम विदाई दी और बेटा होने का फर्ज निभाया।
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