विजेन्द्र पाण्डेय/जबलपुर : देश में कांग्रेस सबसे मजबूत विपक्ष के तौर पर मध्य प्रदेश में ही है। लेकिन आज जबलपुर में कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी ने कांग्रेसियों को आईना दिखाया है। उन्होंने पार्टी की कमियों को कार्यकर्ताओं के सामने रखा। उनकी बात पर तालियां भी खूब बजी। लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने जेपी अग्रवाल की बात को मुद्दा बना दिया। ऐसे में सवाल उठता है कि एमपी इलेक्शन में महज 7 महीने बचे हैं। यानी प्रदेश प्रभारियों का एक बयान कार्यकर्ताओं में जोश भी भर सकता है और उन्हें हतोत्साहित भी कर सकता है तो इस बयान के मायने क्या हैं?
‘हम चुने जाते रहे, लंबा सफर तय हुआ। सरकारें बनती रही, मुख्यमंत्री बनते रहे लेकिन हुआ क्या इस बीच में। जो हमारा सबसे मजबूत साथी, गली में हमारे लिए झंडा उठाता था। उसका हाथ हमसे छूट गया। हम ऐसे नहीं गिरे, हम ऐसे कमजोर नहीं हुए। हमने उसके दर्द को नहीं ढांपा’ इस बयान को मध्यप्रदेश कांग्रेस प्रभारी जेपी अग्रवाल की साफगोई कहें या कांग्रेस का आत्मबोध लेकिन इससे ये साफ हो गया है कार्यकर्ताओं की अनदेखी से पार्टी की स्थिति कमजोर हो जाती है। जाहिर है इसके लिए उन्होंने मंच से ही बड़े नेताओं को खूब खरी-खरी सुनाई। उन्होंने दो टूक कहा कि कार्यकर्ताओं का दर्द समझना पड़ेगा और उनका हाथ पकड़कर आगे बढ़ने से ही मंजिल मिलेगी।
कांग्रेस प्रभारी जेपी अग्रवाल के इस बयान को बीजेपी ने लपक लिया है। बीजेपी ने कहा कि इस बात पर मुहर लग गई कि कांग्रेस में कार्यकर्ताओं की स्थिति कितनी खराब है। अब कांग्रेस नेताओं को इसका जवाब देते नहीं बन रहा। कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी जेपी अग्रवाल की ये साफगोई भले पार्टी में कार्यकर्ताओं की इज्जत बढ़ा दे। लेकिन फिलहाल बीजेपी को इस बयान के बहाने कांग्रेस को घेरने का मौका मिल गया है। ये भी तय है कि 23 के चुनाव में बीजेपी से मुकाबले के लिए कांग्रेस को अपने कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर कर उनमें फिर से जोश भरना होगा।