भोपाल: एमपी में उपचुनाव की तारीखों का ऐलान भले नहीं हुआ हो, लेकिन चुनावी रणनीति पर मंथन जारी है। चुनावी मैदान में एक दूसरे की घेरने के लिए मुद्दों की तलाश जारी है। इन सारी कवायदों के बीच खरगोन में किसानों की खुदकुशी का घटना हो या फिर पुलिस कस्टडी में आदिवासी युवक की मौत। कांग्रेस को बैठे बिठाए सरकार को घेरने का मौका मिल गया। दोनों घटनाओं के लेकर कांग्रेस हमलावर है, तो बीजेपी इसे विपक्ष का सियासी स्टंट बता रहा है।
खरगोन में कर्ज से परेशान एक किसान की खुदकुशी की घटना के बाद पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट कर बीजेपी सरकार को जमकर घेरा। दरअसल खरगोन खंडवा लोकसभा का हिस्सा है, जहां उपचुनाव होने हैं। जाहिर है चुनाव के पहले कांग्रेस इस बड़े मुद्दे पर हमलवार भी होगी। वो भी तब जब किसान ने खुदकुशी कर्ज से तंग आकर की है। कांग्रेस तो ये दावा भी कर रही है कि अगर शिवराज सरकार जय किसान कर्ज माफी योजना जारी रखती तो शायद ये नौबत न आती। कांग्रेस ने इसके पहले सरकार से ये मांग भी की थी कि निमाड़ के चार जिलों को सूखा घोषित किया जाए। खासकर खरगोन को दावा ये भी हो रहा है कम बरसात की वजह से मिर्ची, कपास, मूंग की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गयी है। किसान कर्ज में डूबे हैं। आगे ऐसी अनहोनी न हो इसलिए सरकार अब भी ये फैसला ले सकती है।
खरगोन में आदिवासी युवक की पुलिस कस्टडी में मौत के मामले में भी कांग्रेस सरकार को हर मोर्चे पर घेर रही है। कांग्रेस विधायकों के जांच दल ने आज भोपाल में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आरोप लगाया कि बीजेपी सरकार के संरक्षण में ही आदिवासियों का कत्ल किया जा रहा है। जांच कमेटी की अध्यक्ष और पूर्व मंत्री विजय लक्ष्मी साधौ ने कहा कि सरकार पीड़ित परिवार को एक करोड़ रुपए का मुआवज़ा दे और मामले की सीबीआई से जांच कराए। हालांकि विपक्ष के आरोपों को बीजेपी सियासी बता रहा है।
एमपी में उपचुनाव की तारीखों का ऐलान भले ना हुआ हो, लेकिन तैयारी जोरों शोरों से चल रही है। ऐसे में खरगोन में किसानों की खुदकुशी हो या फिर आदिवासियों के खिलाफ हो रहे जुल्म हों। कांग्रेस को बड़ा मुद्दा मिल गया है सरकार को घेरने के लिये। अब सवाल ये है कि क्या सत्तापक्ष कांग्रेस के मंसूबों से वाकिफ नहीं है? अगर है तो निमाड़ अब तक सूखाग्रस्त घोषित क्यों नहीं हुआ और मालवा-निमाड़ में आदिवासियों पर हिंसा के मामले रुक क्यों नहीं रहे?