रिपोर्ट- नवीन कुमार सिंह, भोपाल: terrorism in Bhopal Hindi हिंदुस्तान का दिल, मध्यप्रदेश एक बार फिर आतंकियों के टारगेट पर है। राजधानी भोपाल फिर आतंक का अड्डा बन गया है। ये खुलासा हुआ है चार बांग्लादेशी आतंकवादियों की गिरफ्तारी से, जो भोपाल में रहकर अपने नापाक हरकतों को अंजाम देने स्लीपर सेल तैयार कर रहे थे। भले एटीएस ने आतंकियों को गिरफ्तार कर उनकी साजिश बेनकाब कर दी हो लेकिन अपने पीछे कई सवालो को छोड़ गया। थाने से महज 200 मीटर दूरी पर रहे आतंकियों की भनक आखिर इंटेलीजेंस को क्यों नहीं लगी? आखिर आतंकी एमपी को ही अपना पनाहगाह क्यों बनाना चाहते हैं?
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terrorists in Bhopal मध्यप्रदेश एक बार फिर आतंकियों के निशाने पर है, ये खुलासा मध्यप्रदेश ATS के हाथ लगे आतंकी संगठन जमात-ए-मुजाहिद्दीन-बांग्लादेश के चार आतंकियों से पूछताछ में हुआ है। इन आतंकियों का टारगेट एमपी में अपने आतंकी संगठन का स्लीपर सेल नेटवर्क तैयार करना था ताकि भविष्य में यहां आतंकी हरकतों को अंजाम दिया जा सके। इसके लिए वे समुदाय विशेष के युवाओं का ब्रेनवॉश कर उन्हें JMB में भर्ती करने के मिशन में जुटे थे। लेकिन एटीएस की इस कार्रवाई पर अब सवाल खड़े होने लगे हैं। कांग्रेस की तरफ से ये दावा किया जा रहा है कि भोपाल में थाने से महज़ 200 मीटर की दूरी पर रह रहे आतंकियों की भनक आखिर पुलिस को क्यों नहीं लगी? क्या ये पुलिस के इंटेलिजेंस का फेलियर है? जाहिर है सवाल तो खड़े होंगे ही क्योंकि इन आतंकियों ने अपना सुरक्षित ठिकाना मध्यप्रदेश को क्यों बना लिया है?
मध्यप्रदेश में सियासत के लिए कई मुद्दे हैं गाय, गोबर, हिंसा, बेरोजगारी,महंगाई लेकिन अब आंतरिक सुरक्षा को लेकर जो सियासत हो रही है वो ठीक नहीं। कांग्रेस ने सवाल क्या खड़े किए, जिससे बीजेपी बौखला गई। बीजेपी के फायर ब्रांड विधायक रामेश्वर शर्मा आगे आए और ये दावा ठोक दिया कि मदरसों में आतंकी की तालीम दी जा रही है। लेकिन न विधायक ने न ही मध्यप्रदेश की सरकार की तरफ ये बयान आया कि आखिर ये आतंकी इतनी आसानी से मध्यप्रदेश में कैसे आए और कैसे राजधानी भोपाल को अपना ठिकाना बना लिया। वो भी तब जब आतंकियों के मकान से थाने की दूरी महज़ 200 मीटर थी।
वैसे ये पहला मौका नहीं है जब मध्यप्रदेश में आतंकी नेटवर्क को पुलिस ने तोड़ा है। इसके पहले भी कई आतंकियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है, लेकिन ये भी नहीं भूलना चाहिए कि सिमी के खूंखार आतंकियों ने ही भोपाल की जेल भी ब्रेक की थी। अब सवाल ये है कि आखिर मध्यप्रदेश में किसकी सरपरस्ती में आतंकी सिर छुपा रहे हैं? क्या आतंकी संगठनों की नज़र में मध्यप्रदेश के लिए कोई बड़ा प्लान है? इन सवालों के जवाब प्रदेश का हर नागरिक जानना चाहता है, लेकिन साथ ही ये जिम्मेदारी आमजन की भी है कि वो हर संदिग्ध व्यक्ति और घटना की जानकारी फौरन पुलिस को दे।
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