पीएम आवास की आस ने किया निराश, पैसों की कमी से अधूरे पड़े निर्माण, लोग हलाकान |The hope of PM's house disappointed, the construction was incomplete due to lack of money, people were shocked

पीएम आवास की आस ने किया निराश, पैसों की कमी से अधूरे पड़े निर्माण, लोग हलाकान

पीएम आवास की आस ने किया निराश! The hope of PM's house disappointed, the construction was incomplete due to lack of money, people were shocked

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:38 PM IST, Published Date : August 17, 2021/11:45 pm IST

नरसिंहपुर: हर किसी का एक सपना होता है कि उसका अपना एक घर हो, इस सपने को साकार करने के लिए शुरु की गई एक पहल का नाम है- पीएम आवास योजना। लेकिन जिस तरह सपने के पूरा होने से पहले नींद खुल जाए और ख्वाब अधूरा रह जाए, तो अफसोस होता है। कुछ इसी तरह की दास्तान इस योजना से भी जुड़ी है। पीएम आवास योजना के हितग्राही सालों से तिरपाल के नीचे या कहीं सेप्टिक टैंक के पीछे रहने को मजबूर हैं।

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नरसिंहपुर की गाडरवारा तहसील की चीचली जनपद के इन घरों को देखकर महसूस किया जा सकता है कि जब किसी गरीब के सपने टूटते हैं, तो कितनी तकलीफ होती है। ये वो लोग हैं जिन्होंने अपनी आधी जिंदगी कच्चे घरों में बिता दी और जब पक्के घर में रहने का सपना देखा, तो उसके पूरा होने की आस में बची जिंदगी बीत रही है। ये सपना दिखाया 2015 में शुरु हुई PM आवास योजना ने, जिसमें सरकार ने गरीबों को पक्की छत देने की बात कही। पीएम आवास योजना नाम से गरीबों को ढाई लाख रुपए तीन किस्तों में मिलने थे, जिसकी पहली किस्त एक लाख रुपए जब मिली, तो नरसिंहपुर के चीचली के जीवनलाल की आंखों में खुशी के आंसू आ गए। जीवन लाल ने अपनी झोपड़ी तोड़कर पक्का मकान बनाना शुरु कर दिया। दीवारें तो खड़ी हो गईं, लेकिन दूसरी किस्त के इंतजार में काम अटक गया। बारिश में तिरपाल तान कर रहने वाले मजदूर जीवन लाल 8-9 महीनों से दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर हैं।

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यही हाल बेबी बी का भी है, जिनको बताया गया था कि उन्हें पीएम आवास योजना का लाभ मिलेगा, जिसके चलते उन्होंने अपना कच्चा मकान तोड़ लिया। योजना की पहली किस्त से मकान बनाना शुरू किया, लेकिन साल बीत गया, बेबी बी का ना तो मकान बना, और ना ही दूसरी किस्त निकली। एक तरफ जहां बेबी बी गुस्सा है, तो वहीं बेबसी दर्शाते हुए इसी इलाके में रहने वाली वृंदा वर्तमान में परिवार के साथ रह रहे उस घर की तरफ ले जाती हैं, जिसे देखने के लिए मन को पक्का करना पड़ेगा। जी हां सेप्टिक टैंक के गड्ढे के ऊपर रहने को मजबूर वृंदा अपनी बेबसी को बयां कर रही हैं।

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चीचली में PM आवास योजना के तहत बनने वाले दर्जनों अधूरे पड़े मकानों की अगली किस्त लेने लोग सरकारी दफ्तरों में चक्कर लगा रहे हैं, पर उन्हें कोई जवाब नहीं मिलता। मजदूरी करके अपना और बच्चे का पेट पालने वाली किरण बताती हैं कि 3 महीने से बेटा बीमार है और लॉकडाउन में उनका काम भी छीन गया है। वो बीमार बेटे के साथ खुले आसमान के नीचे त्रिपाल लगाकर रहने को मजबूर है। यही हाल सरिता और छोटी बाई का भी है।

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ऐसा नहीं है कि जिम्मेदार जनप्रतिनिधि पीएम आवास जैसी महत्वाकांक्षी योजना के प्रति सजग नहीं हैं, खुद क्षेत्र की स्थानीय विधायक पीएम आवास में हो रही धांधली और भ्रष्टाचार को लेकर लगातार विरोध कर रहे हैं, यहां तक कि कलेक्टर को भी वस्तु स्थिति से अवगत करा चुकी है लेकिन कहानी फिर भी ढाक के तीन पात जैसी ही है।

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हाल ही में नरसिंहपुर जिला पंचायत सीईओ से इस संबंध में आईबीसी 24 ने बात की, तो उन्होंने मामला संज्ञान में आने और संबंधित दोषी अधिकारियों पर कार्यवाही एवं हितग्राहियों को जल्द से जल्द बकाया किस्त दिलाने का भरोसा दिलाया। देखना होगा कि इस खबर के सामने आने के बाद अधिकारी क्या कदम उठाते हैं या एक बार फिर इन गरीबों को उनके हाल पर छोड़ दिया जाएगा?

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