The reservoir built at a cost of 21 crores to benefit the tribals and farmers is of no use
उमरिया। आदिवासियों एवं किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए शासन के द्वारा 21 करोड़ की लागत का बना यह जलाशय आज किसी के काम का नहीं है। जलाशय अब ग्रामीणों के लिए खतरे की घंटी बन गया है। जल संसाधन विभाग द्वारा बनाया गया यह जलाशय भष्ट्राचार की भेंट चढ़ गया है। पांच साल बाद भी किसानों तक ना तो जलाशय का पानी और ना ही मुआवजा राशि पहुंच सकी है, नहर और वेस्ट वेयर निर्माण जलाशय के कार्य की पोल खोल रहे है।
तालाब फूटने का डर
मामला उमरिया जिले के करकेली ब्लाक अंतर्गत ग्राम कल्दा के खोह मे बिनोदा नदी पर निर्माण कराया गया है, जो अधिकारियों कि भ्रष्टाचार का भेंट चढ़ गया। इस जलाशय की तस्वीर बताती हैं कि जलाशय में कितना काम कराया गया है। यहां की नहर व ओवरफ्लो की बनावट देखकर कोई भी कह सकता है कि इस जलाशय में जमकर भ्रष्टाचार किया गया है। आज यह जिला से ग्रामीणों के लिए मुसीबत का घर बन चुका है। यहां जो पानी है, वो आए दिन रिश्ते रहता है जिस कारण से तालाब फूटने का डर बना रहता है।
अब तक नहीं मिली जमीन की मुआवजा राशि
बता दें कि यह जलाशय बरसात का पानी भी नहीं झेल पाता। यहां के आदिवासियों की जमीन का अधिग्रहण तो कर लिया गया, लेकिन आज तक इन्हें मुआवजा तक नहीं मिला। जबकि यहां की ग्रामीणों का एक ही सहारा है, वह है कृषि। कृषि के आधार पर यहां के लोग अपना जीवन यापन प्रसार करते हैं, लेकिन अधिकारियों ने ही उनकी जमीन हड़प ली और आज तक मुआवजा की राशि नहीं दिया गया। अब जिले के कलेक्टर ने मामला को संज्ञान लेते हुए जांच करा कर गरीब किसानों को मुआवजा देने और रिसाव को लेकर दुरुस्त कराने का आस्वासन दिया और जांच उपरांत अधिकारियों पर कार्यवाही के निर्देश भी दिए है।
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