राजनीतिक अपराध पर ‘सुप्रीम’ सख्ती ! सियासत का ‘शुद्धिकरण’?

राजनीतिक अपराध पर 'सुप्रीम' सख्ती ! सियासत का 'शुद्धिकरण'? 'Supreme' strictness on political crime!'Purification' of politics?

Modified Date: November 29, 2022 / 07:53 pm IST
Published Date: August 11, 2021 11:07 pm IST

भोपाल। ”हम तो चाहते हैं कि क्रिमिनल बैकग्राउंड वाले चुनाव ही ना लड़ सकें..लेकिन राजनीति दल हैं कि कुंभकर्णी से जागने को तैयार ही नहीं हैं”…ये तल्ख टिप्पणी है देश की सर्वोच्च अदालत ने..वो भी देश की दशा और दिशा तय करने वाले सियासी दलों और जनप्रतिनिधियों को लेकर…दरअसल, राजनीति के शुद्धिकरण की…बेदाग नेताओं को टिकिट देने की बातें तो बहुत होती हैं…लेकिन दावों के उलट कड़वी सच्चाई ये है कि देश के माननीय सांसदों-विधायकों पर क्रिमिनल केस बढ़ते पाए गए…जिसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पार्टियों और राज्यों को साफ और सख्त निर्देश जारी किए हैं। इसके साथ ही पूर्व निर्देशों की अवमानना पर देश के 8 दलों पर जुर्माना भी लगाया है। अब बड़ा सवाल ये कि क्या इस सख्ती का…सियासी समीकरणों को साधने पर फोकस रखने वाले दलों पर असर पड़ेगा।

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राजनीति और खासकर चुनावों में बढ़ते अपराधीकरण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अब सख्त रवैया अपनाया है। मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए…कहा कि आपराधिक छवि वाले नेताओं को कानून बनाने की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए…इतना ही नहीं सर्वोच्च अदालत ने बिहार विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारों का आपराधिक ब्योरा नहीं देने पर बीजेपी-कांग्रेस समेत 8 राजनीतिक दलों को अवमानना का दोषी ठहराते हुए जुर्माना भी लगाया है..साथ ही ये भी कहा है कि दलों को अपने उम्मीदवारों का क्रिमिनल डेटा 48 घंटे में बताना होगा।

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इस मामले में सर्वोच्च अदालत ने दलों को कुछ सख्त हिदायतें दी हैं। कोर्ट ने निर्देश दिया है कि आपराधिक मामले हाईकोर्ट की मंजूरी के बिना वापस नहीं हो सकते हैं। राज्य सरकारें संबंधित हाईकोर्ट की इजाजत के बिना केस वापस नहीं ले सकेगी, कोर्ट ने केंद्र को भी ऐसे लंबित मामलों में दो हफ्ते के भीतर रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है। कोर्ट ने कहा है कि HC के रजिस्टार जनरल अपने चीफ जस्टिस को लंबित निपटारों की जानकारी दें, सुप्रीम कोर्ट का निर्देश है कि ऐसे प्रकरणों में CBI कोर्ट और अन्य कोर्ट सांसदों-विधायकों के खिलाफ लंबित मामलों की सुनवाई जारी रखें…साथ ही सांसदों-विधायकों के खिलाफ आपराधिक ट्रायल के जल्द निपटारे की निगरानी के लिए SC स्पेशल बेंच गठन करेगा। दरअसल, मामले में सुप्रीम कोर्ट की तल्खी की सबसे बड़ी वजह है के पिछले निर्देशों के बावजूद, निगरानी के बीच भी जनप्रतिनिधियों पर आपराधिक केस बढ़े हैं।

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बता दें कि दिसंबर 2018 में सांसदों-विधायकों के खिलाफ लंबित मामले 4112 थे जो सितंबर 2020 में बढ़कर 4859 हो गए। अगर मध्यप्रदेश के लिहाज से देखें तो साल 2020 में एमपी सांसदों पर कुल 8 क्रिमिनल केस दर्ज हुए जिसमें से 3 सीरियस क्रिमिनल…जबकि छत्तीसगढ़ में केवल एक सांसद पर क्रिमिनल केस दर्ज हुआ, .एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म के मुताबिक छत्तीसगढ़ विधानसभा में 90 में से 24 विधायकों पर क्रिमिनल केस दर्ज हैं। जबकि मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव में दिए गए हलफनामों के मुताबिक ही कुल 93 विधायकों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण बने हैं।


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