Ujjain News: शहीद गजेंद्र सुर्वे का अधूरा सपना हुआ पूरा, इस संस्था ने बनवाया भव्य मकान, गृह प्रवेश पर मां के छलके आंसू
Ujjain News: शहीद गजेंद्र सुर्वे का अधूरा सपना हुआ पूरा, इस संस्था ने बनवाया भव्य मकान, गृह प्रवेश पर मां के छलके आंसू
Ujjain News/Image Source: IBC24
- शहीद गजेंद्र सुर्वे का सपना हुआ साकार,
- उज्जैन की संस्था ने बनाया भव्य मकान,
- मां के गृह प्रवेश में छलके आंसू,
उज्जैन: Ujjain News: देश की सीमा पर तैनात हर सैनिक के लिए उसका घर एक अधूरा सपना होता है, जिसे वह ड्यूटी पूरी कर लौटकर सजाना चाहता है। लेकिन कई बार वह सपना अधूरा ही रह जाता है और घर लौटती है उसकी शहादत की ख़बर। ऐसा ही सपना था उज्जैन के वीर सपूत शहीद गजेंद्र राव सुर्वे का जो अब उनकी अनुपस्थिति में उनके परिवार के लिए पूरा हुआ है।
Ujjain News: फरवरी 2006 में लद्दाख में राष्ट्र की सुरक्षा के दौरान अपने प्राण न्यौछावर करने वाले भारतीय सेना के सिपाही गजेंद्र राव सुर्वे के परिवार को उज्जैन की एक निजी संस्था ने नया जीवन-सा उपहार दिया है। संस्था के प्रमुख मोहन नारायण ने जानकारी दी कि गजेंद्र राव के माता-पिता पहले विनोद की चाल में एक अस्थायी मकान में रहते थे जिसे बाद में विस्थापित कर दिया गया। उनके पास ख़ुद का भूखंड तो था, लेकिन पक्का मकान बनाने की आर्थिक स्थिति नहीं थी। संस्था ने 21 लाख रुपये की राशि एकत्र कर परिवार के लिए सर्व-सुविधा युक्त भव्य मकान तैयार कराया। मोहन नारायण ने कहा कि घर को शहीद के परिवार की पसंद के अनुसार तैयार किया गया है ताकि यह उनके बेटे के सपनों का प्रतीक बन सके। आज गृह प्रवेश के अवसर पर भावनाओं का सैलाब उमड़ पड़ा।
Ujjain News: शहीद की पूज्य माता कल्पना सुर्वे जब नए घर में प्रवेश कर रही थीं तो उनके बेटों ने अपनी हथेलियाँ ज़मीन पर फैला दीं जैसे बेटा गजेंद्र राव ख़ुद अपनी मां का स्वागत कर रहा हो। यह दृश्य देखकर वहां मौजूद हर व्यक्ति की आंखें नम हो गईं। कल्पना सुर्वे ने कहा की मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरा अपना मकान होगा। बेटे के बलिदान के बाद हमारी आर्थिक हालत बहुत कमजोर थी। दूसरे बेटे प्राइवेट नौकरी करते हैं और उनकी कमाई से घर बनाना संभव नहीं था। आज ख़ुशी है कि सपना पूरा हुआ लेकिन यह भी दुख है कि गजेंद्र ख़ुद इस घर को देखने के लिए नहीं है। उन्होंने भावुक होकर याद किया गजेंद्र आर्मी में इस उम्मीद से गया था कि सरकारी नौकरी के सहारे एक दिन मकान बना लेंगे। हमें क्या पता था कि कुछ ही समय में वह देश के लिए अपनी जान दे देगा।

Facebook



